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Interesting Facts About Bhandasar Jain Temple : घी से बने भांडासर जैन मंदिर की अद्वितीय धरोहर, जहां श्रद्धा और कला का अद्भुत संगम है!

Interesting Facts About Bhandasar Jain Temple : घी से बने भांडासर जैन मंदिर की अद्वितीय धरोहर, जहां श्रद्धा और कला का अद्भुत संगम है!

Bhandasar Jain Temple : भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में मंदिरों का विशेष स्थान है। प्राचीन काल से लेकर आज तक मंदिर निर्माण में कई अद्वितीय और चमत्कारी विधियों का इस्तेमाल किया गया है, जो श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है राजस्थान के बीकानेर जिले में स्थित भांडासर जैन मंदिर (Bhandasar Jain Temple), जो अपनी अनूठी निर्माण प्रक्रिया के कारण विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसका निर्माण पानी की बजाय घी से किया गया है। इस लेख में हम भांडासर जैन मंदिर के इतिहास, वास्तुकला, और उसकी अद्वितीय निर्माण विधि के बारे में विस्तार से जानेंगे।

भांडासर जैन मंदिर (Bhandasar Jain Temple) का इतिहास :

भांडासर जैन मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी के आसपास हुआ था। इसे एक धनी व्यापारी बंदा शाह ओसवाल ने जैन धर्म के पांचवें तीर्थंकर, भगवान सुमतिनाथ को समर्पित किया था। बंदा शाह ओसवाल ने इस मंदिर के निर्माण के लिए अपनी सारी संपत्ति दान कर दी थी, और उन्होंने इसे विशिष्ट बनाने के लिए असाधारण निर्माण सामग्री का प्रयोग किया। मंदिर के निर्माण में घी का उपयोग करने की कहानी न केवल इस मंदिर को अद्वितीय बनाती है, बल्कि यह राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में लोगों के जीवन और चुनौतियों को भी उजागर करती है।

घी से मंदिर का निर्माण : एक अनोखी कहानी

भांडासर मंदिर की नींव में पानी की बजाय घी का उपयोग करने के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है। जब बंदा शाह ओसवाल ने इस मंदिर के निर्माण की योजना बनाई, तो गांव वालों ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि उस इलाके में पानी की बहुत कमी है और यदि मंदिर के निर्माण में पानी का उपयोग किया गया तो उनके पास पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं बचेगा। गांव वालों की इस चिंता को सुनने के बाद बंदा शाह ने एक अनूठा निर्णय लिया। उन्होंने पानी की जगह घी का उपयोग कर मंदिर का निर्माण करवाने का निश्चय किया।

हालांकि यह निर्णय असाधारण और चौंकाने वाला था, लेकिन बंदा शाह ने इसे सफलतापूर्वक पूरा किया। मंदिर की नींव में लगभग 40,000 लीटर घी का उपयोग किया गया था। आज भी, गर्मी के दिनों में मंदिर की फर्श और स्तंभों से घी रिसता हुआ दिखाई देता है। इस घटना को लेकर कई किंवदंतियां प्रचलित हैं, लेकिन यह निश्चित है कि इस प्रकार का निर्माण कहीं और नहीं देखा गया है, जो इसे दुनिया का एकमात्र घी से बना मंदिर बनाता है।

भांडासर जैन मंदिर (Bhandasar Jain Temple) की वास्तुकला :

भांडासर जैन मंदिर न केवल अपनी अनूठी निर्माण विधि के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी वास्तुकला भी अत्यधिक प्रभावशाली है। यह मंदिर तीन मंजिलों में विभाजित है, और हर मंजिल जैन संस्कृति का एक अलग पहलू प्रदर्शित करती है। मंदिर के अंदरूनी हिस्सों में अत्यधिक सुंदर और बारीक नक्काशी की गई है। मंदिर की दीवारों और छतों पर सुंदर रंगीन चित्र उकेरे गए हैं, जो जैन धर्म की धार्मिक कथाओं और भगवान सुमतिनाथ की महिमा का वर्णन करते हैं।

मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर गर्भगृह तक हर कोने में जैन धर्म की संस्कृति और कलात्मकता झलकती है। मंदिर के स्तंभों पर की गई नक्काशी और रंगीन चित्र इसकी भव्यता को और भी बढ़ाते हैं। यहाँ की दीवारों पर स्वर्ण आभूषणों और फूलों की आकृतियों के साथ किए गए सजावटी कार्य, 15वीं शताब्दी की उत्कृष्ट कला को दर्शाते हैं।

मंदिर की धार्मिक महत्ता :

भांडासर जैन मंदिर जैन धर्म के पांचवें तीर्थंकर, भगवान सुमतिनाथ को समर्पित है। यह स्थान जैन अनुयायियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और यहाँ हर साल हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में पूजा-अर्चना करने से उनकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और उन्हें मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। मंदिर में भगवान सुमतिनाथ की प्रतिमा स्थापित है, जो शांत और दयालु मुद्रा में विराजमान है। श्रद्धालु यहाँ आकर भगवान की पूजा करते हैं और जैन धर्म के आदर्शों का अनुसरण करते हैं।

मंदिर की संरचना और संरक्षण :

भांडासर जैन मंदिर अपनी स्थापत्य भव्यता के साथ-साथ मजबूत संरचना के लिए भी प्रसिद्ध है। तीन मंजिलों में विभाजित यह मंदिर आज भी प्राचीन काल की स्मृतियों को संजोए हुए है। इसके निर्माण में किए गए नवाचारों और अद्वितीय विधियों के कारण यह मंदिर स्थायित्व और सौंदर्य दोनों का प्रतीक है। हालाँकि, समय के साथ-साथ मंदिर को संरक्षित रखने के लिए नियमित रूप से मरम्मत और देखभाल की जाती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इस मंदिर के संरक्षण का काम देखता है ताकि इसकी सांस्कृतिक धरोहर बनी रहे।

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र :

भांडासर जैन मंदिर न केवल जैन अनुयायियों के लिए बल्कि इतिहास, कला, और वास्तुकला में रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। मंदिर की अद्वितीयता और इसके निर्माण की कहानी लोगों को यहाँ आने के लिए प्रेरित करती है। बीकानेर के अन्य प्रसिद्ध मंदिरों के साथ यह मंदिर भी राजस्थान के समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास को जानने का अवसर प्रदान करता है। मंदिर का शांत वातावरण, सुंदर चित्र और घी से बना इसका अनूठा इतिहास यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को मंत्रमुग्ध कर देता है।

निष्कर्ष

भांडासर जैन मंदिर (Bhandasar Jain Temple) न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी अद्वितीय निर्माण प्रक्रिया और वास्तुकला इसे विश्वभर में अलग पहचान देती है। घी से बने इस मंदिर की कहानी हमें यह सिखाती है कि इतिहास में किस प्रकार के अनोखे विचारों का प्रयोग किया गया है, जो आज भी हमारी धरोहर के रूप में जीवित हैं। यह मंदिर न केवल एक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय कला और संस्कृति की महानता को भी प्रदर्शित करता है।

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