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Fintech Company : भारत में भी आम जिंदगियों का हिस्सा बन गयी फिनटेक कंपनियां , डिजिटल वित्तीय युग का निर्माण और भविष्य की दिशा”

Fintech Company : भारत में भी आम जिंदगियों का हिस्सा बन गयी फिनटेक कंपनियां , डिजिटल वित्तीय युग का निर्माण और भविष्य की दिशा”

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Fintech Company आजकल भारत के बाजार का अहम हिस्सा बन चुकी हैं। यह कंपनियां न केवल बाजार के ढांचे को बदल रही हैं, बल्कि लोगों की खर्च करने की प्रवृत्तियों में भी बदलाव ला रही हैं। पहले जहां लोग केवल नकद में भुगतान करते थे, वहीं अब डिजिटल माध्यमों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। ये परिवर्तन खासकर नोटबंदी और कोरोनाकाल के दौरान हुए लॉकडाउन के बाद हुए हैं, जब मोबाइल फोन का इस्तेमाल और डिजिटल भुगतान के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव देखे गए। पेटीएम, गूगल पे, फोन पे जैसे एप्लिकेशन अब आम जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं और भारत में मोबाइल के जरिए लेनदेन की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा हो रही है।

क्या होती हैं Fintech Company

“Fintech” का मतलब है “फाइनेंसियल टेक्नोलॉजी” (वित्तीय प्रौद्योगिकी)। यह केवल उन कंपनियों तक सीमित नहीं है जो हमें दैनिक लेनदेन की सेवाएं प्रदान करती हैं, बल्कि इसमें कई कंपनियां शामिल हैं जो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके ग्राहकों को विभिन्न वित्तीय सेवाएं प्रदान कर रही हैं। उदाहरण के लिए, आजकल हम सीधे ग्रो, पेटीएम मनी जैसे ऐप्स का उपयोग करके शेयरों और एसआईपी में निवेश कर सकते हैं।

इसके साथ ही बैंकों ने भी अपने ऐप्स लॉन्च किए हैं जिनके माध्यम से ग्राहक आसानी से लेनदेन कर सकते हैं। 2009 में नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा कई कदम उठाए गए, जिनसे भारत में फिनटेक कंपनियों के लिए रास्ता खुला और अब भारत में फिनटेक कंपनियां पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं से हटकर नए प्रकार की अर्थव्यवस्था का निर्माण कर रही हैं, जिससे ग्राहक 24 घंटे वित्तीय सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

भारत में  Fintech कंपनियों का विकास

भारत में फिनटेक कंपनियों का विकास इंटरनेट की पहुंच के बढ़ने के साथ हुआ है। इसके बढ़ते दायरे को हम कई चरणों में विभाजित कर सकते हैं:

  1. 2000 से पहले: बैंकिंग सेवाएं मुख्यतः कोर बैंकिंग सिस्टम (CBS) और IT के माध्यम से संचालित हो रही थीं। इसके बाद एटीएम, NEFT, RTGS और इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन की शुरुआत हुई।

  2. 2000 से 2015: इस अवधि में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए। 2009 में डिजिटल सत्यापन की शुरुआत हुई। 2010 में नेशनल पेमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा तत्काल भुगतान सेवाओं की शुरुआत की गई। 2013 में ई-कॉमर्स में वृद्धि हुई और पेटीएम ने अपनी सेवाएं प्रदान करना शुरू कर दिया। 2014 में मोदी सरकार द्वारा जनधन योजना की शुरुआत की गई, जिससे बैंकों ने समाज के सभी वर्गों तक अपनी पहुंच बनाई।

  3. 2016 से 2020: नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान की आदत बढ़ी और 2016 में UPI (Unified Payments Interface) की शुरुआत हुई, जिसने डिजिटल लेनदेन में क्रांति ला दी। इस दौरान पॉलिसीबाजार, फोन पे, जेरोधा जैसे नए एप्लिकेशन बाजार में आए।

  4. 2020 से अब तक: कोरोना महामारी के बाद लॉकडाउन के दौरान डिजिटल भुगतान और तेजी से बढ़े, जिससे यह लोगों की आदत बन गया। इसके अलावा, डिजिटल कर्ज देने की प्रक्रिया, UPI क्रेडिट कार्ड, और क्रिप्टोकरेंसी जैसी सुविधाओं ने फिनटेक के क्षेत्र में नई दिशा दी।

