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IAS Pooja Khedkar
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IAS Pooja Khedkar : बिना मेडिकल जांच के कैसे बन गईं IAS ? निजी हॉस्पिटल की रिपोर्ट क्यों लगाई ? विवाद और सवाल

IAS Pooja Khedkar : बिना मेडिकल जांच के कैसे बन गईं IAS ? निजी हॉस्पिटल की रिपोर्ट क्यों लगाई ? विवाद और सवाल

 Pooja Khedkar

IAS Pooja Khedkar का विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। पुणे कलेक्टर ऑफिस से शुरू हुआ यह विवाद अब बैकडेट में जाकर उनकी जॉइनिंग को भी सवालों के घेरे में खड़ा कर चुका है।

विकलांगता श्रेणी और यूपीएससी परीक्षा :

IAS Pooja Khedkar ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा (CSE) के फॉर्म को विकलांगता श्रेणी के तहत भरा था। उन्होंने खुद को 40% दृष्टिबाधित यानी विजुअली इंपेयर्ड बताया था। इसी आधार पर उन्हें यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में कम अंक होने के बावजूद भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में जगह मिली।

यूपीएससी परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है। हर साल लाखों उम्मीदवार इस परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन केवल कुछ ही इसका सपना पूरा कर पाते हैं। पूजा खेडकर ने भी इस कठिन परीक्षा को पार किया, लेकिन उनके विकलांगता के दावे ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

पुणे में नियुक्ति और विवाद :

महाराष्ट्र कैडर की प्रोबेशनरी आईएएस अफसर पूजा खेडकर ने 3 जून, 2024 को पुणे की असिस्टेंट कलेक्टर के तौर पर अपना कार्यकाल शुरू किया। पुणे कलेक्टर ने उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने अलग ऑफिस, सरकारी आवास, गाड़ी और स्टाफ की सुविधा मांगी थी। इसके अलावा, पूजा खेडकर ने अपनी पर्सनल ऑडी कार पर सरकारी लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का चिह्न भी लगवाया था, जो कि ट्रेनिंग के दौरान अफसरों को नहीं दी जाती।

यह विवाद तब और गहराया जब पूजा खेडकर पर यह आरोप भी लगे कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और अपने लिए सुविधाएं मांगी जो कि नियमों के खिलाफ हैं। यह मामला प्रशासनिक सेवा की गरिमा और अनुशासन पर भी सवाल खड़ा करता है।

विकलांगता के दावे पर सवाल :

IAS Pooja Khedkar ने यूपीएससी फॉर्म में विकलांगता श्रेणी के तहत 40% दृष्टिबाधित होने और मानसिक बीमारी से ग्रस्त होने का दावा किया था। उनके पिता दिलीप खेडकर का कहना है कि पूजा ने जॉइनिंग के समय कोई गलत जानकारी नहीं दी और वह सच में 40% दृष्टिबाधित और मानसिक बीमारी से ग्रस्त हैं।

विकलांगता श्रेणी के तहत नौकरी पाने के लिए उम्मीदवारों को अपनी विकलांगता का प्रमाण देना होता है। पूजा खेडकर ने अपने विकलांगता का प्रमाण दिया था, लेकिन उनके इस दावे पर सवाल उठने लगे हैं।

मेडिकल परीक्षण और विवाद :

पूजा खेडकर ने 2021 में यूपीएससी सीएसई परीक्षा पास की थी। विकलांगता श्रेणी के तहत फॉर्म भरने के कारण उन्हें 2022 में एम्स, दिल्ली में मेडिकल टेस्ट के लिए बुलाया गया। उस समय उन्होंने कोविड-19 से संक्रमित होने का दावा करते हुए परीक्षण स्थगित करने का अनुरोध किया। बाद में 26 अगस्त से 2 सितंबर तक एम्स में उनका मेडिकल टेस्ट किया गया।

