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Chaitra Navratri 2024
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Chaitra Navratri 2024 : माँ दुर्गा की अराधना के साथ नीम के उपाय

Chaitra Navratri 2024 : माँ दुर्गा की अराधना के साथ नीम के उपाय

Chaitra Navratri 2024

सनातन धर्म में Chaitra Navratri और शारदीय नवरात्र को एक ऐसा समय माना जाता है जब माँ दुर्गा की पूजा करके अपनी सारी मनोकामनाओं को पूरा करने का संकल्प किया जाता है। इस साल 9 अप्रैल , दिन मंगलवार से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो रही है। हिन्दू मान्यताओं में नवरात्र का काफी धार्मिक महत्व है।

चैत्र में नीम का महत्व :

सनातन धर्म में किसी भी पूजा पाठ का कोई न कोई वैज्ञानिक महत्व होता है और पर्यावरण से इसका सीधा सम्बन्ध होता है। चैत्र में नीम के पेड़ और पत्तों का पारस्परिक सम्बन्ध सब जानते हैं। चुकी चैत्र माह में नीम के पेड़ में नए नए पत्तों का आगमन होता है , और इस तरह से इन पत्तों का या फिर डालियों का उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में कर सके  , इसलिए इसे पूजा के साथ जोड़ देने का काम सनातन धर्म करता है।

Chaitra Navratri  में नीम को आसानी से उपलब्ध किया जा सकता है और इसी महीने माँ दुर्गा की आराधना भी की जाती है। चित्र नवरात्र में नीम की पत्तियों का सेवन किया जाता है और नीम की लकड़ियों का हवन किया जाता है। मन जाता है की ऐसा करने से राहु और केतु के बुरे प्रभाव को काम किया जाता है। नीम की पत्तियों को माँ दुर्गा की पूजा में शामिल करना भी काफी शुभ माना जाता है।

नवरात्र में नीम की सुखी लकड़ियों और पत्तियों से हवन करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है साथ ही नीम के हवन से निकले हुए धुंए से वातावरण की शुद्धि भी होती है। वहीँ अगर हमारे घर में नीम का वृक्ष लगा हुआ है तो ऐसा माना जाता है की माँ भगवती हमसे प्रसन्न होती हैं।

रोगों से मिलती है मुक्ति :

Chaitra Navratri 2024

चैत्र माह में मंगलवार के दिन नीम के पेड़ की पूजा करने और जल चढाने का नियम बनाया गया है। इसके साथ ही वृक्ष के निचे चमेली के तेल का दिया जलाएं। ऐसा करने से  आपको कई प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल सकती है। इसके अलावा हनुमान जी का भी आशीर्वाद हम सब पर बना रहता है। माना जाता है की नीम  में कई रोगों से मुक्ति का वरदान तो है ही , साथ ही देवी के भी आस्रवाद मने मिल जाते हैं। 

इसीलिए Chaitra Navratra  के दौरान नीम की पत्तियों को जरूर शामिल करें। नीम का पेड़ घर पे ना हो तो नीम के पत्तों से घर को सजाएँ हुए मुख्या द्वार को नीम के वंदनवार से सजा सकते हैं। तोरण भी बना कर लगा सकते हैं।

ऐसा माना जाता है की भगवन सूर्य भी कोलाहल दैत्य से काफी परेशान थे , उन्होंने भी नीम के पेड़ पर अपना आवास बनाया था। इस तरह सूर्य के सभी गुण नीम के पेड़ में आ गए। इस तरह नीम के पेड़ का हमारे हिन्दू जीवन में काफी महत्व है।

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