भारत में  Fintech प्रसार में प्रमुख भूमिका

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भारत में फिनटेक के विस्तार में इंटरनेट की भूमिका महत्वपूर्ण रही है। इंटरनेट के बढ़ते उपयोग से डिजिटल भुगतान तेजी से बढ़े हैं। अब भारत में लगभग 80 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो एक विशाल उपभोक्ता बाजार तैयार करता है। स्मार्टफोन और इंटरनेट की कनेक्टिविटी के साथ-साथ, 5G के आगमन से यह क्षेत्र और तेजी से विस्तारित हो रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 88% घरों में स्मार्टफोन और इंटरनेट कनेक्टिविटी है, और 2029 तक 65% मोबाइल धारक 5G का उपयोग करेंगे।

फिनटेक के जरिए कर्ज वितरण और नया क्रेडिट मॉडल

Fintech कंपनियों के जरिए कर्ज देने के नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। पारंपरिक क्रेडिट चेक के बजाय, अब AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के माध्यम से ग्राहकों का विश्लेषण किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप, लघु उद्योगों और गिग वर्करों को आसानी से कर्ज मिल जाता है। इसके अलावा, “BUY NOW, PAY LATER” जैसी योजनाओं ने खरीदारी को और भी आसान बना दिया है, जो एक तरह से कर्ज का ही तरीका है। आंकड़ों के अनुसार, डिजिटल कर्ज देने वाली कंपनियों का आकार 2030 तक 515 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।

भारत में Fintech क्षेत्र के नए अवसर और चुनौतियां

भारत में फिनटेक के क्षेत्र में वेल्थटेक और इंश्योरटेक जैसी नई तकनीकों का भी विकास हो रहा है। वेल्थटेक का बाजार इस वर्ष के अंत तक 60 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसके अलावा, एम्बेडेड फाइनेंस जैसी सेवाएं जहां वित्तीय सेवाएं गैर-वित्तीय प्लेटफार्मों के जरिए दी जाती हैं, जैसे अमेज़न पे और ओला मनी, भी विकसित हो रही हैं। अनुमान है कि 2030 तक एम्बेडेड फाइनेंस का रेवेन्यू 25 बिलियन डॉलर तक हो सकता है।

हालांकि, इस विकास के साथ कुछ प्रमुख चुनौतियां भी सामने आई हैं। फिनटेक कंपनियों में मजबूत साइबर सुरक्षा की कमी और ग्राहकों की व्यक्तिगत जानकारी की चोरी का खतरा बढ़ गया है। इसके अलावा, डिजिटल धोखाधड़ी के मामले में भी वृद्धि हुई है। 2023 में धोखाधड़ी के मामलों में 65% की बढ़ोतरी देखी गई, जिसमें वित्तीय नुकसान 1200 करोड़ रुपये से अधिक हुआ। वहीं, आरबीआई ने नियमों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर प्रतिबंध भी लगाया है।

चिंताजनक पहलू और समाधान

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Fintech के विस्तार के बावजूद कुछ चिंताजनक पहलू भी सामने आए हैं:

  1. ग्रामीण क्षेत्र में डिजिटल वित्तीय सेवाओं का सीमित उपयोग: केवल 38% ग्रामीण या अर्द्ध शहरी भारतीय डिजिटल वित्तीय सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं। वहीं, 11.30 करोड़ जनधन खाते निष्क्रिय पड़े हुए हैं।

  2. Fintech निवेश में कमी: 2023 में फिनटेक कंपनियों ने केवल 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर जुटाए, जो 2022 के मुकाबले 300% कम है।

  3. UPI लेनदेन में सीमित प्रतिस्पर्धा: तीन कंपनियां (फोनपे, गूगल पे, पेटीएम) 94% से अधिक UPI लेनदेन कर रही हैं, जिससे नई कंपनियों को बाजार में प्रवेश करने में दिक्कत हो रही है।

निष्कर्ष

भारत को Fintech के क्षेत्र में और आगे बढ़ने के लिए प्रभावी रेग्युलेशन्स और जागरूकता की आवश्यकता है। लोगों को डिजिटल धोखाधड़ी से बचने के लिए शिक्षित करना और नई तकनीकों का सही तरीके से उपयोग करना महत्वपूर्ण है। अगर इन चुनौतियों का समाधान किया गया, तो भारत फिनटेक का एक बड़ा केंद्र बन सकता है और वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकता है।

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