एम्स में मेडिकल परीक्षण के दौरान, दोनों आंखों में विजन लॉस का कारण जानने के लिए एक स्पेशलिस्ट ने उन्हें एमआरआई (मस्तिष्क) कराने की सलाह दी थी। लेकिन, एम्स में ड्यूटी अधिकारी ने पूजा खेडकर से संपर्क करने की काफी कोशिश की, लेकिन उन्होंने कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया, जिससे उनकी दृष्टि विकलांगता का आकलन नहीं किया जा सका।

निजी मेडिकल रिपोर्ट :

बाद में, पूजा खेडकर ने एक प्राइवेट मेडिकल सेंटर में की गई एमआरआई रिपोर्ट जमा कर दी, जिसने उनके विकलांगता के दावों का समर्थन किया। CAT (Central Administrative Tribunal) के एक सदस्य भगवान सहाय और न्यायमूर्ति एम जी सेवलीकर के आदेश में भी इसका जिक्र किया गया।

प्राइवेट मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर पूजा खेडकर का विकलांगता का दावा सही पाया गया, लेकिन सरकारी मेडिकल परीक्षण में शामिल न होने के कारण उनके दावे पर शक बना हुआ है।

नतीजा और प्रभाव :

पूजा खेडकर के विवाद ने न केवल उनके करियर पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि विकलांगता श्रेणी के तहत नौकरी पाने वाले अन्य उम्मीदवारों पर भी संदेह पैदा किया है। यह मामला अभी भी जांच के अधीन है और इसकी पूरी सच्चाई सामने आना बाकी है।

यह मामला न केवल प्रशासनिक प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि उन उम्मीदवारों की भी परीक्षा लेता है जो वास्तव में विकलांगता श्रेणी के तहत नौकरी पाने के हकदार हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में क्या निष्कर्ष निकलता है और यह किस प्रकार से प्रशासनिक प्रणाली को प्रभावित करता है।

प्रशासनिक सेवा की गरिमा पर सवाल :

 Pooja Khedkar

पूजा खेडकर के विवाद ने प्रशासनिक सेवा की गरिमा और अनुशासन पर भी सवाल खड़े किए हैं। एक आईएएस अफसर से उम्मीद की जाती है कि वह अपने पद का सही इस्तेमाल करेगा और नियमों का पालन करेगा। लेकिन पूजा खेडकर के मामले में यह सवाल खड़े हो गए हैं कि क्या उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया और नियमों का उल्लंघन किया।

मीडिया और सामाजिक मीडिया ने इस मामले को लेकर काफी प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोग पूजा खेडकर का समर्थन कर रहे हैं और उनके विकलांगता के दावे को सही मानते हैं, जबकि कुछ लोग उनके दावों पर शक कर रहे हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

न्यायिक जांच और निष्कर्ष :

इस मामले की न्यायिक जांच चल रही है और यह देखना बाकी है कि इस मामले में क्या निष्कर्ष निकलता है। प्रशासनिक सेवा की गरिमा और अनुशासन को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि इस मामले की पूरी सच्चाई सामने आए और दोषियों को सजा मिले।

यह मामला प्रशासनिक सुधार की आवश्यकता को भी उजागर करता है। विकलांगता श्रेणी के तहत नौकरी पाने के लिए उम्मीदवारों को सही तरीके से जांचा जाए और किसी भी प्रकार की धांधली को रोका जाए।

IAS Pooja Khedkar का मामला न केवल प्रशासनिक सेवा की गरिमा और अनुशासन पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि विकलांगता श्रेणी के तहत नौकरी पाने वाले अन्य उम्मीदवारों के लिए भी एक उदाहरण पेश करता है। यह आवश्यक है कि इस मामले की पूरी सच्चाई सामने आए और दोषियों को सजा मिले ताकि प्रशासनिक सेवा की गरिमा और निष्पक्षता को बनाए रखा जा सके।

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