Manusmriti In LLB Syllabus : पौराणिक धर्मशास्त्र क्यों बना DU में बवाल का कारण , एक बार फिर सुर्खियों में
Manusmriti In LLB Syllabus : पौराणिक धर्मशास्त्र क्यों बना DU में बवाल का कारण , एक बार फिर सुर्खियों में
मनुस्मृति (Manusmriti) , जिसे मानव-धर्मशास्त्र या मनु के कानून के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्राचीन कानूनी ग्रंथ है। इसमें आर्यों के समय की सामाजिक व्यवस्था का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह ग्रंथ सदियों से हिंदू कानून का आधार रहा है और भारतीय संस्कृति पर इसका गहरा प्रभाव है। हालांकि, मनुस्मृति में वर्णित कुछ विषय जैसे जाति व्यवस्था और महिलाओं की स्थिति अक्सर विवाद का कारण बनते हैं।
ऐतिहासिक महत्व :
मनुस्मृति को भगवान मनु द्वारा लिखा गया माना जाता है, जो हिंदू धर्म में मानवजाति के प्रथम पुरुष और भगवान श्री हरि विष्णु का अवतार माने जाते हैं। इस महान ग्रंथ में कुल 12 अध्याय और 2684 श्लोक हैं, हालांकि कुछ संस्करणों में श्लोकों की संख्या 2964 बताई जाती है।
मनु कहते हैं- ‘जन्मना जायते शूद्र:’ अर्थात जन्म से तो सभी मनुष्य शूद्र के रूप में ही पैदा होते हैं. बाद में योग्यता के आधार पर ही व्यक्ति ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य अथवा शूद्र बनता है और यहीं बातें आज के समय में विवाद का विषय बन चुकी हैं।
समकालीन विवाद :
मनुस्मृति (Manusmriti) एक बार फिर सुर्खियों में है। हालांकि इस बार मनुस्मृति की चर्चा जेएनयू (JNU University) के बजाय दिल्ली यूनिवर्सिटी (Delhi University) में हो रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के एलएलबी पाठ्यक्रम में मनुस्मृति को शामिल करने के प्रस्ताव पर विवाद खड़ा हो गया था।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया कि मनुस्मृति कानून के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेगी , क्योंकि डीयू (DU) प्रशासन ने लॉ फैकिलिटी का वो प्रस्ताव खारिज कर दिया है। इस फैसले को लेकर शिक्षक मोर्चा ने भी कहा कि मनुस्मृति का अध्ययन ‘संविधान के खिलाफ’ है। कुलपति योगेश सिंह (DU VC Yogesh Singh) ने भी दो टूक कह दिया कि इस सुझाव को खारिज किया जाता है।
इस विवाद ने कई दिनों तक दिल्ली विश्वविद्यालय में बवाल मचाया। इससे पहले, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) और हैदराबाद विश्वविद्यालय में भी मनुस्मृति को जलाने और विरोध करने की घटनाएं घट चुकी हैं। कुछ समय पहले जेएनयू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित (JNU Vice Chancellor Santishree Dhulipudi Pandit) ने जेंडर इक्वैलिटी को लेकर प्राचीन संस्कृत पाठ मनुस्मृति की आलोचना की थी।
मनुस्मृति का विवादित पक्ष :
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, इस देश में बहुत समय पहले एक उन्नत सभ्यता और संस्कृति थी, जो 3500 ईसा पूर्व, यहां तक कि 6000 या 8000 ईसा पूर्व तक की थी. उस महान सभ्यता के लोग शांतिप्रिय थे, मुख्यतः कृषि और व्यापार में व्यस्त थे. जिन्हें कुछ बाहरी लोगों ने अपना शिकार बना लिया.
मनुस्मृति में वर्ण व्यवस्था और महिलाओं की स्थिति को लेकर कई विवादास्पद विषय शामिल हैं। इसमें वर्ण व्यवस्था के अनुसार समाज को चार प्रमुख वर्णों – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र – में बांटा गया है। आलोचकों का कहना है कि इस व्यवस्था ने समाज में ऊँच-नीच और भेदभाव को जन्म दिया। इसके अतिरिक्त, मनुस्मृति में महिलाओं की स्थिति को लेकर भी आलोचना होती रही है, जिसमें महिलाओं के अधिकार और उनकी सामाजिक स्थिति पर प्रतिबंधात्मक नियम शामिल हैं।
समर्थक और विरोधी दृष्टिकोण :
मनुस्मृति के समर्थक इसे एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दस्तावेज के रूप में महत्व देते हैं, जबकि विरोधी इसे जातिवाद और लैंगिक असमानता का जनक मानते हैं। समर्थकों का कहना है कि मनुस्मृति ने प्राचीन भारतीय समाज की व्यवस्थाओं और नियमों का वर्णन किया है, जो उस समय की आवश्यकताओं के अनुरूप थे। दूसरी ओर, विरोधियों का कहना है कि मनुस्मृति ने समाज में भेदभाव और असमानता को बढ़ावा दिया।
निष्कर्ष
मनुस्मृति एक महत्वपूर्ण लेकिन विवादित ग्रंथ है। यह हिंदू धर्म और भारतीय समाज की प्राचीन सामाजिक और कानूनी व्यवस्थाओं का विवरण देता है, लेकिन इसमें वर्णित कई मुद्दे आज के समाज में विवाद और बहस का कारण बनते हैं। मनुस्मृति का अध्ययन एक ऐतिहासिक दस्तावेज के रूप में महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन इसके विवादित पक्षों पर विचार करना भी आवश्यक है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में हाल ही में हुए विवाद ने एक बार फिर से इस ग्रंथ को चर्चा में ला दिया है, और इसके अध्ययन और उपयोग को लेकर विचार-विमर्श जारी है। कुल मिलाकर, मनुस्मृति का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व होते हुए भी इसके कुछ पक्ष समाज में असमानता और विवाद का कारण बनते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के एलएलबी छात्रों को ‘मनुस्मृति’ पढ़ाने के प्रस्ताव (Manusmriti in LLB Syllabus) को मंजूरी के लिए रखे जाने की खबरों के बाद, विश्वविद्यालय ने स्पष्ट कर दिया है कि मनुस्मृति (Manusmriti) कानून के पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेगी.
To know about the news Champions Trophy 2025 , refer to the link below –
https://khabarhartaraf.com/champions-trophy/
To know more about this news , refer to the link below –
https://youtu.be/urhiLjEKlAA?si=Pol-v45QBTu4TbqA
1 COMMENTS