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Mahakumbh 2025 : अगर पुण्य कमाने तीर्थराज प्रयागराज जा रहे हैं तो इन मंदिरों में जाना न भूलें

Mahakumbh 2025 : अगर पुण्य कमाने तीर्थराज प्रयागराज जा रहे हैं तो इन मंदिरों में जाना न भूलें

महाकुंभ (Mahakumbh) 2025 की शुरुआत के साथ ही तीर्थराज प्रयागराज में धार्मिक उत्साह और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर स्नान करने के लिए लाखों श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं। प्रयागराज, जिसे तीर्थों का राजा कहा जाता है, न केवल संगम के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि अपने प्राचीन मंदिरों और धार्मिक स्थलों के लिए भी विश्वविख्यात है। यदि आप महाकुंभ के दौरान पुण्य कमाने के उद्देश्य से प्रयागराज जा रहे हैं, तो इन मंदिरों में दर्शन करना न भूलें। आइए जानते हैं इन मंदिरों के बारे में विस्तार से।

1. अक्षयवट

अक्षयवट, जिसे अविनाशी वटवृक्ष भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में अति पवित्र माना गया है। यह पौराणिक वृक्ष प्रयागराज किले के भीतर स्थित है। मान्यता है कि इस वटवृक्ष के नीचे भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने वनवास के दौरान विश्राम किया था। अक्षयवट का दर्शन और पूजन करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। यहां श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

2. श्री लेटे हुए हनुमान मंदिर

प्रयागराज के दारागंज क्षेत्र में गंगा के किनारे स्थित यह मंदिर अपनी अद्वितीय मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यहां भगवान हनुमान लेटी हुई मुद्रा में विराजमान हैं। यह मूर्ति संत समर्थ गुरु रामदास जी द्वारा स्थापित की गई थी। मंदिर परिसर में शिव-पार्वती, गणेश, भैरव, दुर्गा, काली और नवग्रह की भी प्रतिमाएं हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहां दर्शन करने से हर संकट का नाश होता है।

3. सरस्वती कूप

सरस्वती कूप, प्रयागराज के अकबर किले के अंदर स्थित एक पवित्र कुआं है। इसे सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है। मान्यता है कि यहां की पवित्र जलधारा में स्नान करने से मानसिक और शारीरिक शुद्धि होती है। सरस्वती कूप के दर्शन करने से श्रद्धालु अपनी आध्यात्मिक यात्रा को पूर्ण करते हैं।

4. पातालपुरी मंदिर

पातालपुरी मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह भूमिगत मंदिर प्रयागराज किले के भीतर अक्षयवट के पास स्थित है। इस मंदिर का इतिहास वैदिक काल से जुड़ा हुआ है। यहाँ भगवान विष्णु, शिव और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित हैं। यह स्थान आध्यात्मिक शांति और भक्ति का अद्भुत संगम है।

5. मनकामेश्वर मंदिर

यमुना नदी के तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां शिवलिंग काले पत्थर से बना हुआ है। इस मंदिर में भगवान गणेश और नंदी की मूर्तियां भी स्थापित हैं। यहाँ की मान्यता है कि सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूरी होती है। मंदिर परिसर में एक प्राचीन पीपल का पेड़ भी है, जो इसकी पवित्रता को और बढ़ाता है।

6. महर्षि भारद्वाज आश्रम

महर्षि भारद्वाज आश्रम धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का स्थल है। यह आश्रम प्राचीन समय में शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। मान्यता है कि भगवान राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान यहां रुके थे। आश्रम में महर्षि भारद्वाज की भव्य प्रतिमा स्थापित है। यह स्थल न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

7. वेणी माधव मंदिर

वेणी माधव मंदिर को प्रयागराज का नगर देवता माना जाता है। यह मंदिर दारागंज में संगम के पास स्थित है। यहां भगवान विष्णु के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है। इस मंदिर में श्रद्धालु बड़ी संख्या में दर्शन के लिए आते हैं और अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।

8. अलोपेश्वर मंदिर

प्रयागराज का यह प्राचीन मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। यहां शिवलिंग अदृश्य रूप में है, जिसे “अलोप शिवलिंग” कहा जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। मंदिर परिसर की पवित्रता और शांति भक्तों को आध्यात्मिक आनंद प्रदान करती है।

9. नागवासुकी मंदिर

यह मंदिर नाग देवता को समर्पित है और गंगा नदी के किनारे स्थित है। नागवासुकी मंदिर में नाग देवता की भव्य प्रतिमा स्थापित है। यह स्थान विशेष रूप से नागपंचमी के समय अधिक भक्तों को आकर्षित करता है।

10. ललिता देवी मंदिर

प्रयागराज का यह मंदिर देवी ललिता को समर्पित है, जिन्हें शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह स्थान नवरात्रि के समय विशेष रूप से सजाया जाता है और भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

महाकुंभ (Mahakumbh) और तीर्थराज प्रयाग के महत्व

महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 वर्ष में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में होता है। यह मेला हिंदू धर्म का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। इस अवसर पर विभिन्न अखाड़े, साधु-संत और श्रद्धालु अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं।

कैसे पहुंचे प्रयागराज

  1. रेल मार्ग: प्रयागराज रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
  2. सड़क मार्ग: प्रयागराज तक देश के विभिन्न हिस्सों से बस और निजी वाहन द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।
  3. वायु मार्ग: प्रयागराज का बम्हरौली एयरपोर्ट प्रमुख हवाई मार्गों से जुड़ा हुआ है।

महाकुंभ (Mahakumbh) के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है, इसलिए अपना यात्रा कार्यक्रम पहले से बनाएं। धार्मिक स्थलों पर स्वच्छता का ध्यान रखें और दूसरों की भावनाओं का सम्मान करें।प्रयागराज में स्थित ये मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों का भी हिस्सा हैं।

महाकुंभ (Mahakumbh) 2025 के इस पावन अवसर पर इन मंदिरों का दर्शन आपकी यात्रा को आध्यात्मिकता और पुण्य से भर देगा। तो, अगर आप पुण्य कमाने और अपनी आत्मा को शुद्ध करने के उद्देश्य से तीर्थराज प्रयागराज जा रहे हैं, तो इन मंदिरों में अवश्य जाएं। आपकी यह यात्रा न केवल आपको ईश्वर के करीब लाएगी बल्कि आपके जीवन को भी सकारात्मक ऊर्जा से भर देगी।

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