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Karva Chauth 2024 : सुहागिन महिलाएं छलनी से क्यों करती हैं चंद्र दर्शन? जानें इस पवित्र त्योहार का महत्व और अनुष्ठान

Karva Chauth 2024 : सुहागिन महिलाएं छलनी से क्यों करती हैं चंद्र दर्शन? जानें इस पवित्र त्योहार का महत्व और अनुष्ठान

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करवा चौथ (Karva Chauth) का त्योहार हर साल विवाहित महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। यह पवित्र व्रत उनके पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य, और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पतियों के सुख और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं और संपूर्ण दिन का निर्जला उपवास करती हैं। करवा चौथ केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज में रिश्तों की गहराई, निष्ठा, और प्रेम की अद्वितीय मिसाल है। साल 2024 में यह पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जो कि कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि को आता है।

करवा चौथ के दौरान महिलाएं पूरे दिन उपवास करती हैं और सूर्यास्त के बाद चंद्रमा के दर्शन कर व्रत तोड़ती हैं। इस प्रक्रिया में छलनी का विशेष महत्व होता है, जिसके माध्यम से महिलाएं चंद्रमा और अपने पति का दर्शन करती हैं। यह परंपरा जहां एक ओर आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व रखती है, वहीं इसके पीछे गहरी मान्यताएं भी छिपी हुई हैं। आइए, करवा चौथ के इस पवित्र त्योहार और इसके विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं।

करवा चौथ (Karva Chauth) का महत्व और इतिहास :

करवा चौथ का त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, हालांकि अब यह पूरे देश में और यहां तक कि विदेशों में बसे भारतीय समुदायों में भी लोकप्रिय हो चुका है। विवाहित महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत की उत्पत्ति के संबंध में कई धार्मिक और पौराणिक कहानियां प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, एक वीर महिला करवा ने अपने पति को मगरमच्छ के मुँह से बचाने के लिए कठिन तपस्या की थी, जिससे भगवान यमराज ने प्रसन्न होकर उसके पति को पुनर्जीवित कर दिया। तब से करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए पति की लंबी उम्र के लिए विशेष माना जाता है।

पौराणिक कथाओं में करवा चौथ का त्योहार देवियों के साहस और उनकी समर्पण भावना का प्रतीक भी है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी पार्वती ने भगवान शिव से अपने पति की सुरक्षा और लंबी उम्र के लिए व्रत रखा था। तभी से यह पर्व पति-पत्नी के बीच प्रेम और विश्वास का प्रतीक बन गया है।

करवा चौथ (Karva Chauth) की पूजा विधि और अनुष्ठान :

करवा चौथ के दिन महिलाएं विशेष तैयारी करती हैं। पारंपरिक परिधान पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, और अपने पति की दीर्घायु के लिए विशेष पूजा करती हैं। इस दिन सुहागिनें अपने सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के प्रतीक स्वरूप लाल, पीली, या हरी साड़ी और चूड़ियां पहनती हैं। उनके लिए यह दिन पति के प्रति अपने समर्पण, निष्ठा, और प्रेम को प्रकट करने का अवसर होता है। पूजा की विधि इस प्रकार होती है:

  1. स्नान और संकल्प: व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं कि वह दिन भर बिना पानी और भोजन के रहकर चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत को समाप्त करेंगी।
  2. शिव-पार्वती और गणेश की पूजा: शाम के समय महिलाएं इकट्ठी होकर भगवान शिव, माता पार्वती, और गणेश जी की पूजा करती हैं। इस पूजा के दौरान व्रती महिलाएं एक विशेष कथा सुनती हैं, जिसे “करवा चौथ की कथा” कहा जाता है। यह कथा देवी करवा और उनके साहस की होती है, जिसने अपने पति की जान बचाने के लिए यमराज को भी पराजित किया था।
  3. करवा की पूजा: पूजा के दौरान महिलाएं एक मिट्टी के करवा (मिट्टी का पात्र) का भी पूजन करती हैं, जो इस व्रत का एक अहम हिस्सा होता है। इस करवा में जल भरकर इसे देवी-देवताओं को अर्पित किया जाता है और फिर यह जल चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए उपयोग किया जाता है।
  4. चंद्र दर्शन: करवा चौथ की पूजा के बाद महिलाएं चंद्रमा की प्रतीक्षा करती हैं। जैसे ही चंद्रमा का उदय होता है, महिलाएं छलनी से चंद्र दर्शन करती हैं और फिर अपने पति का चेहरा भी उसी छलनी से देखती हैं। इसके बाद पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है।

