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Rajendra Nath : जब खून के आंसू रोए सभी को हंसाने वाले राजेंद्र नाथ, कभी कॉमेडी से सुपरस्टार पर पड़ जाते थे भारी

Rajendra Nath : जब खून के आंसू रोए सभी को हंसाने वाले राजेंद्र नाथ, कभी कॉमेडी से सुपरस्टार पर पड़ जाते थे भारी

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Rajendra Nath Tragic Story : हिंदी सिनेमा में अगर हास्य कलाकारों की बात हो और राजेंद्र नाथ का नाम न लिया जाए, तो यह एक बड़ी नाइंसाफी होगी। राजेंद्र नाथ, एक ऐसा नाम, जिनकी खामोशी और हाव-भाव ही दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर देते थे। उनकी हास्य प्रतिभा इतनी अद्भुत थी कि वे अपने अभिनय से ही फिल्म के मुख्य नायक-नायिका पर भारी पड़ जाते थे। आज उनकी 17वीं पुण्यतिथि पर हम उनकी जिंदगी के उन खास पहलुओं पर नज़र डालते हैं, जो दर्शाते हैं कि कैसे संघर्षों के बीच उन्होंने खुद को सिनेमा का अमर हास्य कलाकार बना दिया।

जन्म और शुरुआती जीवन

राजेंद्र नाथ का जन्म 8 जून 1931 को रीवा, मध्य प्रदेश में हुआ। उनके पिता करतार नाथ रीवा शहर के आईजी ऑफ पुलिस थे। परिवार बड़ा था, जिसमें आठ भाई और चार बहनें थीं। राजेंद्र का बचपन सामान्य तौर पर बीता, लेकिन उनमें अभिनय की चिंगारी शायद तब जगी जब उन्होंने अपने बड़े भाई प्रेम नाथ को फिल्मी दुनिया में प्रवेश करते देखा।

हालांकि, राजेंद्र डॉक्टर बनना चाहते थे। पढ़ाई के प्रति उनकी रुचि थी, लेकिन बड़े भाई प्रेम नाथ के फिल्मों में काम करने के प्रति झुकाव ने उनके सपनों को एक अलग दिशा दी। रीवा में स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद, 1947 में, वे अपने भाई के कहने पर मुंबई आ गए।

पृथ्वी थिएटर से फिल्मों तक का सफर

मुंबई पहुंचने के बाद राजेंद्र नाथ ने अपने अभिनय सफर की शुरुआत पृथ्वी थिएटर से की। यहां उन्होंने दीवार, आहुति, पठान, और शकुंतला जैसे नाटकों में हिस्सा लिया। अभिनय की दुनिया में उनका यह पहला कदम था।

हालांकि, फिल्मी सफर की शुरुआत इतनी आसान नहीं थी। बड़े भाई प्रेम नाथ ने उनके काम के प्रति लापरवाह रवैये को लेकर उन्हें घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद भी राजेंद्र ने हार नहीं मानी और फिल्मों में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करते रहे।

पहली फिल्म: ‘दिल देके देखो’

Rajendra Nath को पहला मौका 1959 में नासिर हुसैन की फिल्म दिल देके देखो में मिला। इसमें उन्होंने ‘कैलाश’ का किरदार निभाया। उनकी कॉमिक टाइमिंग और अदायगी ने दर्शकों को खूब लुभाया। यही वह फिल्म थी, जिसने राजेंद्र नाथ को हिंदी सिनेमा में हास्य कलाकार के रूप में स्थापित कर दिया।

इसके बाद नासिर हुसैन ने उन्हें अपनी कई फिल्मों में काम दिया, जिनमें जब प्यार किसी से होता है (1961), फिर वही दिल लाया हूं (1963), और तीसरी मंज़िल (1966) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में शामिल थीं।

