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Chaitra Month Date 2024 : चिन्तामण गणेशन दूर करेंगे सारी बाधाएँ

Chaitra Month Date 2024 : चिन्तामण गणेशन दूर करेंगे सारी बाधाएँ

Chaitra Month Date 2024 : जैसा की हम सब जानते हैं की विश्व प्रसिद्ध नगरी उज्जैन महाकाल बाबा शिव की पूजा के साथ चिन्तामण गणेश की पूजा के लिए जानी जाती है। चुकी चिन्तामण गणेश मंदिर में  चैत्र मास में चार बुधवार होने से जत्रा लगेगी। अतः 27 मार्च को पहली , 3 अप्रैल को दूसरी , 10 अप्रैल को तीसरी , तथा 17 अप्रैल को शाही जत्रा का आयोजन उज्जैन से शुरू होगा।

चैत्र मास का धार्मिक महत्व :

उज्जैन महानगरी में पूजा के लिए लोग देश के कोने कोने से आते हैं। हमारे धार्मिक ग्रंथों में बाबा महाकाल की पूजा , भगवान्  गणेश की पूजा के बिना अधूरी मानी जाती है। उज्जैन से 10 किलो मीटर की दुरी पर भगवान्  गणेश का मंदिर है , जहाँ हर साल Chaitra Month की बुधवार को भक्तों का मेला लगता है। Chaitra Month में मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ होती है। जिसके लिए मंदिर में भव्य तैयारियां की जाती हैं। यहाँ किसान अपनी खुशियां बांटने  भगवान गणेश के मंदिर में अपनी फसल ले कर पहुँचते हैं। फसल भगवन चिन्तामण गणेश को अर्पित करते हैं।

इस साल निकलेगी चार जत्रा  :

इस बार  Chaitra Month  में चुकी चार बुधवार होने से चार जत्रा लगेगी। 27 मार्च , 3 अप्रैल , 10 अप्रैल और 17 अप्रैल को शाही जत्रा का आयोजन किया जायेगा। हम सब जानते हैं की भारत देश आस्था और विश्वास से भरा देश है। Chaitra Month के इन चारों बुधवार को भक्तों का जनसैलाब उमड़ेगा। ऐसा माना जाता है की जो भक्त एक बार यहाँ आकर भगवान गणेश के दर्शन कर लेता है , तो उसकी सारी चिंताएं दूर हो जाती हैं। अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भक्त उज्जैन  नगरी आते हैं। 

फसल चढ़ाने  की परंपरा :

जत्रा का मतलब शुभ मुहूर्त से होता है। हमारे देश की ये बहुत ही  पुरानी परंपरा रही है की , किसी भी शुभ काम को करने से पहले हम शुभ मुहूर्त देखते  हैं तभी काम शुरू हो पाता है जिसे हम जत्रा कहते हैं। इसका सीधा मतलब ये समझा जा सकता है की जिस काम को लोग करने जा रहे हैं उस पर भगवान का आशीर्वाद बना रहे  और किसी  भी अशुभ  चीज़ का उस पर कोई प्रभाव न पड़े।

ठीक उसी तरह जब किसानो की फसल पक जाती है तो उनका खलिहान धन धान्य से भर जाता है , जिसका कुछ हिस्सा किसान चिन्तामण गणेश को अपनी आस्था स्वरुप चढ़ाते हैं। ताकि भगवान गणेश का आशीर्वाद उनपे बना रहे और अपनी फसल को सही जगह बिना किसी चिंता के पहुंचा सके। यह एक पुरानी परंपरा है , जिसने बाद में जाकर जत्रा का रूप ले लिया। इसी तरह अलग अलग मनोकामना के साथ अलग अलग लोग  चिंतामन गणेश की आराधना के लिए चैत्र मंथ में उज्जैन पहुँचते हैं।

भगवान राम द्वारा स्थापित :

वैसे तो हमारे देश भारत में भगवान गणेश के कई सुप्रसिद्ध मंदिर हैं। ऐसा माना जाता है की भगवन राम ने वनवास से लौटने के बाद चिन्तामण गणेश की स्थापना की थी। वहीँ ये बात मानी जाती है की इच्छामन गणेश और सिद्धिविनायक की स्थापना लक्ष्मण और माता सीता के द्वारा की गयी है। हमारी पुराणी मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है की Chaitra Month के बुधवार के दिन , चिन्तामण गणेश की आराधना करने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं और चिन्तामण गणेश हमारी सारी चिंताएँ दूर कर देते हैं।

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