Masik Durga Ashtami 2024 : मनोकामना पूर्ति का शुभ दिन
हिन्दू पंचांग के अनुसार Masik Durga Ashtami का पर्व हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह पूजा माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि के लिए की जाती है। इस साल जून के महीने में ये पूजा 13 जून 2024 को रात 8 बजकर 3 मिनट पर शुरू हो रही है और दूसरे दिन 14 जून 2024 को सुबह 10 बजकर 33 मिनट पर खत्म होगी। ऐसे में हिन्दू मान्यता के अनुसार उदय तिथि में ये Masik Durga Ashtami पूजा 14 जून , शुक्रवार को ही मनाई जाएगी। आइए जानते हैं इस पूजा की संपूर्ण विधि।
सामग्री की सूची :
- माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र
- साफ कपड़ा
- धूपबत्ती, दीपक और तेल
- फूलों की माला और ताजे फूल
- रोली, अक्षत (चावल), कुमकुम, हल्दी
- मिठाई, फल और नारियल
- पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची
- गंगा जल या शुद्ध जल
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- सिंदूर, आटे का दीपक
- लाल कपड़ा, चंदन
पूजा की विधि :
1. पूजा की तैयारी
- स्वच्छता: सबसे पहले पूजा स्थल को अच्छी तरह से साफ करें। सुनिश्चित करें कि स्थान शुद्ध और स्वच्छ हो।
- व्रत का संकल्प: इस दिन व्रत रखने का संकल्प लें। सूर्योदय से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें।
- माता की स्थापना: पूजा स्थल पर एक साफ कपड़ा बिछाकर माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
2. संकल्प और आह्वान
- संकल्प: अपने हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर संकल्प लें: “मैं (अपना नाम लें) दुर्गा अष्टमी के व्रत और पूजा का संकल्प लेता/लेती हूं। माता दुर्गा की कृपा से मेरी सभी इच्छाएं पूरी हों।”
- आह्वान: इसके बाद माता दुर्गा का आह्वान करें: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। माता दुर्गा, कृपया मेरे घर पधारें और मेरी पूजा स्वीकार करें।”
3. पूजा की मुख्य विधि
- आसन अर्पण: माता दुर्गा को आसन अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। आसनं समर्पयामि।”
- पाद्य: माता के चरणों को धोने के लिए पाद्य अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। पाद्यं समर्पयामि।”
- अर्घ्य: माता को अर्घ्य अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। अर्घ्यं समर्पयामि।”
- आचमन: माता को आचमन (पानी पीने के लिए) अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। आचमनं समर्पयामि।”
- स्नान: माता को पंचामृत से स्नान कराएं। “ॐ दुर्गायै नमः। स्नानं समर्पयामि।”
- वस्त्र: माता को नए वस्त्र अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। वस्त्रं समर्पयामि।”
- अभूषण: माता को आभूषण अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। अभूषणं समर्पयामि।”
- सिंदूर: माता को सिंदूर अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। सिंदूरं समर्पयामि।”
- चंदन: माता को चंदन अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। चन्दनं समर्पयामि।”
- पुष्प: माता को फूल अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। पुष्पं समर्पयामि।”
- धूप: धूप अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। धूपं समर्पयामि।”
- दीप: दीपक जलाकर अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। दीपं समर्पयामि।”
- नैवेद्य: मिठाई और फल माता को अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। नैवेद्यं समर्पयामि।”
- ताम्बूल: पान के पत्ते, सुपारी, लौंग, इलायची अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। ताम्बूलं समर्पयामि।”
- फल: फल अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। फलानि समर्पयामि।”
- जल: गंगा जल या शुद्ध जल अर्पित करें। “ॐ दुर्गायै नमः। जलं समर्पयामि।”
4. मंत्र जप और हवन
- मंत्र जप: “ॐ दुं दुर्गायै नमः” मंत्र का जप 108 बार करें।
- हवन: हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी, और हवन सामग्री डालकर हवन करें। “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा” मंत्र का उच्चारण करते हुए आहुति दें।
5. आरती और क्षमा याचना
- आरती: माता दुर्गा की आरती करें। “ॐ जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।”
- क्षमा याचना: पूजा में अनजाने में हुई किसी भी गलती के लिए माता से क्षमा याचना करें। “अपराध सहस्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरी॥”
6. प्रसाद वितरण
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
7. विसर्जन
- विसर्जन: अंत में, माता दुर्गा की मूर्ति या चित्र का विसर्जन करें। “ॐ दुर्गायै नमः। पुनरागमनाय च।” माता से पुनः आगमन का निवेदन करते हुए विदा लें।
विशेष ध्यान :
- इस दिन व्रत रखें और सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
- पूजा करते समय मन को एकाग्रचित्त रखें और माता का ध्यान करें।
- यदि संभव हो तो इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करें।
निष्कर्ष
Masik Durga Ashtami का व्रत और पूजा न केवल आध्यात्मिक शांति और संतोष प्रदान करती है बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है। माता दुर्गा की कृपा से सभी बाधाओं का निवारण होता है और साधक के जीवन में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है। इस पावन अवसर पर माता का पूजन और आराधना कर हम अपने जीवन को सफल और सुदृढ़ बना सकते हैं।
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