Holi in Mathura : मथुरा में खेली जाती है इतने तरह की होली, कहीं भीगे कोड़े से होती है पिटाई तो कहीं जमकर बरसाए जाते हैं लट्ठ
भारत में होली (Holi) का उत्सव अनोखे रंगों से भरा होता है, लेकिन मथुरा और उसके आसपास की होली विश्व प्रसिद्ध है। यह कान्हा की नगरी है, जहां फाल्गुन के महीने में हर गली-मोहल्ले में होली के रंग बिखरते हैं। मथुरा, वृंदावन, बरसाना और दाऊजी जैसे स्थानों पर अलग-अलग तरह की होली खेली जाती है। यहां न केवल रंग-अबीर उड़ाए जाते हैं, बल्कि लट्ठमार, फूलों, लड्डू और कोड़े मार होली जैसी विशेष परंपराएं भी निभाई जाती हैं। आइए जानते हैं कि मथुरा और उसके आसपास कितने तरह की होली खेली जाती है।
मथुरा में कितने प्रकार की होली (Holi) खेली जाती है?
मथुरा और उसके आसपास के क्षेत्रों में होली के कई रूप देखने को मिलते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख होली इस प्रकार हैं:
- बरसाने की लट्ठमार होली
- वृंदावन की फूलों की होली
- बरसाने की लड्डूमार होली
- दाऊजी की कोड़ेमार होली
- गोकुल की छड़ीमार होली
- फालैन की होलिका दहन परंपरा
- मथुरा और वृंदावन की रंगभरनी होली
- गोपीनाथ मंदिर की केसर होली
अब इन सभी अनोखी होली पर विस्तार से चर्चा करते हैं।
1. बरसाने की लट्ठमार होली (Holi)
बरसाना की लट्ठमार होली दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह होली भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की प्राचीन प्रेम कहानी से प्रेरित है। इस दिन नंदगांव के ग्वाल बाल बरसाने में आते हैं और राधा रानी की सखियां उन्हें लाठियों से मारती हैं। पुरुष खुद को बचाने के लिए ढाल लेकर आते हैं। इस खेल को देखने के लिए हजारों की संख्या में देश-विदेश से लोग आते हैं।
2. वृंदावन की फूलों की होली (Holi)
वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में रंगभरी एकादशी से फूलों की होली खेली जाती है। यहां रंगों की जगह केवल फूलों की बारिश होती है। मंदिर के पुजारी और भक्त मिलकर भगवान श्रीकृष्ण के साथ फूलों से होली खेलते हैं। इस दौरान वातावरण में भक्ति का संचार होता है और पूरा मंदिर परिसर फूलों की सुगंध से महक उठता है।
3. बरसाने की लड्डूमार होली (Holi)
बरसाना में राधा रानी की दासियां नंदगांव जाकर फाग का निमंत्रण देती हैं। इस दौरान लड्डू और गुलाल का विशेष प्रयोग किया जाता है। जब नंदगांव के लोग निमंत्रण लेकर बरसाने आते हैं, तो उनका स्वागत लड्डू बरसाकर किया जाता है। इस दौरान भक्त खुशी में लड्डू उछालते हैं और पूरे वातावरण में मिठास घुल जाती है।
4. दाऊजी की कोड़ेमार होली (Holi)
दाऊजी (बलदेव) भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम का मंदिर है, जो मथुरा से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां हुरंगा नामक विशेष होली खेली जाती है, जिसमें महिलाएं पुरुषों को भीगे हुए चमड़े के कोड़ों से मारती हैं। यह परंपरा बहुत पुरानी है और इसे देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
5. गोकुल की छड़ीमार होली (Holi)
गोकुल में भी होली का अपना अलग अंदाज होता है, जिसे छड़ीमार होली कहा जाता है। इस होली में महिलाएं पुरुषों को छड़ियों से मारती हैं। यह परंपरा श्रीकृष्ण के बचपन की लीलाओं से जुड़ी है, जब यशोदा मैया उन्हें सख्त अनुशासन में रखती थीं।
6. फालैन की होलिका दहन परंपरा
फालैन गांव में होलिका दहन के दिन एक अद्भुत परंपरा निभाई जाती है। यहां का एक संत जलती हुई होलिका की अग्नि के बीच से होकर गुजरता है और उसे कोई हानि नहीं होती। यह चमत्कार देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु वहां एकत्रित होते हैं।
7. मथुरा और वृंदावन की रंगभरनी होली (Holi)
मथुरा और वृंदावन में होली का असली रंग रंगभरनी एकादशी से शुरू होता है। इस दिन विशेष रूप से मंदिरों में भव्य आयोजन किए जाते हैं। मंदिरों में भगवान को गुलाल और अबीर अर्पित किया जाता है, और भक्तों के बीच जमकर रंग उड़ाए जाते हैं।
8. गोपीनाथ मंदिर की केसर होली (Holi)
मथुरा के गोपीनाथ मंदिर में केसर (केशर) से होली खेली जाती है। इस होली में केसर का प्रयोग कर भगवान को चढ़ाया जाता है और भक्तों के बीच भी केसर उड़ाई जाती है। यह अत्यंत सुगंधित और दिव्य अनुभव होता है।
मथुरा की होली का महत्व
मथुरा की होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि यह एक आध्यात्मिक अनुभव है। इसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लोग आते हैं। इस उत्सव में भक्ति, प्रेम और उल्लास का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
कब से शुरू होती है होली?
मथुरा और वृंदावन में होली का पर्व फाल्गुन माह की शुरुआत से ही शुरू हो जाता है। यह पूरे 40 दिनों तक चलता है और इसके विभिन्न पड़ाव होते हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार की होलियां खेली जाती हैं।
मथुरा में होली के दौरान क्या करें?
अगर आप मथुरा में होली खेलने जा रहे हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- सफेद या पुराने कपड़े पहनें क्योंकि रंग हटाना मुश्किल होता है।
- गुलाल और प्राकृतिक रंगों का ही प्रयोग करें।
- कैमरा और मोबाइल को सुरक्षित रखें।
- स्थानीय नियमों और परंपराओं का सम्मान करें।
निष्कर्ष
मथुरा की होली केवल रंगों का त्योहार नहीं, बल्कि भक्ति और प्रेम का उत्सव भी है। यहां लट्ठमार होली, फूलों की होली, लड्डूमार होली और कोड़ेमार होली जैसी अनूठी परंपराएं देखने को मिलती हैं। इस दौरान पूरा ब्रज क्षेत्र एक अलग ही रंग में रंगा नजर आता है। अगर आपने अभी तक मथुरा की होली का आनंद नहीं लिया है, तो एक बार जरूर जाएं और इस अद्भुत पर्व का हिस्सा बनें।
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