Khabar Har Taraf

Latest updates about India

Jagdeep Dhankhar
दैनिक समाचार

Jagdeep Dhankhar ने रातों रात इस्तीफा क्यों दिया? अंदर की कहानी जिसने सबको चौंका दिया , रजत शर्मा के ब्लॉग से

जब सरकार को लगा कि अब वो राज्यसभा में भी परेशानी पैदा कर सकते हैं, खुले टकराव की स्थिति पैदा हो सकती है, तब उन्हें एक phone गया। ये convey किया गया कि अब ये खेल ज्यादा नहीं चलेगा।

Jagdeep Dhankhar

भारतीय राजनीति में कई बार ऐसे फैसले सामने आते हैं जो आम जनता को चौंका देते हैं। हाल ही में जब Jagdeep Dhankhar ने उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया, तो दिल्ली से लेकर देशभर के राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई।
2022 में जब वे उपराष्ट्रपति चुने गए थे तो इसे बीजेपी और एनडीए की बड़ी जीत के तौर पर देखा गया था। राजस्थान के कद्दावर नेता रहे Jagdeep Dhankhar को राष्ट्रपति चुनाव के समय भी एक मजबूत चेहरे के रूप में देखा गया था, और उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने राज्यसभा के सभापति के रूप में काम संभाला। लेकिन दो साल भी पूरे नहीं हुए और उन्होंने चुपचाप इस्तीफा दे दिया। सवाल उठना लाज़मी था—क्यों?

राज्यसभा में Jagdeep Dhankhar का सख़्त रवैया

जब Jagdeep Dhankhar ने राज्यसभा के सभापति की कुर्सी संभाली, तो कई विपक्षी नेता उन्हें पहले दिन से ही सरकार का करीबी मानते थे। उनका चेयर के रूप में बार-बार विपक्ष को टोकना, बोलने का समय सीमित करना और सख़्ती दिखाना चर्चा में रहने लगा।
2023 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान एक घटना सबसे ज्यादा चर्चित रही—राहुल गांधी ने राज्यसभा में उनकी झुकी हुई बॉडी लैंग्वेज की मिमिक्री करते हुए वीडियो शेयर किया। यह संकेत था कि Jagdeep Dhankhar का कामकाज विपक्ष को रास नहीं आ रहा था।

न्यायपालिका से टकराव और संसद की सर्वोच्चता

Jagdeep Dhankhar ने 2023 की शुरुआत में न्यायपालिका पर टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “Parliament ही सर्वोच्च है और सुप्रीम कोर्ट संसद के बनाए कानूनों को पलट नहीं सकता।”
उनके इस बयान ने न केवल विपक्ष बल्कि कई जजों को भी चौंका दिया। कई कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि उपराष्ट्रपति के पद पर बैठे व्यक्ति को ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। इसके बाद मीडिया में चर्चा होने लगी कि जगदीप धनखड़ सरकार की ओर से न्यायपालिका पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

सरकार के साथ संबंधों में दरार

पहले साल के बाद, जगदीप धनखड़ ने कई मंचों पर शिकायतें करना शुरू कर दीं। उन्होंने अपने करीबी पत्रकारों और कुछ मंत्रियों से कहा कि “सरकार में मुझसे कोई बात नहीं करता, मुझे घुटन हो रही है।” उन्होंने RSS के कुछ वरिष्ठ लोगों से भी कहा कि प्रधानमंत्री तक उनकी शिकायत पहुंचाई जाए। उनकी यह बातें लीक होकर बाहर आईं और मीडिया में भी सुर्खियां बनीं।

विपक्ष से नज़दीकियां और विवाद

जगदीप धनखड़ ने धीरे-धीरे विपक्षी नेताओं से भी मुलाकातें शुरू कर दीं। उन्होंने कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी समय दिया।
इतना ही नहीं, उन्होंने जज यशवंत वर्मा के impeachment के केस में दिलचस्पी दिखाई। यह मामला बेहद संवेदनशील था और सरकार चाहती थी कि उपराष्ट्रपति इसमें सीधे शामिल न हों। लेकिन जगदीप धनखड़ ने यह संकेत दिए कि वे इसे आगे बढ़ाना चाहते हैं।

Jagdeep Dhankhar

जब सरकार ने दिखाया कड़ा रुख

इन सब घटनाओं के बाद सरकार को लगने लगा कि Jagdeep Dhankhar राज्यसभा में भी खुले टकराव की स्थिति पैदा कर सकते हैं। एक समय ऐसा आया जब उन्हें शीर्ष नेतृत्व से फोन पर साफ संदेश मिला—
“अब यह खेल ज्यादा नहीं चलेगा। अगर रवैया नहीं बदला तो impeachment की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।” जगदीप धनखड़ के लिए यह संदेश चौंकाने वाला था। उन्होंने सोचा था कि सरकार उनकी सेवाओं को याद रखेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

Jagdeep Dhankhar का इस्तीफा और उसका असर

जब उन्हें समझ आ गया कि impeachment की तलवार किसी भी वक्त उन पर चल सकती है, तो उन्होंने तुरंत इस्तीफा देने का फैसला कर लिया। 24 घंटे के भीतर उनका इस्तीफा राष्ट्रपति भवन पहुंच गया। कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं हुई, न कोई भव्य विदाई। यह बात भी ध्यान देने लायक है कि उनके कार्यकाल की उपलब्धियों को लेकर कोई आधिकारिक बयान तक जारी नहीं किया गया।

Jagdeep Dhankhar के कार्यकाल से जुड़े तथ्य

Jagdeep Dhankhar

  • जन्म और पृष्ठभूमि: 1951 में राजस्थान के झुंझुनू जिले में जन्म, वकालत से राजनीति में आए।

  • राजनीतिक करियर: 1989 में लोकसभा पहुंचे, 1990 में केंद्रीय मंत्री बने, फिर लंबे समय तक राजस्थान की राजनीति में सक्रिय रहे।

  • राज्यपाल: 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया। ममता बनर्जी से लगातार टकराव के चलते वे चर्चा में रहे।

  • उपराष्ट्रपति: 2022 में Jagdeep Dhankhar उपराष्ट्रपति चुने गए और राज्यसभा के सभापति बने।

  • विवाद: विपक्ष से टकराव, न्यायपालिका पर टिप्पणी, और बाद में सरकार से असहमति।

सीख और निष्कर्ष

Jagdeep Dhankhar का इस्तीफा यह बताता है कि भारतीय राजनीति में सत्ता के केंद्र में रहना आसान नहीं है। जो नेता कभी सरकार के करीबी माने जाते हैं, वही किसी दिन सरकार के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। उनका कार्यकाल इस बात का प्रमाण है कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता—सिर्फ हालात और हित बदलते रहते हैं।

To know about the news PM Vishwakarma Yojana , refer to the link below –

https://khabarhartaraf.com/pm-vishwakarma-yojana/

To know more about this news , refer to the link below –

https://www.indiatv.in/india/national/rajat-sharma-blog-why-did-jagdeep-dhankhar-resign-the-inside-story-2025-07-23-1151256

https://youtu.be/zu0INJX-6rI?si=B8mB88PEMZd2oQOe

 

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *