Prashant Kishor In Bihar Politics : 15 मिनट में शराबबंदी खत्म करने का दावा , बिहार की राजनीति में मची हलचल
Prashant Kishor In Bihar Politics : 15 मिनट में शराबबंदी खत्म करने का दावा , बिहार की राजनीति में मची हलचल
Prashant Kishore का बिहार में शराब बंदी को ले कर एक बड़ा बयान आया है , जिससे बिहार में गर्मागर्मी का माहौल बना हुआ है। बिहार में शराबबंदी कानून, जो 2016 में लागू हुआ था, ने राज्य की राजनीति और समाज में कई बदलाव लाए हैं। इस कानून के तहत राज्य में शराब की बिक्री और उपभोग पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। नीतीश कुमार सरकार ने इसे एक साहसिक कदम के रूप में पेश किया, जिसे महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों से व्यापक समर्थन मिला। हालांकि, इस कानून ने राज्य में कई विवादों और चुनौतियों को भी जन्म दिया है।
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor ), जो एक प्रसिद्ध राजनीतिक रणनीतिकार हैं और जन सुराज अभियान के संयोजक हैं, ने हाल ही में इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बयान देकर बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। जमुई में एक कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर 2025 में जन सुराज की सरकार बनी और उनकी सलाह पर काम किया गया, तो वे मात्र 15 मिनट में शराबबंदी कानून को हटा देंगे।
प्रशांत किशोर की आलोचना : नीतीश कुमार का शराबबंदी मॉडल
प्रशांत किशोर ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शराबबंदी मॉडल की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इस मॉडल को “ई कॉमर्स मॉडल” के रूप में वर्णित किया, जिसमें शराब की दुकानें बंद हैं लेकिन होम डिलीवरी चालू है। प्रशांत किशोर का यह बयान नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति की विफलता की ओर इशारा करता है, जो राज्य में अवैध शराब के व्यापार को बढ़ावा देने का कारण बना है।
प्रशांत किशोर ने कहा कि 2016 में जब यह कानून लागू हुआ, तब से बिहार में कानून व्यवस्था की स्थिति और बिगड़ गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानून का सही से पालन नहीं हो रहा है, जिसके कारण अपराध बढ़ रहे हैं और समाज में असंतोष फैल रहा है।
शराबबंदी का सामाजिक प्रभाव :
प्रशांत किशोर ने यह भी बताया कि बिहार के गांवों में युवा लड़के अवैध शराब के धंधे में उतर गए हैं। उन्होंने कहा कि इन बच्चों पर शराबबंदी कानून का बुरा प्रभाव पड़ रहा है और पुलिस का कोई डर नहीं है। किशोर का मानना है कि इस कानून के कारण बिहार के ग्रामीण इलाकों में अपराध और असामाजिक गतिविधियों में बढ़ोतरी हो रही है।
प्रशांत किशोर ने महात्मा गांधी के दृष्टिकोण का हवाला देते हुए कहा कि गांधी जी ने शराबबंदी को एक सामाजिक प्रयास के रूप में देखा था। गांधी जी ने कभी यह नहीं कहा कि शराबबंदी को कानून बनाकर लागू किया जाए। किशोर ने कहा कि शराबबंदी को एक सामाजिक आंदोलन के रूप में लागू करना चाहिए, न कि केवल एक कानून के रूप में।
बिहार के आगामी चुनावों में शराबबंदी का मुद्दा :
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, शराबबंदी का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। विपक्षी दल इस मुद्दे को चुनाव में अपने ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। प्रशांत किशोर के इस बयान से यह साफ है कि वे इस मुद्दे को लेकर सरकार को चुनौती देने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
प्रशांत किशोर का दावा है कि 2025 में अगर जन सुराज की सरकार बनी और उनकी बात मानी गई, तो वे मात्र 15 मिनट में शराबबंदी को हटा देंगे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह कानून बिहार के लिए हानिकारक है और इसे तुरंत हटाया जाना चाहिए।
नीतीश कुमार का जवाब :
प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद, नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर दबाव बढ़ गया है। हालांकि, नीतीश कुमार ने अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन यह साफ है कि आगामी चुनावों में शराबबंदी का मुद्दा एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनेगा और इसे लेकर विभिन्न दलों के बीच तीखी बहस होगी।
नीतीश कुमार की सरकार ने शराबबंदी को एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार के रूप में पेश किया था, लेकिन अब यह नीति उनकी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। अवैध शराब की बढ़ती तस्करी, कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति, और समाज में बढ़ते असंतोष के कारण यह मुद्दा बिहार की राजनीति में एक बड़ा विवादास्पद विषय बन गया है।
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) की रणनीति :
प्रशांत किशोर ने कहा कि वे रोज सरकार को चुनौती दे रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी बातों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर जन सुराज की सरकार बनी, तो वे शराबबंदी कानून को 15 मिनट के भीतर हटा देंगे और इसे एक सामाजिक प्रयास के रूप में देखेंगे, जैसा कि गांधी जी ने कहा था।
किशोर ने कहा कि बिहार की जनता अब इस कानून से तंग आ चुकी है और इसे हटाने की मांग कर रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि शराबबंदी कानून के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है और इसे जारी रखने का कोई तर्क नहीं है।बिहार में शराबबंदी का मुद्दा अब केवल एक सामाजिक सुधार का विषय नहीं रह गया है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
प्रशांत किशोर (Prashant Kishor ) का 15 मिनट में शराबबंदी खत्म करने का दावा बिहार की राजनीति में एक नई दिशा तय कर सकता है। उनका यह बयान न केवल नीतीश कुमार की सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है, बल्कि यह आगामी चुनावों में भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है। अब यह देखना होगा कि बिहार की राजनीति में इस बयान का क्या प्रभाव पड़ता है और क्या यह प्रशांत किशोर की रणनीति का हिस्सा है, जो उन्हें बिहार की सत्ता तक पहुंचाने में मदद कर सकता है।
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