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Mahabharat बनाने में हर हफ्ते होता था 2 लाख का नुकसान, परेशान होकर रवि चोपड़ा ने शो बनाने से कर दिया था इंकार

Mahabharat बनाने में हर हफ्ते होता था 2 लाख का नुकसान, परेशान होकर रवि चोपड़ा ने शो बनाने से कर दिया था इंकार

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भारतीय टेलीविजन पर जब Mahabharat का प्रसारण हुआ, तो इसने इतिहास रच दिया। 1988 से 1990 तक चले इस शो ने दर्शकों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी। बी.आर. चोपड़ा द्वारा प्रोड्यूस और उनके बेटे रवि चोपड़ा द्वारा निर्देशित इस महाकाव्य धारावाहिक को बनाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि इस शो को बनाने में निर्माताओं को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था?

रेणु चोपड़ा, जो रवि चोपड़ा की पत्नी हैं, ने हाल ही में इस शो से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें साझा की हैं। उन्होंने बताया कि महाभारत का निर्माण इतना महंगा साबित हो रहा था कि हर हफ्ते लगभग 2 लाख रुपये का नुकसान हो रहा था। यह आर्थिक दबाव इतना बढ़ गया था कि एक समय पर रवि चोपड़ा ने शो बनाने से इंकार तक कर दिया था।

शो के निर्माण में आने वाली चुनौतियां

Mahabharat भारतीय टेलीविजन के सबसे बड़े और भव्य शोज़ में से एक था। इस शो में इस्तेमाल किए गए भव्य सेट, भारी-भरकम कॉस्ट्यूम, विशाल युद्ध के दृश्य, और उच्च स्तर के प्रोडक्शन की वजह से खर्च बहुत ज्यादा था।

1. शुरुआती निवेश और फाइनेंसिंग:
महाभारत का निर्माण उस दौर में किया गया जब टेलीविजन इंडस्ट्री उतनी विकसित नहीं थी और फाइनेंसिंग के साधन भी सीमित थे। रेणु चोपड़ा के अनुसार, शुरुआत में जो कंपनी इस शो को फाइनेंस कर रही थी, उसने प्रति एपिसोड 6 लाख रुपये देने की सहमति दी थी। लेकिन पहले ही एपिसोड की शूटिंग में 7-8 लाख रुपये खर्च हो गए। यह अंतर इतना बड़ा था कि रवि चोपड़ा ने शो बनाने से ही इंकार कर दिया।

2. बी.आर. चोपड़ा का आत्मविश्वास:
जब रवि चोपड़ा ने अपने पिता बी.आर. चोपड़ा से कहा कि वह इस शो को नहीं बना सकते क्योंकि यह बजट में संभव नहीं है, तब बी.आर. चोपड़ा ने उन्हें एक महत्वपूर्ण सलाह दी। उन्होंने कहा, “तुम जो बना रहे हो उससे खुश हो?” जब रवि ने हां में जवाब दिया, तो बी.आर. चोपड़ा ने कहा, “तुम दिल से बनाओ, पैसों की चिंता मत करो, पैसा बाद में आएगा।”

Mahabharat के किरदार और उनकी चुनौतियां

इस शो में कई ऐसे किरदार थे जो आज भी लोगों की यादों में बसे हुए हैं। श्रीकृष्ण के रूप में नितीश भारद्वाज, भीष्म पितामह के रूप में मुकेश खन्ना, और द्रौपदी के रूप में रूपा गांगुली ने अद्भुत अभिनय किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि द्रौपदी का किरदार निभाने के लिए रूपा गांगुली पहली पसंद नहीं थीं?

