Ramlala Surya Tilak : सूर्य की किरणों से भगवान का अभिषेक
जैसा की हम सब जानते हैं की अभी रामनवमी के शुभ अवसर पर सिर्फ एक ही चर्चा का विषय है , हमारे Ramlala Surya Tilak अभिषेक से सजाये जायेंगे। सनातन धर्म में हमेशा से भगवान और विज्ञान को साथ जोड़कर देखा जाता रहा है। हिन्दू धर्म में सारे पर्व और तयोहारों में विज्ञान का समावेश महसूस किया जा सकता है। इसी विज्ञान के साथ हमारे Ramlala Surya Tilak द्वारा अभिषेक किये जायेंगे , जो की विज्ञान का एक अद्भुत चमत्कार होगा।
कैसे होगा सूर्य तिलक :
राम मंदिर के तीन मंजिला भवन के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति स्थापित की गयी है। दोपहर करीब 12 बजे सूर्य की किरणे भगवान रामलला के मस्तक पर पड़ेगी। ठीक रामनवमी का दिन तय किया गया है इस चमत्कार के लिए , जब सूर्य की किरणे 4 मिनट तक रामलला के मुख को प्रकाशमान करेंगी। राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने बताया की रामलला सूर्य तिलक की सारी तैयारियां काफी परिश्रम के साथ पूरी की जा रही हैं।
अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की टीम द्वारा सुझाए अनुसार इस चमत्कार को अंजाम दिया जायेगा। वैज्ञानिकों द्वारा विशेष रूप से दर्पण और लेंस आधारित उपकरण तैयार किया गया है। इस उपकरण को ‘ सूर्य तिलक तंत्र ‘ नाम दिया गया है। हर साल इसी तर्ज पर रामनवमी के दिन रामलला सूर्य तिलक किया जायेगा। राम जन्मोत्सव के दिन सूर्य की रश्मियां तीन तले पर रामलला का मुखाभिषेक करेंगी। राम मंदिर ट्रस्ट के अनुसार सूर्य तिलक के इस प्रोजेक्ट को रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूट के वैज्ञानिक संभालेंगे।
किन मंदिरों में होता है सूर्य तिलक :
सूर्य तिलक मकैनिज्म का उपयोग पहले से भी कुछ जैन मंदिरों और सूर्य मंदिरों में किया जाता रहा है। राम मंदिर का मैकनिज्म भी शामे है लेकिन इंजीनियरिंग बिल्कुल अलग है।
गुजरात जैन मंदिर :
गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में स्थित कोबा जैन तीर्थ में भी सूर्य तिलक किया जाता है। कोबा प्राचीन जैन ग्रंथों पर एक विशाल संग्रह रखने के लिए जाना जाता है। इसे गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स की उत्कृष्टता का प्रमाण भी मिल चुका है। यहाँ जैन धर्म और विज्ञान का संगम होता है। यहाँ 22 मई को लाखों जैनों की उपस्थिति में भगवान महावीर के मस्तक का सूर्य अभिषेक होता है , जो 3 मिनट तक रहता है।
महालक्ष्मी मंदिर का सूर्याभिषेक :
महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर का सूर्याभिषेक काफी प्रसिद्ध है। यहाँ 31 जनवरी और 9 नवंबर यानी दो बार ये घटना होती है , जहाँ माता के चरणों में सूर्याभिषेक होता है। इस अद्भुत घटना को led स्क्रीन द्वारा लाइव दिखाया जाता है।
दतिया का बालाजी मंदिर :
मध्य प्रदेश के दतियाँ में स्थित उनाव बालाजी सूर्य मंदिर में सूर्य की किरणों से जुडी घटना होती है। दतिया से 17 किलो मीटर दूर स्थित एक बहुत पुराना मंदिर है। मान्यता है की ये मंदिर सूर्य के प्री – हिस्टोरिक टाइम से है। पहाड़ियों पर बसे इस मंदिर के गर्भ गृह में सूर्य की किरण मूर्ति पर पड़ती है।
मोढेरा सूर्य मंदिर :
मेहसाणा से 25 किलो मीटर दूर मोढेरा में सूर्य मंदिर स्थित है। मंदिर को इस तरह बनाया गया है की 21 मार्च और 21 सितम्बर को सूर्य की किरणे सीधे सूर्य भगवान की बानी मूर्ति पर पड़ती है। ये मंदिर आज पुरातत्वा विभाग द्वारा संरक्षित किया हुआ है।
कोणार्क सूर्य मंदिर :
ओडिशा का कोणार्क सूर्य मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर की वास्तुकला इतनी चमत्कारी है की सूर्य की किरण सबसे पहले इसके द्वार पर पड़ती है हुए विभिन्न द्वारों से होते हुए मंदिर के गर्भ गृह तक पहुँच जाती है।
राजस्थान रणकपुर मंदिर :
उदयपुर से 90 किलो मीटर दूर अरावली की पहाड़ियों में छुपा रणकपुर मंदिर जैनिओ के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण पूजा स्थल है। सूर्य का प्रकाश मंदिर के अंदर भगवान सूर्य के मूर्ति को प्रकाशमान करता है।
बंगलुरु का गवी गंधारेश्वर मंदिर :
बंगलुरु में स्थित गवी गंधरेश्वर मंदिर भगवार शिव को समर्पित है। अपनी अद्भुत वास्तुकला से सूर्य की किरणे भगवान शिव का अभिषेक करती हैं। इस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।
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