Jagannath Mandir Puri Ki Adbhut Shakti : रत्न भण्डार की गुमशुदा नकली चाबियों का रहस्य और उसकी सच्चाई
Jagannath Mandir Puri Ki Adbhut Shakti : रत्न भण्डार की गुमशुदा नकली चाबियों का रहस्य और उसकी सच्चाई
पुरी , ओडिशा में स्थित Jagannath Mandir का रत्न भंडार एक रहस्यमयी और महत्वपूर्ण स्थल है। यह भंडार मंदिर की बहुमूल्य वस्तुओं और आभूषणों का संग्रहालय है, जो 12वीं सदी से अस्तित्व में है। हाल ही में, यह भंडार और उसकी चाबियों को लेकर कई विवाद और चर्चाएँ हुईं। आइए, इस रहस्यमयी प्रकरण को सरल हिंदी में समझें।
रत्न भंडार को खोलने का प्रयास :
4 अप्रैल 2018 को, ओडिशा सरकार ने Jagannath Mandir के रत्न भंडार को भौतिक जांच के लिए खोलने का निर्णय लिया। हालांकि, जब भंडार को खोलने का प्रयास किया गया, तो चाबियाँ गायब थीं। कुछ दिनों बाद, सरकार ने कहा कि नकली चाबियाँ मिल गई हैं।
नकली चाबियों का रहस्य :
14 जुलाई 2018 को, रत्न भंडार को 1978 के बाद पहली बार खोला गया। इस बार, भंडार को खोलने का उद्देश्य आभूषणों और बहुमूल्य वस्तुओं की सूची बनाना और भंडार गृह की मरम्मत करना था। हालांकि, नकली चाबियों की वजह से आंतरिक कक्ष के ताले नहीं खुल पाए। इस घटना ने ओडिशा में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया। भाजपा ने तत्कालीन सत्तारूढ़ बीजू जनता दल (बीजद) पर इसकी खोई हुई चाबियों को लेकर निशाना साधा और वादा किया कि अगर वे चुनाव जीतेंगे, तो रत्न भंडार को फिर से खोलने का प्रयास करेंगे।
जांच और परिणाम :
ओडिशा सरकार ने इस मामले की जांच का आदेश दिया कि नकली चाबियों का क्या रहस्य है और क्यों नहीं वे ताले खोल सकीं। जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी ने बताया कि एक विशेष समिति के सदस्यों ने खजाने के भीतरी कक्ष के दरवाजों पर लगे तीन तालों को खोलने की कोशिश की, लेकिन पुरी जिला प्रशासन के पास उपलब्ध दो नकली चाबियों से कोई ताला नहीं खुला।
सरकार का बयान :
कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा, “पिछली बीजू जनता दल (बीजद) सरकार के दौरान रत्न भंडार की नकली चाबियों की उपलब्धता को लेकर झूठ लाया गया था। इस मामले की निश्चित रूप से जांच की जाएगी।” उन्होंने यह भी कहा कि नकली चाबियों के बारे में किसने कहा था और किसके निर्देश पर ऐसा किया गया, इसकी भी जांच की जाएगी।
Jagannath Mandir रत्न भंडार की स्थिति :
रत्न भंडार को खोलते समय 11 लोग उपस्थित थे, जिसमें उड़ीसा हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश विश्वनाथ रथ, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधीक्षक डीबी गड़नायक और पुरी के राजा ‘गजपति महाराजा’ के एक प्रतिनिधि शामिल थे। इनमें चार सेवक भी थे जिन्होंने अनुष्ठानों का ध्यान रखा।
मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार कार्यवाही :
अरबिंद पाधी ने बताया, “हमने मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार सभी काम किए। हमने सबसे पहले रत्न भंडार के बाहरी कक्ष को खोला और वहां रखे सभी आभूषणों और कीमती सामान को मंदिर के अंदर अस्थायी ‘स्ट्रॉन्ग रूम’ में स्थानांतरित कराया। हमने स्ट्रॉन्ग रूम को सील कर दिया है।”
आंतरिक कक्ष की चुनौती :
उन्होंने आगे बताया, “इसके बाद अधिकृत व्यक्ति खजाने के आंतरिक कक्ष में दाखिल हुए। वहां तीन ताले थे। जिला प्रशासन के पास उपलब्ध चाबी से कोई भी ताला नहीं खोला जा सकता था। इसलिए एसओपी के अनुसार, हमने मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में तीन ताले तोड़ दिए और फिर हम आंतरिक कक्ष में दाखिल हुए। हमने अलमारियों और संदूकों में रखे कीमती सामान का निरीक्षण किया।”
आभूषणों का स्थानांतरण :
न्यायमूर्ति रथ ने कहा, “बाहरी कक्ष से आभूषणों को स्थानांतरित करने के बाद अस्थायी स्ट्रॉन्ग रूम को बंद कर दिया गया है और चाबियां तीन अधिकृत व्यक्तियों को दे दी गई हैं क्योंकि दैनिक उपयोग के आभूषण भी वहां हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि आंतरिक कक्ष के दरवाजों को सुरक्षित करने के लिए नए तालों का इस्तेमाल किया गया और चाबियां पुरी के कलेक्टर को सौंप दी गईं। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई।
निष्कर्ष
इस प्रकार, Jagannath Mandir का रत्न भंडार और उसकी चाबियों का रहस्य अभी भी अनसुलझा है। सरकार द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि नकली चाबियों का मामला कैसे सामने आया और असली चाबियाँ कहां गईं। इस रहस्य के समाधान के लिए सभी की निगाहें जांच के नतीजों पर टिकी हैं।
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