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Bollywood Old Diva Mumtaz : जब एक्ट्रेस डर गयी देव आनंद की बहन बनने से , लिया बड़ा फैसला

Bollywood Old Diva Mumtaz : जब एक्ट्रेस डर गयी देव आनंद की बहन बनने से , लिया बड़ा फैसला

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Mumtaz का संघर्ष और सफलता का सफर की कहानी एक मिशाल है की अर्श से फर्श तक सफर आसान नहीं होता। हिंदी सिनेमा का इतिहास समृद्ध और व्यापक है, जो 100 साल से भी अधिक का है। इस दौर में कई दिलचस्प कहानियाँ और किस्से सुनने को मिलते हैं। 100 वर्षों के फिल्म उद्योग में कई कलाकार आए और गए। कुछ ने तुरंत सफलता पाई, जबकि अन्य ने दिन-रात मेहनत कर सफलता हासिल की।

ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं मुमताज़, जिन्होंने प्रसिद्ध अभिनेताओं से कई बार अस्वीकृति का सामना किया, लेकिन कभी हार नहीं मानी। एक जूनियर आर्टिस्ट से सपोर्टिंग लीड और फिर मुख्य भूमिकाओं तक का सफर तय करने वाली मुमताज़ आज अपने 77वें जन्मदिन का जश्न मना रही हैं।मुमताज़ का जन्म 31 जुलाई 1947 को मुंबई में हुआ था। उनका असली नाम मुमताज़ अस्करी माधवानी  है।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1958 में फिल्म ‘सोने की चिड़िया’ से की थी। शुरू में उन्हें छोटी-छोटी भूमिकाएं ही मिलती थीं, लेकिन उनकी मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें जल्द ही बड़े पर्दे पर स्थापित कर दिया। 1960 और 1970 के दशक में मुमताज़ ने ‘खिलाड़ी’, ‘ब्रह्मचारी’, ‘बंधन’, ‘अदालत’, ‘रोटी’, ‘सच्चा झूठा’, ‘अपना देश’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया। उनके अभिनय की गहराई और उनकी खूबसूरती ने उन्हें दर्शकों का प्रिय बना दिया। उन्होंने अपने अभिनय से कई पुरस्कार भी जीते।

‘हरे रामा हरे कृष्णा’ और मुमताज़ का साहसिक फैसला :

वयोवृद्ध अभिनेत्री Mumtaz उस समय की फैन फेवरेट थीं। कई प्रसिद्ध फिल्मों में उन्होंने 1960 और 1970 के दशक में काम किया। उनमें से एक फिल्म थी ‘तेरे मेरे सपने’, जिसमें उन्होंने पहली बार देव आनंद के साथ काम किया। देव आनंद तब अपनी 1971 की हिट फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने मुमताज़ को फिल्म में एक महत्वपूर्ण भूमिका की पेशकश की, लेकिन मुमताज़ ने इसे ठुकरा दिया।

मुमताज़ ने एक इंटरव्यू में बताया कि ‘तेरे मेरे सपने’ के बाद, देव आनंद ने ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ में जनिस की भूमिका की पेशकश की थी। फिल्म भाई-बहन के रिश्ते पर आधारित थी। मुमताज़ ने महसूस किया कि दर्शकों को उन्हें देव आनंद की बहन के रूप में देखना पसंद नहीं आएगा, क्योंकि दर्शकों ने ‘तेरे मेरे सपने’ में उनकी और देव की जोड़ी को बहुत पसंद किया था। इसलिए उन्होंने शांति की भूमिका चुनने का फैसला किया, जिसे वह फिल्म में निभाना चाहती थीं। जनिस की मुख्य भूमिका ज़ीनत अमान ने निभाई।

ज़ीनत अमान का उदय और मुमताज़ का आत्मविश्वास :

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Mumtaz को इस पर कोई आपत्ति नहीं थी, क्योंकि वह जानती थीं कि ज़ीनत अमान इंडस्ट्री में नई थीं और मुमताज़ तब एक शीर्ष अभिनेत्री थीं। फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ हिट रही और ज़ीनत अमान को इसका सबसे बड़ा फायदा हुआ। जबकि मुमताज़ का करियर इस फिल्म के बाद कुछ हद तक पीछे छूट गया। लोगों ने फिल्म में ज़ीनत अमान और देव आनंद की केमिस्ट्री को खूब पसंद किया और इसके बाद निर्माता-निर्देशकों ने देव आनंद और ज़ीनत अमान को कई फिल्मों के लिए साइन किया।

इस एक फिल्म से ज़ीनत अमान ने मुमताज़ की स्टारडम को रातों-रात छीन लिया।मुमताज़ की कहानी उनके समर्पण और मेहनत की कहानी है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक जूनियर आर्टिस्ट के रूप में की और अपनी मेहनत और लगन से एक सफल अभिनेत्री बनीं। मुमताज़ का करियर हिंदी सिनेमा के स्वर्णिम युग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और उनकी अदाकारी हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेगी।

आज Mumtaz के 77वें जन्मदिन पर, हम उन्हें एक शानदार अभिनेत्री के साथ साथ एक बेहतरीन नृत्यांगना के रूप में याद करते हैं जिन्होंने हमें अपनी अदाकारी से कई यादगार पल दिए हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि किसी भी मुश्किल परिस्थिति में हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने सपनों के पीछे चलते रहना चाहिए।

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