Zeenat Aman With Mithun Chakraborty : जीनत अमान से मिलते ही बदली मिथुन चक्रवर्ती की तकदीर , एक ‘पनौती’ से सुपरस्टार बनने की दिलचस्प कहानी
Zeenat Aman With Mithun Chakraborty : जीनत अमान से मिलते ही बदली मिथुन चक्रवर्ती की तकदीर , एक ‘पनौती’ से सुपरस्टार बनने की दिलचस्प कहानी
Zeenat Aman : बॉलीवुड की दुनिया में जहां हर सितारा अपनी चमक बिखेरता है, वहीं कुछ कलाकार ऐसे भी होते हैं जिन्हें संघर्ष की कठिन राह से गुजरना पड़ता है। मिथुन चक्रवर्ती का सफर भी कुछ ऐसा ही था—पहली फिल्म से नेशनल अवॉर्ड जीतने के बावजूद, उन्हें अपने सांवले रंग और नएपन के कारण ‘पनौती’ का टैग मिल गया था। लेकिन इस कठिन दौर में, उनकी मुलाकात हुई जीनत अमान से, जिसने उनकी किस्मत को पूरी तरह बदलकर रख दिया।
संघर्ष की शुरुआत: ‘मृगया’ से उम्मीदें और निराशाएं
साल 1976 में मिथुन चक्रवर्ती ने बॉलीवुड में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म ‘मृगया’ थी, जिसे सत्यजित रे ने निर्देशित किया था। इस फिल्म में उन्होंने अपने अभिनय से सभी को प्रभावित किया और उन्हें बेस्ट एक्टर कैटेगरी में नेशनल अवॉर्ड और बीएफजेए अवॉर्ड से नवाजा गया। इतनी बड़ी उपलब्धियों के बाद उन्हें यह उम्मीद थी कि अब उनकी झोली में ढेर सारी फिल्में आएंगी, लेकिन बॉलीवुड की दुनिया ने उन्हें निराश किया।
मिथुन का सांवला रंग और उनकी अनजान छवि उनके रास्ते में सबसे बड़ी बाधा बनी। 70 के दशक में जब अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र जैसे सितारे अपने करियर के शिखर पर थे, तो नए कलाकारों के लिए अपनी पहचान बनाना मुश्किल था। मिथुन के साथ भी यही हुआ। उनकी काबिलियत को देखकर भी उन्हें काम नहीं मिल पा रहा था, और इंडस्ट्री में उनके साथ कोई हीरोइन काम करने को तैयार नहीं होती थी।
रंग-रूप के तानों का सामना :
मिथुन ने अपने एक पुराने इंटरव्यू में बताया था कि जब वह इंडस्ट्री में आए, तो लोग उनके सांवले रंग को लेकर मजाक उड़ाते थे। वह कहते थे, “तू हीरो बनेगा? बताओ ये हीरो बनने चला है।” लोगों के इस तरह के ताने और टिप्पणियों के बावजूद मिथुन ने हार नहीं मानी। उन्होंने मेहनत और संघर्ष जारी रखा, लेकिन बॉलीवुड का दरवाजा उनके लिए आसानी से नहीं खुल रहा था।
इंडस्ट्री में ‘पनौती’ का टैग :
मिथुन का कहना था कि उनके साथ काम करने से बड़े हीरो एक्ट्रेसेज को मना करते थे। यहां तक कि उन्हें धमकी दी जाती थी कि अगर उन्होंने मिथुन के साथ काम किया तो वह उनके साथ फिल्में नहीं करेंगे। मिथुन इस स्थिति से बेहद निराश हो गए थे। उन्होंने एक बार ‘सा रे गा मा पा’ के मंच पर कहा था, “मैं बी ग्रेड फिल्मों से ए ग्रेड एक्टर कभी नहीं बन पाऊंगा।”
इस तरह की कठिन परिस्थितियों में मिथुन के संघर्ष की राह और भी मुश्किल हो गई थी। उनकी पहचान एक ऐसे अभिनेता के रूप में होने लगी थी, जिनके साथ काम करना कोई नहीं चाहता था।
जीनत अमान (Zeenat Aman) का साथ: तकदीर बदलने का मोड़
मिथुन चक्रवर्ती की किस्मत तब बदली जब उनकी जिंदगी में बॉलीवुड की ग्लैमरस एक्ट्रेस जीनत अमान आईं। जहां बाकी हीरोइनें मिथुन के साथ काम करने से डरती थीं, वहीं जीनत अमान ने उनके साथ काम करने का साहस दिखाया।
मिथुन ने ‘सा रे गा मा पा’ के मंच पर इस घटना का जिक्र करते हुए कहा था, “जब कोई मेरे साथ काम नहीं करना चाहता था, उस समय जीनत अमान ने मेरे साथ काम करने के लिए हामी भरी।” जीनत अमान ने न केवल उनके सांवले रंग को नजरअंदाज किया, बल्कि उन्हें एक गुड लुकिंग और प्रतिभाशाली अभिनेता के रूप में स्वीकार किया।
