IAS Govind Mohan Today : प्रशासनिक दक्षता और कर्मठता के प्रतीक गोविंद मोहन बने नए केंद्रीय गृह सचिव , चुनौतियों से निपटने को तैयार।
वरिष्ठ आईएएस गोविंद मोहन ( IAS Govind Mohan ) को 22 अगस्त 2024 को केंद्रीय गृह सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। वे इस पद पर अजय कुमार भल्ला का स्थान लेंगे, जिन्होंने पांच वर्षों तक इस महत्वपूर्ण पद पर सेवा दी। गोविंद मोहन का यह नियुक्ति सरकार के प्रशासनिक तंत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक है। उनके पास केंद्र सरकार और सिक्किम राज्य में विभिन्न पदों पर काम करने का व्यापक अनुभव है, जो उन्हें इस चुनौतीपूर्ण भूमिका के लिए उपयुक्त बनाता है।
आईएएस गोविंद मोहन ( IAS Govind Mohan ) का करियर और शिक्षा :
गोविंद मोहन का जन्म और शिक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हुई, जहां से उन्होंने बीटेक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया। 1989 बैच के सिक्किम कैडर के आईएएस अधिकारी मोहन ने अपने करियर की शुरुआत सिक्किम में की, जहां उन्होंने विभिन्न महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। उन्होंने न केवल सिक्किम में बल्कि केंद्र सरकार में भी अपनी दक्षता और क्षमता को साबित किया है।
मोहन की नियुक्ति से पहले, वे केंद्रीय संस्कृति सचिव के रूप में कार्यरत थे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारतीय संस्कृति और धरोहर को संरक्षित और बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनकी इस भूमिका में उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की गई, जिसमें उन्होंने देश की सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण में अपना योगदान दिया।
केंद्र सरकार में व्यापक अनुभव :
गोविंद मोहन को केंद्र सरकार में काम करने का व्यापक अनुभव है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवा दी है, जिनमें केंद्रीय गृह मंत्रालय भी शामिल है। केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्य करते हुए, मोहन ने कई महत्वपूर्ण मामलों को संभाला। उनकी दक्षता और कुशलता के कारण उन्हें गृह मंत्रालय में विशेष कार्य अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने महत्वपूर्ण निर्णयों और नीतियों के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाई।
मोहन को उनकी कर्मठता और प्रशासनिक क्षमता के लिए जाना जाता है। उनके नेतृत्व में, केंद्र शासित प्रदेशों में कानून व्यवस्था की स्थिति को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए।
कोविड-19 महामारी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका :
गोविंद मोहन की सबसे उल्लेखनीय भूमिका कोविड-19 महामारी के दौरान रही। जब देश में महामारी का प्रकोप बढ़ रहा था, उस समय मोहन ने सरकार के प्रमुख अधिकारियों में से एक के रूप में कार्य किया। उन्हें विभिन्न प्रोटोकॉल के लिए लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की निगरानी और राज्यों के साथ सुचारू समन्वय सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
उनकी नेतृत्व क्षमता के कारण ही महामारी के दौरान केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल बना रहा। मोहन ने सुनिश्चित किया कि महामारी के दौरान सभी प्रोटोकॉल का सही तरीके से पालन हो और स्वास्थ्य सेवाओं में किसी भी प्रकार की कमी न हो। उनकी इस भूमिका को सरकार और समाज दोनों ने सराहा।
जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव : सबसे बड़ी चुनौती
केंद्रीय गृह सचिव के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, गोविंद मोहन के सामने सबसे बड़ी चुनौती जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराना है। निर्वाचन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में 18 सितंबर 2024 से तीन चरणों में मतदान की घोषणा की है।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराना हमेशा से ही चुनौतीपूर्ण रहा है, विशेषकर जब राज्य में राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियाँ तनावपूर्ण हों। मोहन को निर्वाचन आयोग के साथ मिलकर काम करना होगा ताकि चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष हो सकें। इसके लिए उन्हें राज्य की कानून व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना होगा और सभी संबंधित एजेंसियों के साथ तालमेल बनाना होगा।
मोहन की भविष्य की योजनाएँ :
गोविंद मोहन के नेतृत्व में, केंद्रीय गृह मंत्रालय में कई महत्वपूर्ण बदलावों की उम्मीद की जा रही है। उनकी प्राथमिकता में देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना, कानून व्यवस्था को बनाए रखना, और विभिन्न राज्यों के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करना शामिल होगा।
इसके अलावा, मोहन का उद्देश्य देश की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना और आतंकवाद, उग्रवाद, और साइबर अपराधों से निपटना होगा। वे केंद्रीय गृह सचिव के रूप में अपने अनुभव और प्रशासनिक कौशल का उपयोग करके देश को आंतरिक रूप से सुरक्षित और स्थिर बनाने की दिशा में काम करेंगे।
आईएएस गोविंद मोहन (IAS Govind Mohan ) की नियुक्ति केंद्रीय गृह सचिव के पद पर एक महत्वपूर्ण कदम है। उनकी नेतृत्व क्षमता, प्रशासनिक अनुभव, और कर्मठता के आधार पर, यह उम्मीद की जा सकती है कि वे इस चुनौतीपूर्ण भूमिका में सफल होंगे। जम्मू-कश्मीर में आगामी चुनाव और देश की आंतरिक सुरक्षा उनकी प्राथमिकता होगी, और उनकी सफलता सरकार और समाज दोनों के लिए महत्वपूर्ण होगी।
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