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IAS K Vasuki Row : केरल सरकार की नई विदेश सचिव और राजनीतिक विवाद के बीच क्या कहा BJP ने

IAS K Vasuki Row : केरल सरकार की नई विदेश सचिव और राजनीतिक विवाद के बीच क्या कहा BJP ने

इन दिनों राजनीती हलचल के बीच IAS K Vasuki चर्चा का केंद्र बिंदु बनी हुई हैं। केरल की पिनराई विजयन सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच की अदावत किसी से छिपी नहीं है। इस पुरानी तकरार में हाल ही में एक नया अध्याय जुड़ गया जब केरल सरकार ने एक ऐसा ऐलान किया जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।K Vasuki , एक IAS अधिकारी, को केरल सरकार द्वारा ‘विदेश सचिव’ नियुक्त किया गया है। इस फैसले को बीजेपी ने संविधान का उल्लंघन बताया है और इसे लेकर जोरदार विरोध जताया है।

K Vasuki कौन हैं ?

के वासुकी एक IAS अधिकारी हैं जो फिलहाल श्रम और कौशल विभाग की सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें 15 जुलाई के एक सरकारी आदेश द्वारा ‘विदेशी सहयोग से जुड़े विषयों’ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वासुकी ने अपने करियर की शुरुआत मेडिकल क्षेत्र से की थी। एक सरकारी अस्पताल में काम करने के दौरान, उन्होंने महसूस किया कि एक डॉक्टर के रूप में लोगों की समस्याओं को हल करना पर्याप्त नहीं है। इसके बाद उन्होंने IAS अधिकारी बनने का निश्चय किया। वासुकी की यह यात्रा बताती है कि वे कितनी समर्पित और प्रतिबद्ध अधिकारी हैं।

केरल सरकार का निर्णय :

केरल सरकार ने एक सरकारी आदेश में कहा है कि सामान्य प्रशासन (राजनीतिक) विभाग बाहरी सहयोग से संबंधित विषयों से निपटेगा और वैकल्पिक व्यवस्था होने तक वासुकी की सहायता करेगा। आदेश में यह भी कहा गया है कि नई दिल्ली स्थित केरल हाउस के रेजीडेंट कमिश्नर, बाहरी सहयोग के मामलों में वासुकी को सहयोग करेंगे तथा विदेश मंत्रालय, मिशनों और दूतावासों आदि के साथ संपर्क स्थापित करेंगे। यह निर्णय राज्य सरकार के अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाने की दिशा में एक कदम है।

बीजेपी का विरोध :

केरल के बीजेपी अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने इस फैसले को संविधान और संघीय सिद्धांतों का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि विदेशी मामले केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आते हैं और राज्य सरकार का इसमें हस्तक्षेप करना देश के लिए बुरा संकेत देता है। सुरेंद्रन ने इस नियुक्ति को तत्काल रद्द करने की मांग की, जो देश की एकता और अखंडता को नष्ट कर रही है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “IAS अधिकारी के. वासुकी को ‘विदेश सचिव’ नियुक्त करना ‘संवैधानिक’ और ‘संघीय सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है। LDF सरकार के पास विदेशी मामलों में कोई जनादेश नहीं है। ये असंवैधानिक कदम एक खतरनाक मिसाल कायम करता है। क्या सीएम पिनाराई विजयन केरल को एक अलग राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं?”

कांग्रेस की प्रतिक्रिया :

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर खास प्रतिक्रिया नहीं दी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व राजनयिक शशि थरूर ने कहा कि राज्य सरकारों के लिए यह उचित है कि वे अपने निवासियों से जुड़े मामलों के लिए विदेशों में दूतावासों के बिना काम करें। हालांकि, उन्होंने इस कदम को ‘काफी असामान्य’ बताया और कहा कि विदेशी संबंधों को केंद्र सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम असामान्य है, लेकिन इसे गलत तरीके से नहीं समझा जाना चाहिए।

K Vasuki ने मेडिकल क्षेत्र में अपना करियर शुरू किया था। उन्होंने सरकारी अस्पताल में काम करते हुए महसूस किया कि एक डॉक्टर के रूप में उनकी सीमाएं हैं और उन्होंने लोगों की समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए IAS बनने का निर्णय लिया। उनके इस निर्णय ने उनके करियर को एक नई दिशा दी और उन्होंने प्रशासनिक सेवा में उत्कृष्टता प्राप्त की। वासुकी का यह अनुभव और उनका दृष्टिकोण उन्हें इस नई भूमिका में एक सक्षम नेता बनाता है।

बीजेपी की चिंताएं :

बीजेपी का मानना है कि केरल सरकार का यह कदम संघीय ढांचे के खिलाफ है और यह एक खतरनाक मिसाल कायम करता है। उनका कहना है कि राज्य सरकार का विदेशी मामलों में हस्तक्षेप करना देश की एकता और अखंडता को खतरे में डाल सकता है। बीजेपी नेताओं ने यह भी सवाल उठाया है कि क्या केरल सरकार राज्य को एक अलग राष्ट्र के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि विदेश मामलों में केंद्र सरकार का अधिकार होता है और राज्य सरकार का इस क्षेत्र में दखल देना असंवैधानिक है।

कांग्रेस की निष्क्रियता :

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर कोई ठोस रुख नहीं अपनाया है। शशि थरूर ने केवल इतना कहा कि राज्य सरकारों के लिए यह पूरी तरह से उचित है कि वे अपने निवासियों से जुड़े मामलों के लिए विदेशों में दूतावासों के बिना काम करें। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम असामान्य है, लेकिन इसे गलत तरीके से नहीं समझा जाना चाहिए। कांग्रेस का यह रुख बीजेपी के आरोपों को कमजोर करता है और केरल सरकार के फैसले को समर्थन देने का संकेत देता है।

K Vasuki की नियुक्ति केरल सरकार का एक असामान्य कदम है जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। बीजेपी इसे संविधान और संघीय ढांचे का उल्लंघन मानती है और कांग्रेस इस मुद्दे पर कुछ खास चिंतित नहीं दिख रही है। यह विवाद तब तक चलता रहेगा जब तक कि इस मुद्दे का कोई स्पष्ट समाधान नहीं निकल आता। इस निर्णय का भविष्य में क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखने लायक होगा। यह विवाद तब तक जारी रहेगा जब तक कि दोनों पक्ष किसी समझौते पर नहीं पहुंच जाते। इस मामले का समाधान देश की राजनीतिक संरचना और संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण होगा।

इस प्रकार, K Vasuki की नियुक्ति ने राजनीतिक बहस को एक नया मोड़ दे दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले का अंतिम समाधान क्या होता है। इस विवाद ने राज्य और केंद्र सरकारों के बीच की जटिलताओं को उजागर किया है और यह स्पष्ट किया है कि संघीय ढांचे के तहत काम करने वाले सरकारों के बीच समन्वय और सहयोग कितना महत्वपूर्ण है।

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