जूही चावला को ऑफर हुआ था द्रौपदी का रोल

रेणु चोपड़ा ने बताया कि द्रौपदी के किरदार के लिए पहली पसंद जूही चावला थीं। उन्हें इस रोल के लिए साइन भी किया गया था, लेकिन किसी कारणवश वह इसे नहीं कर पाईं। इसके बाद रूपा गांगुली को यह रोल मिला और उन्होंने इसे इतनी खूबसूरती से निभाया कि यह उनकी पहचान बन गया।

हर हफ्ते होता था 2 लाख का नुकसान

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Mahabharat का बजट जितना भव्य था, उतनी ही चुनौतियां भी थीं। रेणु चोपड़ा ने बताया कि जब यह शो बनाया जा रहा था, तब हर हफ्ते करीब 2 लाख रुपये का नुकसान हो रहा था। हालांकि, धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हुआ और शो सफल होने के बाद यह आर्थिक नुकसान लाभ में बदल गया। उन्होंने कहा, “आज मैं यहां बैठी हूं क्योंकि हमारे पास महाभारत थी।”

Mahabharat की ऐतिहासिक सफलता

जब 1988 में महाभारत प्रसारित हुआ, तो इसने पूरे देश में धूम मचा दी। उस समय टेलीविजन पर इतने कम शोज़ थे कि हर रविवार सुबह पूरा देश इस शो को देखने के लिए बैठ जाता था। सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था और लोग पूरी श्रद्धा के साथ इस शो को देखते थे।

ट्रेंड सेटर शो:

  • महाभारत पहला भारतीय शो था जिसमें इतने बड़े पैमाने पर VFX और भव्य सेट्स का इस्तेमाल किया गया।
  • इसके युद्ध दृश्यों को इतनी खूबसूरती से फिल्माया गया कि वह आज भी दर्शकों को प्रभावित करते हैं।
  • इसके संवाद और किरदार आज भी याद किए जाते हैं, जैसे “नारायण नारायण” (नारद मुनि), “समय बड़ा बलवान” (कर्ण), और “यथा राजा तथा प्रजा” (भीष्म पितामह)।

Mahabharat से मिलने वाला लाभ और शो की विरासत

शुरुआती नुकसान के बावजूद, जब महाभारत लोकप्रिय हुआ, तो इससे जुड़ी हर चीज़ एक ब्रांड बन गई। शो के कलाकार भी घर-घर में पहचाने जाने लगे। नितीश भारद्वाज को भगवान श्रीकृष्ण के रूप में पूजा जाने लगा, और मुकेश खन्ना भीष्म पितामह के रूप में अमर हो गए।

1. दोबारा प्रसारण में भी मिली अपार सफलता:
2020 में जब लॉकडाउन के दौरान महाभारत को फिर से दूरदर्शन पर दिखाया गया, तो यह फिर से टीआरपी में नंबर वन बन गया।

2. आधुनिक टीवी शोज़ के लिए प्रेरणा:
महाभारत के बाद, भारतीय टेलीविजन पर कई ऐतिहासिक और पौराणिक शोज़ बनाए गए, लेकिन कोई भी इस स्तर की लोकप्रियता हासिल नहीं कर सका।

3. भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करने में भूमिका:
इस शो ने भारतीय संस्कृति और महाभारत के ज्ञान को एक नई पीढ़ी तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई।

  Mahabharat, एक ऐतिहासिक गाथा

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Mahabharat सिर्फ एक धारावाहिक नहीं था, यह भारतीय टेलीविजन का एक स्वर्णिम अध्याय था। इसकी सफलता के पीछे बी.आर. चोपड़ा और रवि चोपड़ा की मेहनत, विश्वास और साहस छिपा था। प्रारंभिक कठिनाइयों और आर्थिक नुकसानों के बावजूद, उन्होंने यह शो बनाया और इसे भारतीय टेलीविजन इतिहास में अमर बना दिया।

इस शो ने यह साबित कर दिया कि जब किसी चीज़ को दिल से बनाया जाता है, तो वह सफलता अवश्य प्राप्त करती है। महाभारत आज भी एक प्रेरणादायक गाथा है, जो यह सिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद यदि हम अपने काम के प्रति सच्चे हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है।

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