Bitcoin से राजनीति में बवाल : क्या ये भारत में अवैध है? सरकार व आरबीआई का इस पर क्या रुख है.
Bitcoin : राजनीति में बिटकॉइन से बवाल; क्या ये भारत में अवैध है? सरकार व आरबीआई का इस पर क्या रुख है.
Cryptocurrency Status in India : भारत में क्रिप्टोकरेंसी और विशेष रूप से बिटकॉइन (Bitcoin) एक बार फिर चर्चा में हैं। कांग्रेस के महाराष्ट्र अध्यक्ष नाना पटोले और एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले पर “अवैध बिटकॉइन गतिविधियों” में शामिल होने का आरोप लगा है। यह आरोप ना केवल राजनीति में हलचल मचा रहा है बल्कि क्रिप्टोकरेंसी की स्थिति को लेकर लोगों में जिज्ञासा भी बढ़ा रहा है। क्या बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी भारत में वैध हैं? भारत सरकार और आरबीआई का इस पर क्या रुख है? आइए, इन सवालों के जवाब विस्तार से जानते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी : एक परिचय
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, जिसे क्रिप्टोग्राफी तकनीक के जरिए सुरक्षित किया जाता है। यह एक विकेंद्रीकृत प्रणाली पर आधारित होती है और ब्लॉकचेन तकनीक के जरिए लेन-देन का रिकॉर्ड रखा जाता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण Bitcoin है, जिसे 2009 में लॉन्च किया गया था।
बिटकॉइन का कोई भौतिक रूप नहीं है और इसे केवल डिजिटल माध्यम से ही देखा और उपयोग किया जा सकता है। इसकी आपूर्ति किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित नहीं की जाती, बल्कि यह स्वतंत्र प्रोटोकॉल और एल्गोरिदम पर आधारित है।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी स्थिति :
भारत में क्रिप्टोकरेंसी अभी पूरी तरह से वैध नहीं है। हालांकि, इसे अवैध कहना भी सही नहीं होगा। भारत सरकार ने 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30% टैक्स लगाने की घोषणा की थी। इसके अलावा, लेन-देन पर 1% टीडीएस भी लागू किया गया है।
लेकिन, यह टैक्स लगाना इसे वैधता नहीं देता। यह केवल सरकार का एक कदम है जिससे क्रिप्टो गतिविधियों को ट्रैक किया जा सके और इनसे राजस्व प्राप्त किया जा सके।
आरबीआई का रुख :
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हमेशा क्रिप्टोकरेंसी को वित्तीय स्थिरता और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा माना है। आरबीआई ने 2018 में एक परिपत्र जारी कर बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देन पर रोक लगा दी थी।
हालांकि, 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने इस परिपत्र को रद्द कर दिया और क्रिप्टो लेन-देन को फिर से अनुमति दी। बावजूद इसके, आरबीआई का कहना है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी अर्थव्यवस्था के लिए खतरा हैं और इन्हें पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी निजी क्रिप्टो परिसंपत्तियों के उपयोग के मसले पर संशय में है और इसे देश की व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता के लिए एक बड़ा खतरा मानता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बार-बार कहा है कि निजी संस्थाओं की ओर से जारी क्रिप्टोकरेंसी मुद्रा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि जब भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल मुद्रा जारी करेगा, तब वह मुद्रा होगी।
सरकार का दृष्टिकोण :
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया है कि निजी क्रिप्टोकरेंसी को वैध मुद्रा नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा है कि डिजिटल मुद्रा केवल तभी वैध होगी जब इसे आरबीआई द्वारा जारी किया जाएगा।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया है। क्रिप्टोकरेंसी सीमाहीन होती है, इसलिए इसे नियंत्रित करने के लिए वैश्विक नियमों और मानकों की जरूरत है।
क्रिप्टोकरेंसी पर वर्तमान नीति :
भारत में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कई आयाम अभी भी अस्पष्ट हैं। सरकार ने क्रिप्टो पर काम करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) का गठन किया है। यह समूह क्रिप्टो संपत्तियों के लिए एक व्यापक नीति तैयार करने पर विचार कर रहा है।
इसके अलावा, क्रिप्टो लेन-देन को एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग कानूनों के तहत भी विनियमित किया जा रहा है। इससे जुड़े एक्सचेंजों पर जीएसटी लगाया जाता है और इससे हुई आय पर आयकर लगाया जाता है।
बिटकॉइन (Bitcoin) और राजनीति :
बिटकॉइन (Bitcoin) का उपयोग राजनीति में चुनाव प्रचार और धन इकट्ठा करने के लिए किया जाना कई देशों में एक विवादास्पद मुद्दा रहा है। भारत में भी, नाना पटोले और सुप्रिया सुले पर लगे आरोपों ने इस बहस को और तेज कर दिया है। हालांकि, इस मामले की जांच चल रही है और इस पर कोई ठोस निष्कर्ष अभी नहीं निकला है।
भविष्य की संभावनाएं :
क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य भारत में अभी अनिश्चित है। सरकार और आरबीआई दोनों इसे लेकर सतर्क हैं। हालांकि, ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग अन्य क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है और इसे भविष्य की तकनीक के रूप में देखा जा रहा है। वर्तमान में, आरबीआई, सेबी और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों वाला एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक व्यापक नीति पर विचार कर रहा है।
यदि सरकार और नियामक संस्थान एक संतुलित नीति तैयार कर पाते हैं, तो क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन तकनीक भारत की अर्थव्यवस्था में एक नया आयाम जोड़ सकते हैं।भारत में क्रिप्टोकरेंसी अभी एक विवादास्पद विषय है। जबकि इसके लाभ और संभावनाएं बड़े हैं, इसके साथ जुड़े जोखिम और चुनौतियां भी उतनी ही बड़ी हैं। सरकार और आरबीआई को एक व्यापक और संतुलित नीति की आवश्यकता है ताकि क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित किया जा सके और इसके संभावित जोखिमों को कम किया जा सके।
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