Modified Rice For Diabetic People 2024 : अब चावल से नहीं बढ़ेगा शुगर , डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी चावल की नई प्रजाति”
Modified Rice For Diabetic People : अब चावल से नहीं बढ़ेगा शुगर , डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान साबित होगी चावल की नई प्रजाति”
Modified Rice : डायबिटीज (मधुमेह) आज एक गंभीर समस्या बन चुकी है। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई स्थायी इलाज नहीं है, केवल नियमित दवाओं और जीवनशैली में बदलाव से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। खासकर खाने-पीने की चीजों को लेकर डायबिटीज के मरीजों को काफी सतर्क रहना पड़ता है। उन्हें अपने आहार से उच्च ग्लाइसीमिक इंडेक्स (GI) वाले खाद्य पदार्थों को कम करने की सलाह दी जाती है, और इनमें प्रमुख रूप से चावल शामिल है।
चावल, जो भारतीय खानपान का महत्वपूर्ण हिस्सा है, डायबिटीज के मरीजों के लिए समस्या बन जाता है, क्योंकि इसमें ग्लाइसीमिक इंडेक्स (GI) अधिक होता है, जो रक्त शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को अचानक से बढ़ा सकता है। इस कारण डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को चावल के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है। लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) ने इस समस्या का समाधान निकालने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। संस्थान द्वारा विकसित की जा रही नई चावल की प्रजाति का ग्लाइसीमिक इंडेक्स कम होगा, जिससे यह मधुमेह के मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
क्या है ग्लाइसीमिक इंडेक्स (GI)?
ग्लाइसीमिक इंडेक्स (GI) किसी खाद्य पदार्थ द्वारा रक्त शर्करा के स्तर पर पड़ने वाले प्रभाव को मापने का एक पैमाना है। उच्च GI वाले खाद्य पदार्थ रक्त शर्करा के स्तर को तेजी से बढ़ाते हैं, जबकि कम GI वाले खाद्य पदार्थ धीरे-धीरे इसे बढ़ाते हैं, जिससे शरीर में इंसुलिन के स्तर पर दबाव नहीं पड़ता। सामान्य चावल का GI लगभग 60-70 होता है, जो इसे डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयुक्त नहीं बनाता। ऐसे मरीजों को कम GI वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
नई चावल की प्रजाति(Modified Rice) : डायबिटीज के मरीजों के लिए वरदान :
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) ने हाल ही में चावल की एक नई प्रजाति विकसित की है, जिसका ग्लाइसीमिक इंडेक्स 50 या उससे भी कम होगा। इसका अर्थ यह है कि यह प्रजाति डायबिटीज के मरीजों के लिए पूरी तरह से सुरक्षित होगी और इसका सेवन करने से उनका शुगर लेवल अचानक नहीं बढ़ेगा। इस नई प्रजाति का विकास डायबिटीज के मरीजों के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है, क्योंकि इससे वे अपनी डाइट में चावल को शामिल कर सकते हैं, बिना शुगर लेवल के डर के।
कैसे काम करता है यह नया चावल (Modified Rice)?