छलनी से चंद्र दर्शन का महत्व :

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करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा का दर्शन छलनी से करती हैं, और इसके पीछे एक गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। पुराणों में यह मान्यता है कि गणेश जी ने चंद्रदेव को एक श्राप दिया था, जिसके चलते उनका सीधा दर्शन अशुभ माना जाता है। इस श्राप के कारण ही करवा चौथ पर महिलाएं सीधे तौर पर चंद्रमा को नहीं देखतीं, बल्कि छलनी का उपयोग करती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छलनी का उपयोग चंद्रमा के कलंक और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, छलनी से चंद्रमा देखने के बाद उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखना इस बात का प्रतीक है कि महिला अपने पति को चंद्रमा जैसी लंबी आयु और सौभाग्य का आशीर्वाद देना चाहती है।

छलनी में दीपक रखने का महत्व :

छलनी में दीपक रखने की परंपरा भी करवा चौथ के व्रत में बेहद महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि दीपक जीवन के अंधकार को दूर कर सकारात्मकता का संचार करता है। दीपक की लौ पवित्रता, ज्ञान, और आस्था का प्रतीक है, जो कि जीवन के हर अंधकार को मिटाने में सक्षम होती है। यह दीपक पति-पत्नी के रिश्ते में आस्था और प्रेम की लौ को हमेशा जलाए रखने का प्रतीक भी माना जाता है।

करवा चौथ (Karva Chauth) की धार्मिक मान्यताएं :

करवा चौथ का धार्मिक महत्व केवल व्रत और पूजा तक सीमित नहीं है। यह दिन हिंदू धर्म में महिलाओं के लिए विशेष होता है। इस दिन की पूजा-अर्चना के पीछे एक खास मान्यता यह भी है कि करवा चौथ का व्रत रखने से विवाहित जीवन में सौभाग्य, शांति, और प्रेम की वृद्धि होती है। महिलाएं इस व्रत के माध्यम से न केवल अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं, बल्कि यह भी प्रार्थना करती हैं कि उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे।

इस दिन देवी पार्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि देवी पार्वती को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि जिन विवाहित महिलाओं का व्रत देवी पार्वती की कृपा से सफल होता है, उनके वैवाहिक जीवन में कभी कोई विघ्न नहीं आता।

करवा चौथ (Karva Chauth) की आधुनिक प्रथाएं और समाज में बदलाव :

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समय के साथ करवा चौथ के उत्सव में भी बदलाव आए हैं। जहां पहले यह व्रत केवल महिलाओं के लिए ही महत्वपूर्ण माना जाता था, वहीं अब कई पति भी अपनी पत्नियों के साथ यह व्रत रखते हैं। यह प्रेम, समर्पण, और समानता का एक नया रूप दर्शाता है।

साथ ही, सोशल मीडिया और फिल्मों ने करवा चौथ को और भी ज्यादा ग्लैमरस और आकर्षक बना दिया है। कई बॉलीवुड फिल्मों में करवा चौथ की विशेष झलक दिखाई गई है, जिससे यह त्योहार और भी पॉपुलर हो गया है। अब यह केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सोशल इवेंट बन गया है, जिसमें परिवार, रिश्तेदार और दोस्त भी शामिल होते हैं।

निष्कर्ष

करवा चौथ (Karva Chauth) का त्योहार केवल एक उपवास या पूजा-अर्चना का दिन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर है जो पति-पत्नी के रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। छलनी से चंद्र दर्शन और पूजा-अर्चना का यह पवित्र अनुष्ठान सदियों से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है। साल 2024 में यह त्योहार 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा, और इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पतियों के लिए इस व्रत को पूरे समर्पण और आस्था के साथ निभाएंगी।

करवा चौथ का त्योहार भारतीय समाज में प्रेम, निष्ठा, और पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते की एक अनूठी मिसाल है। चाहे पारंपरिक रूप हो या आधुनिक, यह त्योहार आज भी उतनी ही श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है जितना सदियों पहले।

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