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Anxiety Problem : क्या दिमाग में ही होता है एंजाइटी बंद करने वाला स्विच, नए रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

Anxiety Problem : क्या दिमाग में ही होता है एंजाइटी बंद करने वाला स्विच, नए रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

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एंजाइटी (Anxiety) एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक रूप से भी प्रभावित कर सकती है। इसकी वजह से व्यक्ति को अत्यधिक तनाव, घबराहट, डर और अनिश्चितता का सामना करना पड़ता है।यह न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे हृदय गति बढ़ना, पसीना आना और थकान महसूस होना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

लंबे समय तक Anxiety रहने पर डिप्रेशन, हाई ब्लड प्रेशर और इम्यून सिस्टम की कमजोरी जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।हाल ही में हुई एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने पाया है कि हमारे दिमाग में ही एंजाइटी को नियंत्रित करने वाला एक स्विच मौजूद होता है। यदि इसे सही ढंग से ट्रिगर किया जाए, तो Anxiety के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

नई रिसर्च क्या कहती है?

पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी और टेमासेक लाइफ साइंसेज लेबोरेट्री के वैज्ञानिकों ने इस विषय पर एक विस्तृत अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि सेरिबैलम (Cerebellum) में मौजूद सेरोटोनिन (Serotonin) रिलीजिंग न्यूरॉन्स Anxiety के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं।

इस शोध में चूहों पर प्रयोग किया गया, जिसमें सेरोटोनिन का स्तर बढ़ाने और घटाने का परीक्षण किया गया।

सेरोटोनिन और एंजाइटी का रिश्ता

सेरोटोनिन (Serotonin) एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो मूड, याददाश्त, सीखने और अन्य मानसिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है।

  • यदि दिमाग में सेरोटोनिन का स्तर कम होता है, तो Anxiety की समस्या बढ़ सकती है।
  • सेरोटोनिन का सही स्तर Anxiety को कम करने में मदद कर सकता है।
  • यह रिसर्च बताती है कि सेरोटोनिन हेरफेर करके Anxiety के सटीक इलाज की संभावनाएं खोजी जा सकती हैं।

ब्रेन में मौजूद एंजाइटी बंद करने का स्विच

वैज्ञानिकों ने सेरिबैलम में विशेष नर्व सर्किट को टारगेट किया, जिससे Anxiety के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है।

  • यदि सेरोटोनिन बढ़ाया जाए, तो एंग्जायटी कम होती है।
  • यदि सेरोटोनिन कम किया जाए, तो एंग्जायटी बढ़ जाती है।
  • यह खोज मानसिक स्वास्थ्य के उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

एंजाइटी के लक्षण

अगर कोई व्यक्ति लगातार निम्न लक्षणों को महसूस करता है, तो यह Anxiety का संकेत हो सकता है:

  1. चिंता और घबराहट – बिना कारण डर महसूस करना।
  2. चिड़चिड़ापन – छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना।
  3. बहुत ज्यादा सोचना – अनावश्यक चीजों पर अत्यधिक विचार करना।
  4. नींद न आना – ठीक से सो नहीं पाना।
  5. भूख में कमी – खाने की इच्छा कम होना।
  6. फोकस न कर पाना – किसी भी काम में ध्यान केंद्रित न कर पाना।
  7. जी मिचलाना – पेट में असहज महसूस करना।
  8. डर और अनिश्चितता – किसी भी चीज़ को लेकर असुरक्षित महसूस करना।

एंजाइटी को कम करने के प्राकृतिक तरीके

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अगर कोई व्यक्ति एंग्जायटी से पीड़ित है, तो उसे निम्न उपाय आजमाने चाहिए:

1. मेडिटेशन और योग

ध्यान और योग मानसिक शांति को बढ़ाते हैं और एंग्जायटी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

2. संतुलित आहार

  • सेरोटोनिन बढ़ाने के लिए डार्क चॉकलेट, केला, नट्स और दूध का सेवन करें।
  • प्रोसेस्ड फूड और कैफीन का सेवन कम करें।

3. व्यायाम करें

  • रोजाना 30 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी एंग्जायटी के स्तर को नियंत्रित कर सकती है।
  • रनिंग, स्विमिंग और साइक्लिंग जैसे एक्सरसाइज फायदेमंद होते हैं।

4. सोने की आदत सुधारें

  • रोजाना 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें।
  • सोने से पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज का इस्तेमाल न करें।

5. पॉजिटिव सोच विकसित करें

  • नेगेटिव थॉट्स को कंट्रोल करना जरूरी है।
  • खुद को खुश रखने के लिए पसंदीदा गतिविधियों में शामिल हों।

मानसिक स्वास्थ्य के लिए यह खोज क्यों महत्वपूर्ण है?

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इस शोध से यह साबित हुआ है कि हमारे दिमाग में ही एंग्जायटी को नियंत्रित करने की क्षमता मौजूद है।

  1. सटीक इलाज के लिए नई उम्मीद – सेरोटोनिन स्तर को सही करके एंग्जायटी का प्रभावी इलाज किया जा सकता है।
  2. मेंटल हेल्थ पर नया दृष्टिकोण – दवाइयों के बजाय न्यूरोसाइंस के जरिए उपचार की संभावनाएं बढ़ेंगी।
  3. तनाव और डिप्रेशन से बचाव – मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

एंजाइटी एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है, जो कई शारीरिक और मानसिक जटिलताओं को जन्म दे सकती है। हालिया रिसर्च से यह पता चला है कि हमारे दिमाग में ही Anxiety को नियंत्रित करने वाला एक स्विच मौजूद होता है। सेरिबैलम में सेरोटोनिन के स्तर को नियंत्रित करके एंग्जायटी को प्रभावी रूप से कम किया जा सकता है। यह खोज मानसिक स्वास्थ्य क्षेत्र में नए और क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता रखती है।

डिस्क्लेमर : यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें..

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