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Rahul Gandhi in Cambridge 2024 : राहुल गांधी और खालिस्तानी समर्थकों के बीच उत्कृष्ट बैठकों का आयोजन
Rahul Gandhi in Cambridge 2024 : राहुल गांधी और खालिस्तानी समर्थकों के बीच उत्कृष्ट बैठकों का आयोजन
कैम्ब्रिज में हाल ही में हुए एक अद्वितीय घटनाक्रम में कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के नेता Rahul Gandhi ने यहां आयोजित की गई एक बैठक में खालिस्तानी समर्थकों से मिलकर अनौपचारिक रूप से विचार-विमर्श किया। यह घटना स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का केंद्र बन गई है, जिससे बड़े पैम्पलेट और मीडिया विद्वेषन तबियत के बीच हैं।
इस घटना का आयोजन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक समर्थन समूह द्वारा किया गया था, जिसमें Rahul Gandhi विभिन्न राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किए गए थे। इस घटना के अंग स्वीकृत समाचार पत्रकारों और छात्रों को भी शामिल थे, लेकिन यह आकलन किया गया कि इसमें खालिस्तानी समर्थकों का समर्थन करने वाले भी शामिल थे।
बैठक में शामिल होने वाले लोगों के बीच हो रहे वार्तालाप के बारे में विचार करते हुए, एक स्थानीय समाचार एजेंसी ने रिपोर्ट किया कि कुछ छात्र और समर्थकों ने Rahul Gandhi से मिलकर उनके राजनीतिक दृष्टिकोण पर बातचीत की। इसमें खासकर खालिस्तान के उद्दीप सिंह ने अपने स्टैंड पर खड़े होकर Rahul Gandhi से कई प्रश्नों को उठाया, जिनमें राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर उनके दृष्टिकोण के पर्दाफाश की की गई।
Rahul Gandhi ने खालिस्तानी समर्थकों से मिलकर की चर्चा का स्वीकृत किया, लेकिन उन्होंने खालिस्तान के समर्थन में किसी भी रूप में शामिल नहीं होने की बात की। उन्होंने कहा, “मेरा उद्देश्य सिर्फ विचार-विमर्श करना था, राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करना था। मैंने खालिस्तान के समर्थन में किसी भी रूप में समर्थन नहीं किया है।”
इस बैठक की आयोजन समिति ने इसे एक नैतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से विचार किया है, क्योंकि इसमें विभिन्न राजनीतिक दलों और विचारशील समूहों के प्रतिष्ठानुकूल सदस्य शामिल थे। समिति ने यह भी कहा कि यह एक स्वतंत्र भारतीय नागरिक के रूप में राहुल गांधी का अधिकार है कि वह अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को व्यक्त करें और चर्चा करें।
हालांकि, इस घटना ने राजनीतिक दलों और विचारशील समूहों के बीच विरोध की बातें बढ़ा दी हैं। विभिन्न दलों ने इसे एक बड़े विवाद के रूप में देखा है और उन्होंने इसे एक अपमानजनक हालत माना है। एक स्थानीय नेता ने कहा, “इससे सिर्फ हमारे राजनीतिक विचारधारा को ही नहीं, बल्कि हमारे विद्यालय और छात्र समुदाय को भी अफवाहों और असत्य खबरों का सामना करना पड़ रहा है।”
कुछ छात्रों ने इसे एक स्वतंत्र विचार-मिलन का माध्यम मानकर Rahul Gandhi की पहुंच का समर्थन किया है, जबकि अन्य छात्र और राजनीतिक दलों ने इसे एक देशद्रोही घटना के रूप में देखा है।
इस मामले में खालिस्तान के समर्थन में शामिल होने वालों को लेकर चिंता जताई जा रही है। खालिस्तान के लिए समर्थन जताने वाले लोगों के बारे में समिति ने जताई गई चिंता को एक सार्वजनिक स्थान पर रखा है और उनके समर्थन के लिए सख्ती से कदम उठाने की मांग की है। समिति ने कहा, “हम ऐसी किसी भी प्रकार की असहमति या अपमानजनक गतिविधियों का स्वागत नहीं करते हैं, और हम इस प्रकार के समर्थन की निष्क्रियता का विरोध करते हैं।”
कुछ स्थानीय राजनीतिक नेता भी इस मुद्दे पर अपने राय व्यक्त कर रहे हैं। एक स्थानीय नेता ने कहा, “राजनीतिक दलों को चाहिए कि वे इस प्रकार की घटनाओं में सतर्क रहें और देशभक्ति के मामले में सख्ती से कदम उठाएं। यह एक खतरनाक संकेत हो सकता है और हमें सभी को मिलकर इससे निपटना होगा।”
इसी बीच, खालिस्तान के समर्थन में शामिल होने वाले लोगों ने यह दावा किया है कि उनका समर्थन सिर्फ विचार-विमर्श के लिए था और उन्होंने किसी भी रूप में देश के खिलाफ नहीं बोला। उन्होंने कहा, “हमें भी अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को व्यक्त करने का अधिकार है, और हमने इस बैठक में सिर्फ विचार-विमर्श का ही समर्थन किया है।”
इस पूरे मामले में कई सवाल उठ रहे हैं, जिनमें से एक यह भी है कि क्या एक राजनीतिक नेता को खुले मन से खालिस्तानी समर्थकों से मिलकर बैठक करना उचित है। इसके अलावा, खालिस्तानी समर्थन के समर्थकों की सार्वजनिक स्थिति और उनके समर्थन का असर भी बड़ा सवाल है।
यह घटना स्थानीय, राष्ट्रीय, और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अब तक की अधिकांश चर्चा को उत्तेजित कर चुकी है, और इससे यह साबित हो रहा है कि राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करने में संघर्ष हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप होने वाली घटनाएं और विवादों का अंत अब तक कुछ कहा नहीं जा सकता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि इस घटना का प्रभाव राजनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण होगा।
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