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Mansa Devi Mandir : श्रद्धा, शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक, क्यों इतना अधिक प्रसिद्ध है मनसा देवी मंदिर? जानें इससे जुड़े पौराणिक कथा

उत्तराखंड के मनसा देवी मंदिर में आज भगदड़ मच गई, जिसमें 6 लोगों की जान चली गई। ऐसे में एक बार फिर मनसा देवी मंदिर आखिर क्यों प्रसिद्ध है?

Mansa Devi Mandir : भारत को देवी-देवताओं की भूमि कहा जाता है, जहां हर तीर्थस्थल की अपनी अलग मान्यता और पौराणिक इतिहास है। ऐसे ही प्रसिद्ध और शक्तिपीठों में से एक है उत्तराखंड के हरिद्वार में स्थित मां मनसा देवी मंदिर। यह मंदिर न सिर्फ आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र भी है। हाल ही में हुई भगदड़ की दुखद घटना, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की मौत और दर्जनों घायल हो गए, एक बार फिर इस मंदिर को चर्चा में ले आई है।

लेकिन इस दुःखद घटना के बीच यह सवाल भी उठता है — आखिर क्यों इतना प्रसिद्ध है मनसा देवी मंदिर? आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं इस पवित्र धाम की पौराणिक कथा, इतिहास, विशेषताएं और क्यों यह मंदिर देशभर के श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पूजनीय बना हुआ है।

मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Mandir) कहां स्थित है?

मनसा देवी मंदिर उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले में स्थित है। यह मंदिर शिवालिक पर्वत श्रृंखला के मुख्य शिखर पर स्थित है, जो हिमालय की निचली पहाड़ियों का एक भाग है। हरिद्वार आने वाले श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन के साथ-साथ मां मनसा देवी के दर्शन करना कभी नहीं भूलते। यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु या तो पैदल ट्रैक करते हैं या फिर रोपवे (केबल कार) के जरिए मां के दरबार में पहुंचते हैं।

क्या है मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Mandir) की पौराणिक कथा?

मनसा देवी से जुड़ी कथा हिंदू धर्मग्रंथ स्कंद पुराण में भी वर्णित है।

मान्यता है कि एक समय महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं को पराजित कर त्रिलोक में आतंक मचा दिया था। तब सभी देवता भगवान विष्णु और शिव की शरण में पहुंचे और एक दिव्य शक्ति की रचना की गई। उस शक्ति से प्रकट हुईं मां मनसा देवी, जिन्हें शक्ति की 10वीं रूप माना गया।

मां मनसा ने महिषासुर का संहार किया और सभी देवताओं को उनकी शक्तियां लौटाईं। इससे प्रसन्न होकर देवताओं ने देवी से निवेदन किया कि जिस प्रकार आपने हमारी मनसा (इच्छा) पूर्ण की है, वैसे ही कलियुग में आप हर भक्त की इच्छा पूर्ण करें।

इस पर मां ने वचन दिया और हरिद्वार के शिवालिक पर्वत पर विश्राम किया, जहां आज उनका पवित्र मंदिर स्थित है। तभी से मां को ‘मनसा देवी’ के नाम से पूजा जाने लगा और यहां आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामना मां पूर्ण करती हैं — यही विश्वास इस मंदिर को खास बनाता है।

मंदिर का ऐतिहासिक निर्माण: राजा गोला सिंह का योगदान

इतिहास के अनुसार, मनसा देवी मंदिर (Mansa Devi Mandir) का निर्माण 1811 से 1815 के बीच राजा गोला सिंह द्वारा करवाया गया था। राजा गोला सिंह को मां मनसा देवी की शक्ति और चमत्कार पर अत्यधिक विश्वास था। मंदिर की भव्यता और स्थापत्य इसे न सिर्फ धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक रूप से भी महत्वपूर्ण बनाता है।

मंदिर में मां की दो मुख्य प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं:

यह विशेष प्रतिमाएं मां के विविध रूपों को दर्शाती हैं, जो उन्हें सिद्धियों की देवी भी बनाती हैं।