दोनों ने साल 1983 में ‘तकदीर’ फिल्म में साथ काम किया, जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा भी मुख्य भूमिका में थे। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई और इसी के साथ मिथुन चक्रवर्ती की तकदीर भी चमक उठी।
जीनत अमान (Zeenat Aman) के योगदान से मिथुन का करियर चमका :
जीनत अमान (Zeenat aman) के साथ काम करने के बाद मिथुन चक्रवर्ती का करियर पूरी तरह से बदल गया। मिथुन ने यह भी कहा कि उनके साथ जीनत के काम करने के बाद, अन्य हीरोइनें भी उनके साथ काम करने लगीं। मिथुन इस बात के लिए हमेशा जीनत अमान के आभारी रहे हैं। उनका कहना था, “अगर जीनत अमान मेरे साथ काम न करतीं, तो शायद मुझ पर से ‘पनौती’ का टैग कभी नहीं हटता।”
यह वह समय था जब मिथुन चक्रवर्ती की पहचान एक ‘डिस्को डांसर’ के रूप में बनने लगी थी। जीनत अमान के साथ काम करने के बाद, उनकी एक के बाद एक हिट फिल्में आने लगीं, और लोग उनकी अदाकारी और डांस दोनों के दीवाने हो गए।
मिथुन का ‘डिस्को डांसर’ अवतार :
साल 1982 में आई फिल्म ‘डिस्को डांसर’ ने मिथुन चक्रवर्ती को इंडस्ट्री में एक अलग पहचान दिलाई। इस फिल्म ने न सिर्फ उन्हें सुपरस्टार बना दिया, बल्कि उन्हें भारत के ऑरिजिनल ‘डिस्को डांसर’ का खिताब भी दिलाया। उनकी स्टाइल, डांस और एक्टिंग को लोगों ने खूब सराहा और उन्हें देश-विदेश में पहचान मिली।
मिथुन का करियर इसके बाद ऊंचाइयों पर पहुंचा। वह न केवल एक सुपरस्टार बने, बल्कि एक ऐसे कलाकार के रूप में उभरे, जिसने मेहनत और संघर्ष के दम पर खुद को साबित किया।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज :
मिथुन चक्रवर्ती के करियर का एक और अहम मोड़ साल 1989 में आया, जब उनकी कुल 19 फिल्में रिलीज हुईं। इस रिकॉर्ड को ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज किया गया, जो इस बात का सबूत था कि वह इंडस्ट्री के सबसे व्यस्त और सफल कलाकारों में से एक बन गए थे।
उनका संघर्ष, मेहनत और जीनत अमान का साथ—इन सभी ने मिलकर उन्हें वह मुकाम दिलाया, जिसका वह हकदार थे।
मिथुन की विनम्रता और आभार :
आज भी मिथुन चक्रवर्ती अपनी विनम्रता के लिए जाने जाते हैं। वह हमेशा इस बात को स्वीकारते हैं कि जीनत अमान ने उनके करियर को दिशा दी और उनकी तकदीर को बदला। मिथुन ने एक बार कहा था, “मैं हमेशा जीनत के प्रति आभारी रहूंगा। उन्होंने मेरे साथ काम करने का साहस दिखाया, जब बाकी लोग मुझसे दूर भाग रहे थे।”
संघर्ष, समर्थन और सफलता की कहानी
मिथुन चक्रवर्ती की कहानी सिर्फ एक अभिनेता की नहीं, बल्कि एक ऐसे व्यक्ति की है, जिसने जीवन के हर मोड़ पर संघर्ष किया और अपने सपनों को साकार किया। जीनत अमान (Zeenat Aman) के साथ काम करने के बाद उनकी जिंदगी में जो बदलाव आया, वह एक उदाहरण है कि कैसे सही समय पर मिला समर्थन किसी की तकदीर बदल सकता है।
मिथुन चक्रवर्ती की यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने जीवन में किसी भी तरह के संघर्ष का सामना कर रहे हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए, और अगर मेहनत और समर्पण के साथ आगे बढ़ा जाए, तो एक दिन सफलता जरूर मिलती है।
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