‘पोपट लाल’ और उनकी पहचान

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जब प्यार किसी से होता है में राजेंद्र नाथ ने ‘पोपट लाल’ का किरदार निभाया। यह भूमिका उनके करियर की सबसे यादगार भूमिकाओं में से एक थी। उनकी मासूमियत भरी कॉमेडी ने दर्शकों का दिल जीत लिया। यहां तक कि यह किरदार इतना लोकप्रिय हुआ कि लोग उन्हें असल जिंदगी में भी ‘पोपट लाल’ कहकर बुलाने लगे।

उनकी खासियत यह थी कि वे अपनी एक्टिंग से फिल्म की कमजोर स्क्रिप्ट को भी संभाल लेते थे। दर्शक उनकी उपस्थिति मात्र से हंसी से लोटपोट हो जाते थे।

कर्ज और कंगाली का दौर

Rajendra Nath ने 1974 में अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर द गेट क्रेशर नाम की फिल्म बनाने की कोशिश की। इसमें उन्होंने नीतू सिंह और रणधीर कपूर को मुख्य भूमिका में लिया। हालांकि, फिल्म महज 10 दिनों की शूटिंग के बाद ठंडे बस्ते में चली गई।

फिल्म निर्माण के लिए उन्हें कई लोगों से कर्ज लेना पड़ा था। जब फिल्म अधूरी रह गई, तो कर्ज चुकाने के लिए उन्हें अपनी संपत्ति तक बेचनी पड़ी। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था, “यूपी और दिल्ली के डिस्ट्रीब्यूटरों ने मुझे खून के आंसू रुला दिए। वे मुझसे ज्यादा ब्याज लेते थे और हर एक पैसे वसूलते थे।”

इस असफलता ने उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ दिया। हालांकि, इसके बावजूद वे फिल्मों में काम करते रहे और दर्शकों को हंसाने का सिलसिला जारी रखा।

1990 के दशक का अंत: जब अभिनय से दूरी बनी

1991 में बड़े भाई प्रेम नाथ के निधन ने राजेंद्र नाथ को अंदर से तोड़ दिया। इसके बाद 1998 में उनके छोटे भाई नरेंद्र नाथ का भी निधन हो गया। इन घटनाओं ने उन्हें मानसिक रूप से प्रभावित किया।

आखिरी बार वे 1995 में लोकप्रिय टीवी शो हम पांच में अपने ‘पोपट लाल’ किरदार के रूप में नजर आए। इसके बाद उन्होंने इंडस्ट्री से पूरी तरह दूरी बना ली।

13 फरवरी 2008: हास्य का एक अध्याय समाप्त

13 फरवरी 2008 को दिल का दौरा पड़ने के कारण राजेंद्र नाथ का निधन हो गया। उनके निधन से सिनेमा जगत ने एक ऐसा हास्य कलाकार खो दिया, जिसकी कला सदियों तक याद की जाएगी।

राजेंद्र नाथ की विरासत

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Rajendra Nath ने 1959 से 1998 के बीच 253 फिल्मों में काम किया। उनका योगदान हिंदी सिनेमा के हास्य जगत में अनमोल है। उनकी फिल्मों के बिना 60 और 70 के दशक की कॉमेडी अधूरी लगती है।राजेंद्र नाथ का जीवन हमें सिखाता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल क्यों न हों, अपने काम और जुनून के प्रति ईमानदारी हमें हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।

राजेंद्र नाथ केवल एक हास्य कलाकार नहीं थे, बल्कि वे हिंदी सिनेमा की रीढ़ थे, जिन्होंने अपनी प्रतिभा से हर वर्ग के दर्शकों को हंसने का मौका दिया। उनकी जिंदगी संघर्ष, सफलता, असफलता और अंततः सिनेमा से अटूट प्रेम की एक प्रेरणादायक कहानी है।आज उनकी पुण्यतिथि पर, हम उनकी स्मृति को नमन करते हैं और आशा करते हैं कि उनकी कला और योगदान को आने वाली पीढ़ियां भी याद रखेंगी।

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