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Ramadan 2025 : रमजान का पहला रोजा कब रखा जाएगा, इस दिन रोजेदारों को क्या करना चाहिए?

Ramadan 2025 : रमजान का पहला रोजा कब रखा जाएगा, इस दिन रोजेदारों को क्या करना चाहिए?

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Ramadan इस्लामिक कैलेंडर का नौंवा महीना है, जिसे मुस्लिम समुदाय का सबसे पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना ईश्वर के प्रति समर्पण, संयम, और आत्म-शुद्धि का प्रतीक है। इस महीने में रोजेदार सूरज निकलने से पहले सहरी करते हैं और सूर्यास्त के बाद इफ्तार करके अपना रोजा तोड़ते हैं। रमजान के पूरे महीने में 29 से 30 दिनों तक रोजे रखे जाते हैं और इसके अंत में ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाता है।

भारत में रमजान (Ramadan) 2025 कब शुरू होगा?

रमजान का महीना इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार शाबान के बाद आता है। इस बार 2025 में रमजान का पहला रोजा 1 मार्च या 2 मार्च को रखा जाएगा। यह तय करने के लिए चांद का दिखना बेहद महत्वपूर्ण है। अगर 28 फरवरी 2025 की शाम को रमजान का चांद नजर आ गया, तो 1 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा। वहीं, अगर 1 मार्च को चांद नजर आएगा, तो 2 मार्च को रमजान का पहला रोजा रखा जाएगा।

चूंकि भारत में रमजान की शुरुआत सऊदी अरब के चांद देखने के बाद होती है, इसलिए चांद दिखने पर ही इस बात की पुष्टि की जाती है। अगर भारत में चांद नजर नहीं आता है, तो सऊदी अरब के हिसाब से अगले दिन रमजान की शुरुआत मानी जाती है। यही प्रक्रिया ईद के लिए भी अपनाई जाती है।

रोजेदारों के लिए रमजान का महत्व

रमजान (Ramadan) केवल भूखे और प्यासे रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह आत्म-नियंत्रण, धैर्य और ईश्वर की भक्ति का महीना है। इस्लाम धर्म के अनुसार, रोजा इस्लाम के पांच मूल स्तंभों में से एक है, जो हर मुस्लिम के लिए अनिवार्य माना गया है।

रमजान के दौरान रोजेदार सूरज निकलने से पहले सहरी (भोजन) करते हैं और पूरे दिन बिना कुछ खाए-पिए रहते हैं। सूर्यास्त के बाद इफ्तार (भोजन) करके अपना उपवास तोड़ते हैं। इस दौरान रोजेदार नमाज पढ़ते हैं, कुरान का पाठ करते हैं और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगते हैं। इसके अलावा, गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने का भी विशेष महत्व होता है।

पहले रोजे का महत्व

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माह-ए-रमजान (Ramadan) का पहला रोजा खास होता है। यह संयम, सब्र और अनुशासन की सीख देता है। पहला रोजा रखते हुए रोजेदार खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से रमजान के पूरे महीने के लिए तैयार करते हैं। इस दिन परिवार और समुदाय के सदस्य एक साथ सहरी और इफ्तार करते हैं, जिससे सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का अनुभव होता है।

रोजेदारों को क्या करना चाहिए?

Ramadan के महीने में रोजेदारों को विशेष रूप से कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  1. सहरी और इफ्तार का ध्यान रखें : सहरी सूरज निकलने से पहले करना चाहिए और सूर्यास्त के तुरंत बाद इफ्तार करना चाहिए।
  2. नमाज अदा करें : रमजान में पांच वक्त की नमाज पढ़ना अनिवार्य माना जाता है। साथ ही, तरावीह की नमाज का भी विशेष महत्व है।
  3. कुरान का पाठ करें : इस महीने में रोजाना कुरान का पाठ करना चाहिए। यह अल्लाह की भक्ति और मार्गदर्शन का महीना है।
  4. दान और मदद करें : गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना और उन्हें दान देना रमजान के मुख्य कार्यों में से एक है।
  5. गलत आदतों से बचें : रमजान में झूठ, गुस्सा, और बुरी आदतों से दूर रहना चाहिए। यह आत्म-नियंत्रण और नैतिकता सिखाने का महीना है।
  6. स्वास्थ्य का ख्याल रखें : रोजे के दौरान सेहत का ध्यान रखना भी जरूरी है। सहरी और इफ्तार में पौष्टिक भोजन करें और अधिक पानी पिएं।

Ramadan के धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ

रमजान केवल उपवास रखने का महीना नहीं है, बल्कि यह आत्म-शुद्धि, ईश्वर के प्रति समर्पण, और दूसरों की मदद का समय है। रमजान में रोजेदारों को अल्लाह के करीब आने का मौका मिलता है। यह महीना मुसलमानों को अपने जीवन में अनुशासन और संयम सिखाता है।

  1. आत्म-शुद्धि : रमजान के दौरान उपवास रखने से आत्म-नियंत्रण और सब्र की भावना बढ़ती है।
  2. पारिवारिक एकता : सहरी और इफ्तार के दौरान परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने से रिश्तों में मजबूती आती है।
  3. समाज सेवा : रमजान में दान और जरूरतमंदों की मदद करने से सामाजिक समानता का अनुभव होता है।
  4. आध्यात्मिक शांति : रोजा रखने और नमाज अदा करने से मन की शांति मिलती है।

Ramadan के दौरान विशेष परंपराएं

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रमजान में कुछ परंपराओं का पालन करना विशेष रूप से जरूरी है:

  • तरावीह की नमाज : रमजान के महीने में रात को तरावीह की विशेष नमाज पढ़ी जाती है।
  • इफ्तार पार्टी : रमजान के दौरान इफ्तार पार्टी का आयोजन करके लोग आपसी भाईचारे को बढ़ावा देते हैं।
  • जकात और फितरा : रमजान में जकात (दान) और फितरा देना अनिवार्य है। यह आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद के लिए दिया जाता है।

Ramadan का समापन और ईद-उल-फितर

रमजान के अंत में ईद-उल-फितर का पर्व मनाया जाता है। यह खुशी और उत्सव का समय होता है, जब मुसलमान नए कपड़े पहनते हैं, मस्जिद में नमाज अदा करते हैं और एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं।

रमजान का महीना मुसलमानों के लिए केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्म-निरीक्षण, ईश्वर के प्रति समर्पण और दूसरों की सेवा का समय है। रमजान के पहले रोजे से ही रोजेदार संयम और सब्र की भावना विकसित करते हैं। इस पवित्र महीने में किए गए हर अच्छे कार्य का फल कई गुना बढ़कर मिलता है। इसलिए, हर मुसलमान को इस महीने का महत्व समझते हुए इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।

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