Pakistan After Operation : ये हैं 5 बड़ी वजह… क्यों भारत से टकराने से पहले दस बार सोचेगा पाकिस्तान?
Pakistan: भारत के हवाई हमले के बाद पाकिस्तान के तेवर बदले-बदले से नजर आ रहे हैं. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है कि भारत अगर आगे कोई कार्रवाई नहीं करता है, तो हम भी कुछ नहीं करेंगे.
Pakistan : पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव की स्थिति कोई नई बात नहीं है, लेकिन हर बार की तरह इस बार मामला कुछ अलग है। भारत ने हाल ही में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में 9 आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक कर अपनी सैन्य शक्ति और रणनीतिक समझ का परिचय दिया है। इसके बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के सुर कुछ बदले-बदले नजर आए। उन्होंने साफ कहा कि अगर भारत सीमा पर अभियान रोक देता है, तो पाकिस्तान भी आगे कोई कार्रवाई नहीं करेगा। इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि अब पाकिस्तान को भारत से टकराने से पहले दस बार सोचना पड़ेगा।
इस लेख में हम उन 5 बड़ी वजहों पर विस्तार से चर्चा करेंगे जो यह दर्शाती हैं कि क्यों पाकिस्तान (Pakistan) अब भारत से सीधे टकराने का जोखिम नहीं उठा सकता।
1. भारतीय सेना की ताकत: पाकिस्तान (Pakistan) के बस की बात नहीं
भारत ने एक बार फिर यह दिखा दिया है कि वह केवल बोलता नहीं, बल्कि करता भी है। जब देश की सुरक्षा और नागरिकों की जान की बात आती है, तो भारत की सैन्य ताकत हर स्तर पर तैयार रहती है। भारत की सेना न केवल संख्या में बल्कि टेक्नोलॉजी, उपकरण और रणनीति में भी काफी आगे है।
भारत बनाम पाकिस्तान – रक्षा बजट की तुलना
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भारत का रक्षा बजट (2024): 86.1 अरब डॉलर (लगभग ₹7.3 लाख करोड़)
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पाकिस्तान का रक्षा बजट (2024): 10.2 अरब डॉलर (लगभग ₹2.85 लाख करोड़ पाकिस्तानी रुपये)
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट के अनुसार भारत सेना पर खर्च के मामले में दुनिया में पांचवें नंबर पर है। वहीं पाकिस्तान इस सूची में काफी पीछे है। भारत की तीनों सेनाएं – थल सेना, नौसेना और वायुसेना – आज अत्याधुनिक हथियारों और रणनीतिक मिसाइलों से लैस हैं।
ऑपरेशन सिंदूर जैसे हमलों से साफ है कि भारत अब पहले की तरह सिर्फ डिप्लोमैसी तक सीमित नहीं है, बल्कि आतंकवाद का जवाब सीधे उनकी धरती पर जाकर देता है।
2. पाकिस्तान (Pakistan) की चरमराई अर्थव्यवस्था
जहां भारत तेज गति से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था है, वहीं पाकिस्तान आज आर्थिक कंगाली की कगार पर खड़ा है। दोनों देशों ने एक ही साल (1947) में आजादी पाई, लेकिन 2024 तक दोनों की आर्थिक स्थितियों में जमीन-आसमान का फर्क है।
GDP की तुलना
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भारत की अनुमानित GDP (2024): 4.3 ट्रिलियन डॉलर
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पाकिस्तान की GDP (2024): 374 बिलियन डॉलर
भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और 2025 तक जापान को पीछे छोड़कर चौथे स्थान पर पहुंचने की संभावना है। वहीं पाकिस्तान की हालत यह है कि उसे IMF और चीन जैसे देशों के आगे मदद के लिए गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।
भारत में विदेशी निवेश बढ़ रहा है, स्टार्टअप्स तेजी से पनप रहे हैं, और दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियां भारत को अपना विनिर्माण केंद्र बना रही हैं। इसके उलट पाकिस्तान से निवेशक दूरी बना रहे हैं, जिससे उसका आर्थिक ढांचा और कमजोर हो गया है।
3. अंतरराष्ट्रीय मंचों से नहीं मिल रही पाकिस्तान को मदद
एक तरफ भारत वैश्विक राजनीति में अपनी जगह मजबूत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अलग-थलग होता जा रहा है। आतंकवाद को लेकर उसकी नीति, कर्ज पर निर्भरता और लगातार आर्थिक कुप्रबंधन ने उसे संकट में डाल दिया है।
IMF की मदद पर संकट
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पाकिस्तान को IMF से 1.3 अरब डॉलर का क्लाइमेट रेजिलिएंस लोन मिलना है, जिस पर 9 मई को फैसला होना है।
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इसके अलावा, IMF के 7 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की दूसरी किश्त पर भी समीक्षा होगी।
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अगर पाकिस्तान FATF की निगरानी में आता है, तो IMF से मिलने वाली मदद रूक सकती है।
पाकिस्तान ने चीन से 10 अरब युआन की मदद की गुहार लगाई है, लेकिन चीन ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। इसका मतलब साफ है – पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साख गिर चुकी है।
4. पाकिस्तानी शेयर बाजार की तबाही
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद Pakistan का शेयर बाजार बुरी तरह टूट गया। वहीं भारत में आर्थिक स्थिरता और बाजार में विश्वास बना रहा।
तुलनात्मक विश्लेषण
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पाकिस्तान (Pakistan) का KSE-100 इंडेक्स: एक ही दिन में 6,500 अंक गिरा, 1,07,007 पर पहुंच गया।
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भारत (India) का सेंसेक्स: 80,000 अंक के ऊपर खुला।
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निफ्टी: 24,300 के स्तर के करीब रहा।
इसका मतलब है कि पाकिस्तान में राजनीतिक और सैन्य तनाव का सीधा असर उसके बाजार पर पड़ता है, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था और बाजार इस तरह के तनावों से अप्रभावित रहते हैं। विदेशी निवेशक भारत में भरोसा जताते हैं, जबकि पाकिस्तान से भागते हैं।
5. अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कर सकती हैं पाकिस्तान (Pakistan) को ब्लैकलिस्ट
अगर पाकिस्तान आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहा, तो उसे फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ब्लैकलिस्ट में डाला जा सकता है। FATF की निगरानी में आने का मतलब है कि अंतरराष्ट्रीय फाइनेंशियल सिस्टम में पाकिस्तान की भागीदारी को सीमित किया जाएगा।
इसके संभावित परिणाम:
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IMF और विश्व बैंक से कर्ज मिलना मुश्किल होगा।
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विदेशी निवेश और व्यापार पर असर पड़ेगा।
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पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों पर निगरानी बढ़ेगी।
भारत के पास वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की नीतियों को उजागर करने के लिए मजबूत कूटनीति और सबूत हैं, जिसका इस्तेमाल वह पहले भी करता रहा है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान (Pakistan) के लिए भारत से टकराना अब केवल सैन्य मुद्दा नहीं रहा, यह अब एक बहुआयामी संकट बन चुका है – जिसमें सैन्य कमजोरी, आर्थिक बदहाली, अंतरराष्ट्रीय अलगाव और घरेलू अव्यवस्था सब कुछ शामिल है।
भारत न केवल सैनिक दृष्टिकोण से मजबूत है, बल्कि उसकी वैश्विक स्थिति, राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक शक्ति पाकिस्तान से कहीं आगे है। यही कारण है कि पाकिस्तान को अब हर कदम फूंक-फूंक कर उठाना पड़ता है।
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