धागा बांधने की परंपरा: श्रद्धा का प्रतीक

मंदिर परिसर में स्थित ‘स्नोही वृक्ष’ (Peepal Tree) पर श्रद्धालु धागा बांधते हैं। यह एक विशेष परंपरा है जिसके अनुसार, श्रद्धालु अपनी किसी इच्छा या संकट को मां के चरणों में रखते हुए पेड़ पर धागा बांधते हैं।

मान्यता है कि मां मनसा देवी उस इच्छा को पूर्ण करती हैं।
जब इच्छा पूर्ण हो जाती है, तो श्रद्धालु वापस आकर धागा खोलते हैं और मां का धन्यवाद करते हैं। इस परंपरा के कारण मंदिर में सालभर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

क्यों प्रसिद्ध है Mansa Devi Mandir?

मनसा देवी मंदिर की लोकप्रियता के पीछे कई धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक कारण हैं:

  1. पौराणिक महत्व: मां मनसा देवी को इच्छाओं की देवी माना जाता है और उनकी कथा पुराणों में वर्णित है।

  2. चार धाम यात्रा का हिस्सा: यह मंदिर हरिद्वार के त्रिशक्ति मंदिरों (मनसा देवी, चंडी देवी, माया देवी) में से एक है।

  3. प्राकृतिक सौंदर्य: शिवालिक पहाड़ियों पर स्थित यह मंदिर हरिद्वार शहर और गंगा नदी का अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है।

  4. श्रद्धा और विश्वास का केंद्र: हर वर्ग के लोग यहां अपनी मनोकामनाओं के साथ आते हैं – शिक्षा, संतान, विवाह, नौकरी, व्यापार जैसी हर समस्या के समाधान के लिए।

  5. धार्मिक आयोजन: नवरात्र, सावन, चैत्र और अन्य पर्वों पर विशेष पूजा व मेला आयोजित होता है।

कैसे पहुंचें मनसा देवी मंदिर? (यात्रा विवरण)

Mansa Devi Mandir तक पहुंचने के दो प्रमुख रास्ते हैं:

  1. पैदल मार्ग: श्रद्धालु ‘बिलवपथ’ नामक सीढ़ियों से पैदल चढ़कर मंदिर तक पहुंचते हैं। यह मार्ग आस्था और तप का प्रतीक माना जाता है।

  2. रोपवे (मनसा देवी उडनखटोला): खासतौर पर बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह सुविधा बहुत सहायक होती है। रोपवे से मात्र 5-7 मिनट में मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

क्या होते हैं दर्शन के नियम और समय?

हालिया भगदड़: श्रद्धालुओं को ध्यान देने योग्य बातें

हाल ही में 28 जुलाई 2025 को मनसा देवी मंदिर में भारी भीड़ और अव्यवस्था के चलते भगदड़ मच गई, जिसमें 6 श्रद्धालुओं की मृत्यु हो गई और 25-30 घायल हुए। इस घटना ने यह प्रश्न भी खड़ा किया कि इतनी भीड़भाड़ में सुरक्षा व्यवस्था कैसे बेहतर की जाए। तीर्थ स्थलों पर यातायात नियंत्रण, उचित मार्गदर्शन, और भीड़ प्रबंधन अत्यंत आवश्यक है। सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए स्मार्ट सुरक्षा उपायों पर जोर देने की बात कही है।

Mansa Devi Mandir के चमत्कार और श्रद्धालु अनुभव

हजारों श्रद्धालु मां के दरबार में जाकर अपने अनुभव साझा करते हैं कि कैसे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण हुईं। कोई संतान सुख पाकर धन्य हुआ, किसी को नौकरी मिली, तो किसी की बीमारी दूर हुई।

यही ‘विश्वास’ और ‘श्रद्धा’ इस मंदिर को इतना प्रसिद्ध बनाते हैं।

निष्कर्ष: आस्था, इतिहास और अध्यात्म का संगम

Mansa Devi Mandir केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह स्थान जहां पौराणिक कथाओं से जुड़ा है, वहीं मानव विश्वास और चमत्कारों का जीवंत उदाहरण भी है।

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https://youtu.be/vxUzpJ7WGTE?si=ZukPGYFd4UUi13Hd

 

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