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Kanwar Yatra Starts date 2024 : भगवान शिव के लिए श्रद्धा , आस्था और समर्पण की अनूठी यात्रा
Kanwar Yatra Starts date 2024 : भगवान शिव के लिए श्रद्धा , आस्था और समर्पण की अनूठी यात्रा
22 जुलाई से 19 अगस्त तक: बाबा भोलेनाथ की पवित्र यात्रा :
Kanwar Yatra 2024 की शुरुआत 22 जुलाई से होगी और यह पवित्र यात्रा रक्षाबंधन के दिन 19 अगस्त को समाप्त होगी। यह यात्रा शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखती है, जो बाबा भोलेनाथ के जलाभिषेक और पूजा-अर्चना के लिए हरिद्वार, गौमुख, गंगोत्री और अन्य पवित्र स्थलों से गंगा जल लेकर अपने स्थानीय शिवालयों में पहुंचते हैं।
उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड के श्रद्धालु :
इस यात्रा में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड के लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। ये श्रद्धालु Kanwar Yatra में कांवड़ में गंगा जल भरकर, नंगे पांव लंबी दूरी तय करते हुए अपने-अपने क्षेत्रों में स्थित शिव मंदिरों में जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। यह यात्रा श्रद्धा, समर्पण और धैर्य की अद्वितीय मिसाल है।
श्रद्धालुओं की आस्था का मुख्य केंद्र :
देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर, जो झारखंड राज्य में स्थित है, भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए विशेष महत्व रखता है, और हर साल लाखों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करने आते हैं। सावन के महीने में, विशेषकर कांवड़ यात्रा के दौरान, इस मंदिर का दृश्य अद्भुत होता है, जब भक्तजन गंगा जल लेकर लंबी यात्राएं तय करते हुए यहां पहुंचते हैं।
सावन में विशेष आयोजन :
सावन के महीने में, बाबा बैद्यनाथ मंदिर में विशेष आयोजन होते हैं। इस समय मंदिर और उसके आसपास का क्षेत्र भक्तिमय हो उठता है। कांवड़ यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था की जाती है, जहां उन्हें ठहरने, भोजन और चिकित्सा की सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। देवघर प्रशासन और मंदिर समिति द्वारा सुरक्षा और सुचारू व्यवस्था के लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं।
यात्रा की विशेषताएं :
Kanwar Yatra का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इसे सभी आयु वर्ग के लोग करते हैं। छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक, सभी बाबा भोलेनाथ के प्रति अपनी आस्था और श्रद्धा को प्रकट करने के लिए इस यात्रा में शामिल होते हैं। यात्रा के दौरान भक्तजन हरिद्वार, ऋषिकेश, गौमुख, गंगोत्री आदि पवित्र स्थलों से पवित्र गंगा जल लेकर आते हैं और इसे अपने गांव-शहर के शिवालयों में चढ़ाते हैं।
जलाभिषेक का महत्व :
जलाभिषेक, भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसा माना जाता है कि पवित्र नदियों का जल शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। बाबा बैद्यनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने का विशेष महत्व है, और श्रद्धालुओं का मानना है कि सुल्तानगंज से उठे जल से यहां की गई पूजा और जलाभिषेक से जीवन के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
यात्रा के दौरान व्यवस्थाएँ :
Kanwar Yatra के दौरान सरकार और विभिन्न सामाजिक संगठन यात्रियों की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखते हैं। विभिन्न स्थानों पर चिकित्सा शिविर, भोजन वितरण और विश्राम स्थल बनाए जाते हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कठिनाई न हो। उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और उत्तराखंड की सरकारें इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को भी सख्त बनाती हैं ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे।
बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक और पूजा-अर्चना :
यात्रा का मुख्य उद्देश्य बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करना है। भक्तजन शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और भक्ति गीतों और मंत्रों की गूंज सुनाई देती है।
आस्था और श्रद्धा का संगम :
Kanwar Yatra न केवल धार्मिक यात्रा है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन भी है। यह लोगों के बीच आपसी प्रेम, भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है। श्रद्धालु इस यात्रा के माध्यम से अपनी आस्था और श्रद्धा को प्रदर्शित करते हैं और बाबा भोलेनाथ से अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।
समापन
रक्षाबंधन के पावन पर्व के दिन यह यात्रा समाप्त होती है। इस दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को भी विशेष महत्व दिया जाता है। भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं और बहनें उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस प्रकार, कांवड़ यात्रा एक धार्मिक यात्रा होने के साथ-साथ सामाजिक और पारिवारिक संबंधों को भी मजबूत बनाती है।
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