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Ayodhya Ram Mandir Ki Nayi Samasya 2024 : करोड़ो की लागत से बने मंदिर पर बारिश का कहर

Ayodhya Ram Mandir Ki Nayi Samasya 2024 : करोडो की लागत से बने मंदिर पर बारिश का कहर

Ayodhya Ram Mandir  जो लाखों हिंदुओं के लिए धार्मिक आस्था का केंद्र है, हाल के वर्षों में बड़े पैमाने पर विकास कार्यों का गवाह बनी है। लेकिन यह विकास कार्य, जो करोड़ों रुपये की लागत से हुआ है, हाल की बारिश के कारण सवालों के घेरे में आ गया है। अयोध्या के विभिन्न हिस्सों में जलभराव और धंसती सड़कों ने प्रशासन और निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

रामपथ कॉरिडोर : विकास या हड़बड़ी ?

रामपथ कॉरिडोर का निर्माण इसी साल 22 जनवरी को  Ayodhya  Ram Mandir उद्घाटन से ठीक पहले हुआ था। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस सड़क को बनाने में लगभग 624 करोड़ रुपये की लागत आई थी। यह सड़क अयोध्या के प्रमुख मार्गों में से एक है और राम मंदिर से जुड़े धार्मिक स्थलों को जोड़ती है। लेकिन उद्घाटन के कुछ महीनों बाद ही, इस सड़क पर गड्ढे और जलभराव ने इसके निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

स्थानीय निवासियों की समस्याएं :

स्थानीय निवासियों का कहना है कि राम मंदिर उद्घाटन के लिए जल्दबाजी में विकास कार्य पूरा कराने की वजह से सड़कों का निर्माण मानकों के आधार पर नहीं हुआ है। एक निवासी ने बताया, “इसी सड़क को बनाने के लिए हम लोगों का घर तोड़ दिया गया और पूरा मुआवज़ा भी नहीं मिला। यही कारण रहा कि भाजपा यहां से हार गई।”

पहली बारिश में ही अव्यवस्था :

23 से 28 जून को हुई बारिश के बाद  Ayodhya  Ram Mandir के मुख्य द्वार पर जलभराव देखा गया। इसके अलावा जलवानपुर, औद्योगिक क्षेत्र गद्दोपुर, कारसेवकपुरम और सिविल लाइंस में भी जगह-जगह पानी भर गया। लोगों के घरों के अलावा, कई सरकारी कार्यालयों में भी पानी भर गया। यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि प्रशासन के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया :

शहर के महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने बीबीसी से कहा, “रामपथ निःसन्देह अयोध्या में एक उपलब्धि है। इस सड़क में इंजीनियरिंग की कुछ समस्याएं थीं इसलिए कुछ गड्ढे आए लेकिन मुझे लगता है वह भी नहीं आने चाहिए थे। निर्माण में कुछ तकनीकी कमियां रह गई होंगी जिसके कारण कुछ गड्ढे हो गए।”

राम मंदिर गर्भगृह में जलभराव का मुद्दा :

22 जून, 2024 की सामान्य बारिश के बाद राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास ने  Ayodhya  Ram Mandir के गर्भगृह की छत से पानी टपकने की बात कही। हालांकि, राम मंदिर निर्माण कार्य की देखरेख करने वाली ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोशल मीडिया पर इस दावे को ग़लत ठहराया। उन्होंने लिखा, “गर्भगृह में जहाँ भगवान रामलला विराजमान है, वहाँ एक भी बूंद पानी छत से नहीं टपका है, और न ही कहीं से पानी गर्भगृह में प्रवेश हुआ है।”

पीडब्ल्यूडी की भूमिका :

पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (पीडब्ल्यूडी) में एडीशनल इंजीनियर ओम प्रकाश वर्मा ने मीडिया से कहा कि, “राम पथ डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड में है। इस अवधि में कोई भी समस्या आने पर निर्माण कार्य एजेंसी के द्वारा ही कराया जाएगा। आगामी मानसून के दौरान पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा संबंधित निर्माण एजेंसी की ओर से सतत निगरानी रखी जाएगी।”

दीर्घकालिक विकास की चुनौतियाँ :

अयोध्या के सम्पूर्ण विकास में कहीं भारी तकनीकी चूक है या सिर्फ बारिश का प्रभाव है, इस पर कुछ भी कह पाना किसी के लिए आसान नहीं है। जहां सत्ता पक्ष बारिश के बाद पैदा हुई अव्यवस्था को क्षणिक मान रहा है, वहीं विपक्ष इसे भारी चूक बता रहा है। अयोध्या के विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए हैं, लेकिन इन समस्याओं ने दीर्घकालिक और टिकाऊ विकास मॉडल पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सवाल उठते हैं :

  1. जलभराव की समस्या : क्या अयोध्या में बुनियादी जल निकासी व्यवस्था की कमी है?
  2. सड़क निर्माण की गुणवत्ता : क्या निर्माण कार्य में तकनीकी कमियां रही हैं?
  3. जल्दबाजी का असर : क्या राम मंदिर उद्घाटन के लिए जल्दबाजी में किए गए विकास कार्यों ने गुणवत्ता को प्रभावित किया है?
  4. मुआवजा और पुनर्वास : क्या स्थानीय निवासियों को उनके घरों के बदले उचित मुआवजा और पुनर्वास मिला है?

निष्कर्ष

अयोध्या में हुए विकास कार्यों का उद्देश्य शहर को एक भव्य और दिव्य रूप देना था। लेकिन हाल की बारिश ने इन कार्यों की गुणवत्ता और दीर्घकालिक प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रशासन और निर्माण एजेंसियों को इन समस्याओं का स्थायी समाधान निकालना होगा ताकि अयोध्या वासियों का जीवन सहज हो सके और वे अपने शहर के विकास पर गर्व कर सकें।

अयोध्या के विकास कार्यों में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना न केवल स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी है, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों की भी है। केवल तभी हम अयोध्या को एक सच्चे भव्य और दिव्य शहर के रूप में देख सकेंगे।

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