यह नया चावल शरीर में ग्लूकोज के धीरे-धीरे अवशोषण को सुनिश्चित करता है, जिससे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है। इसके अलावा, इस नई प्रजाति में फाइबर की मात्रा अधिक होने की संभावना है, जो पाचन प्रक्रिया को धीमा करती है और रक्त में ग्लूकोज के धीरे-धीरे अवशोषण में मदद करती है। इसके परिणामस्वरूप शुगर का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता है और डायबिटीज के मरीजों को इंसुलिन पर कम निर्भरता होती है।
डायबिटीज के मरीजों के लिए राहत :
डायबिटीज से पीड़ित मरीजों को अक्सर अपने खानपान में चावल जैसी वस्तुओं से परहेज करना पड़ता है, जो उनके लिए एक मानसिक और शारीरिक चुनौती होती है। भारतीय संस्कृति में चावल एक प्रमुख भोजन है, और कई क्षेत्रों में इसे आहार का मुख्य हिस्सा माना जाता है। लेकिन डायबिटीज के कारण मरीजों को इससे परहेज करना पड़ता है, जो उनके लिए काफी कठिनाई पैदा करता है।
लेकिन इस नई प्रजाति के विकास से डायबिटीज के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। अब वे अपने आहार में चावल को शामिल कर सकते हैं और इसका आनंद उठा सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे उनका शुगर लेवल भी नियंत्रण में रहेगा, जो उनकी सेहत के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है।
जलवायु अनुकूल और उच्च उत्पादन वाली प्रजातियां :
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए ही नहीं, बल्कि जलवायु अनुकूल प्रजातियों के विकास में भी महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। दुनिया भर में बदलती जलवायु के कारण कृषि पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है, खासकर बाढ़, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण। ऐसे में संस्थान ने किसानों के लिए ऐसी चावल की प्रजातियों का विकास किया है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अच्छी उपज दे सकती हैं।
स्वर्णा सब -1 और सम्भा सब -1 जैसी प्रजातियां इसका प्रमुख उदाहरण हैं, जो बाढ़ और सूखे जैसे हालातों में भी अच्छी पैदावार देने में सक्षम हैं। यह प्रजातियां किसानों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आई हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहां जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि कार्य में बाधाएं उत्पन्न होती हैं।
कृषि में तकनीकी विकास और किसानों को लाभ :
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान किसानों तक इस तकनीक को पहुंचाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विभिन्न संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से यह तकनीक किसानों तक पहुंचाई जा रही है, ताकि वे इसका पूरा लाभ उठा सकें। कृषि विज्ञान केंद्र और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर संस्थान यह सुनिश्चित कर रहा है कि किसान नई-नई तकनीकों और प्रजातियों के विकास से अवगत हों और उनका प्रयोग कर सकें।
संस्थान द्वारा विकसित की गई चावल की प्रजातियां न केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए फायदेमंद होंगी, बल्कि किसानों के लिए भी उत्पादन बढ़ाने और जलवायु अनुकूल कृषि कार्य में मददगार साबित होंगी।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चावल (Modified Rice) की नई प्रजाति :
चावल की इस नई प्रजाति के विकास में आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी (बायोटेक्नोलॉजी) और पारंपरिक कृषि पद्धतियों का उपयोग किया गया है। वैज्ञानिकों ने चावल के डीएनए (जीनोम) का अध्ययन करके ऐसे जीनों की पहचान की, जो ग्लाइसीमिक इंडेक्स को कम करने में मदद करते हैं। इसके बाद इन जीनों को नई प्रजातियों में शामिल किया गया, जिससे चावल का GI कम हो सके। इस तकनीकी विकास ने चावल को डायबिटीज के मरीजों के लिए उपयुक्त बनाने की दिशा में एक नई क्रांति शुरू की है।
भविष्य की संभावनाएं :
इस नई चावल की प्रजाति का विकास अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इसके परिणाम उत्साहजनक हैं। यह संभव है कि भविष्य में और भी कम GI वाली चावल की किस्में विकसित की जाएं, जो न केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए, बल्कि आम जनमानस के लिए भी फायदेमंद हों। इसके साथ ही, जलवायु अनुकूल प्रजातियों का विकास किसानों के लिए एक नई दिशा प्रदान करेगा, जिससे वे प्राकृतिक आपदाओं से भी सुरक्षित रहेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (IRRI) द्वारा चावल की इस नई प्रजाति (Modified Rice) का विकास डायबिटीज के मरीजों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। यह चावल न केवल शुगर के मरीजों को उनके आहार में चावल शामिल करने का मौका देगा, बल्कि यह उन्हें एक स्वस्थ और संतुलित जीवन जीने में भी मदद करेगा। इस नई प्रजाति के साथ डायबिटीज के मरीज अब बिना किसी चिंता के चावल का आनंद ले सकेंगे, और यह विकास भारतीय कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नई क्रांति का संकेत है।
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