Ramdev Baba : पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट का झटका
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने Ramdev Baba के पतंजलि आयुर्वेद को एक बड़ा झटका दिया है, जब उन्होंने पतंजलि की दवाओं के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाने का अंतरिम आदेश जारी किया। इस आदेश के बाद, पतंजलि को अपने उत्पादों की प्रचार-प्रसार में सावधानी बरतनी होगी ताकि अगर किसी दवा का तथ्य असत्य साबित होता है तो उसके प्रचार पर रोक लगा सका जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश उस समय जारी किया जब कुछ दिनों से चल रहे विवाद में पतंजलि के उत्पादों के विज्ञापनों की सत्यता पर सवाल उठ रहे थे। कई उपभोक्ताओं ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो और तस्वीरों के माध्यम से दावा किया कि पतंजलि के विज्ञापन में दी जाने वाली जानकारी सही नहीं है और यह लोगों को गुमराह करने का कारण बन रहा है।
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश एक तरह का संकेत है कि अगर कोई भी फार्मा कंपनी अपने उत्पादों की बेहद चमकीली छवि बनाने के लिए खुद को नकली तथ्य देने में लपरवाही करती है, तो उसे इसका ठीक उत्तर देना होगा।
पतंजलि आयुर्वेद: पुराने आदेशों के उल्लंघन पर नोटिस, Ramdev Baba के खिलाफ अवमानना की चेतावनी
पतंजलि आयुर्वेद के संस्थापक Ramdev Baba व और आचार्य बालकृष्णन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक नए नोटिस के माध्यम से चेतावनी दी गई है, जिसमें उनको पुराने आदेशों के उल्लंघन के बारे में जवाब देने के लिए कहा गया है। यह नोटिस उनके विज्ञापनों और दवाओं की सत्यता के संदर्भ में है, जो पहले से ही चर्चा में हैं।
सुप्रीम कोर्ट का यह नया नोटिस उनके पुराने आदेशों के उल्लंघन के बारे में सीधे सवाल करता है और उनसे त्वरित जवाब मांगता है। नोटिस के अनुसार, कुछ पुराने आदेशों के उल्लंघन के संदर्भ में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्णन को खुद को स्वीकार करने का आदान-प्रदान करना होगा।इस नए नोटिस का जारी होना, जब इन आदेशों के उल्लंघन की चर्चा तेजी से बढ़ रही है, इससे यह साबित होता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे को गंभीरता से लेकर रही है।देश में चल रहे कुछ महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई के दौरान, न्यायिक प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मोड़ आया है, जिसमें कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के मामले की सुनवाई: न्यायिक संरचना की दृष्टि से महत्वपूर्ण
भारतीय सुप्रीम कोर्ट में Ramdev Baba के पतंजलि के विज्ञापन और उत्पादों की सत्यता के मुद्दे पर हाल ही में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जिसमें न्यायिक संरचना ने बड़ा महत्वपूर्ण रोल निभाया। इस मामले की सुनवाई की बेंच का अध्यक्ष Justice Hima Kohli और सह-बेंच के Justice Ehsaanudin Amaanullah थे।
इस सुनवाई के दौरान, विभिन्न पक्षों ने पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों के विज्ञापनों और दावों पर सवाल उठाए। उन्हें दावा किया गया कि कुछ पतंजलि की दवाओं का प्रयोग कुछ विशेष बीमारियों के इलाज में सहायक हो सकता है, लेकिन इसका कोई प्रमाणिक सबूत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सभी पक्षों की दिशानिर्देशों को सुनी। उन्होंने विज्ञापनों और दावों के संदर्भ में प्रमाणों की भूमिका को बहुत महत्व दिया और इसे विशेष ध्यान में रखते हुए अपना निर्णय दिया।
पतंजलि पर उचित सीधा प्रतिबंध: सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने Indian Medical Association (IMA) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है, जिसमें योग गुरु Ramdev Baba और उनकी कंपनी पतंजलि को COVID-19 वैक्सीन अभियान में झूठे आरोपों के लिए आरोपित किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है। एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है, जिसमें उसने कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद इस दौरान किसी भी दवा की प्रचार-प्रसार करने में सीमित रहेगी, जिसमें दावा किया गया हो कि वह DRUGS AND REMEDIES Act में बताई गई बीमारियों का इलाज कर सकती है। इसका निर्णय साल 2022 में पतंजलि के खिलाफ एक याचिका दाखिल होने के बाद हुआ है।आदालत ने कहा है कि धोखाधड़ी की गई है और इसमें Drugs Act का उल्लंघन शामिल है।
इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को देखते हुए पतंजलि को इस दौरान इस प्रकार के विज्ञापनों की प्रचार-प्रसार करने पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। यह निर्णय उसके बाद किए गए याचिका की सुनवाई के परिणामस्वरूप आया है।नोटिस में उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि Ramdev Baba और Acharya Balkrishna को 2 हफ्तों के भीतर आवमानना के आरोपों का जवाब देना होगा।
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