Sadhguru Birthday : सद्गुरु जग्गी वासुदेव , एक रहस्यमयी आध्यात्मिक यात्रा, जिसने दुनिया को बदल दिया
Who Is Sadhguru Jaggi Vasudev : सद्गुरु जग्गी वासुदेव, एक ऐसा नाम जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में पहचाना जाता है। 3 सितंबर 1957 को मैसूर (जो अब कर्नाटक है) में जन्मे सद्गुरु का असली नाम जगदीश वासुदेव है। उन्होंने अपनी अनूठी शैली और गहरे विचारों से लाखों लोगों को प्रभावित किया है। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर, हम उनके जीवन, परिवार, और उनकी आध्यात्मिक यात्रा के बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्रारंभिक जीवन और परिवार :
सद्गुरु (Sadhguru) जग्गी वासुदेव का जन्म एक तेलुगू परिवार में हुआ था। उनके पिता बीवी वासुदेव, मैसूर रेलवे अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञ थे और उनकी मां सुशीला वासुदेव एक गृहिणी थीं। जग्गी वासुदेव अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। बचपन से ही उन्हें प्रकृति और जंगलों से विशेष लगाव था। वह अक्सर जंगलों में घूमते और अपने साथ कई सांप लेकर घर लौटते थे। उनकी इस अनोखी रुचि ने उनके व्यक्तित्व में एक अद्वितीय तत्व जोड़ा।
शिक्षा और आरंभिक करियर :
सद्गुरु ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के बाद उन्होंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू किया और सफलतापूर्वक चलाया। लेकिन उन्हें अपनी आत्मा की खोज में असली संतोष नहीं मिला। वह हमेशा से कुछ ऐसा खोज रहे थे जो जीवन के सामान्य ढांचे से परे हो। यही वजह थी कि उन्होंने 25 साल की उम्र में अपने व्यवसाय को छोड़कर आध्यात्मिक यात्रा पर निकलने का निर्णय लिया।
11 साल की उम्र में ही सद्गुरु योग के संपर्क में आ गए थे। उन्होंने अपनी युवावस्था में विभिन्न योग और ध्यान तकनीकों को अपनाया और खुद को आत्म-ज्ञान की ओर मोड़ा। 1982 में, मैसूर के चामुंडी हिल्स में ध्यान करते समय उन्हें एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव हुआ, जिसने उनके जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। इस अनुभव ने उन्हें यह महसूस कराया कि उनका जीवन का उद्देश्य दूसरों को आत्म-ज्ञान की ओर ले जाना है।
विवाह और पारिवारिक जीवन :
1984 में, सद्गुरु ने विज्जिकुमारी से विवाह किया। उनकी पत्नी विज्जी भी एक आध्यात्मिक पथ पर चलने वाली महिला थीं और अपने पति के साथ इस यात्रा में साझेदार बनीं। 1990 में, उनकी बेटी राधे का जन्म हुआ। राधे को बचपन से ही अपने पिता के साथ कई आध्यात्मिक यात्राओं में शामिल होने का अवसर मिला। राधे ने चेन्नई के कलाक्षेत्र फाउंडेशन में भरतनाट्यम की ट्रेनिंग ली और बाद में 2014 में भारतीय शास्त्रीय गायक संदीप नारायण से विवाह किया।
विज्जी की मृत्यु : एक रहस्यमयी घटना
1997 में, विज्जी की मृत्यु एक रहस्यमयी घटना बन गई। कहा जाता है कि उन्होंने अपनी मर्जी से प्राण त्याग दिए थे। उनकी मृत्यु के बाद, सद्गुरु पर कई तरह के आरोप लगाए गए, लेकिन उन्होंने इस विषय पर कभी विस्तार से बात नहीं की। विज्जी की मृत्यु के बाद भी, सद्गुरु ने अपने आध्यात्मिक मार्ग को जारी रखा और अपनी बेटी राधे की परवरिश में सक्रिय भूमिका निभाई।
ईशा फाउंडेशन की स्थापना :
1992 में, सद्गुरु ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में ईशा फाउंडेशन की स्थापना की। यह फाउंडेशन योग, ध्यान, और आध्यात्मिकता के माध्यम से मानवता की सेवा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। सद्गुरु ने इस फाउंडेशन के माध्यम से हजारों लोगों को योग सिखाया और उन्हें आत्म-ज्ञान की ओर प्रेरित किया। आज, ईशा फाउंडेशन का दायरा बहुत व्यापक हो चुका है और यह दुनिया भर में लाखों लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान कर रहा है।
महाशिवरात्रि का महाआयोजन :
हर साल महाशिवरात्रि पर ईशा योग केंद्र में एक विशाल आयोजन किया जाता है, जिसमें दुनिया भर से लोग भाग लेते हैं। इस आयोजन में योग, ध्यान, संगीत, और आध्यात्मिक चर्चा होती है, जो लोगों को गहरे आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करती है। सद्गुरु के नेतृत्व में यह आयोजन न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हो चुका है।
सद्गुरु (Sadhguru) के कार्य और सम्मान :
सद्गुरु ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिनमें पर्यावरण संरक्षण, जल संरक्षण, और शिक्षा का प्रसार प्रमुख हैं। उनके प्रयासों को सराहते हुए उन्हें कई बार सम्मानित किया गया है। 2008 में उन्हें इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से नवाजा गया, और 2017 में उन्हें आध्यात्मिक क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया।
स्वास्थ्य संघर्ष और ब्रेन सर्जरी :
मार्च 2024 में, सद्गुरु की तबियत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। जांच में पता चला कि उनके मस्तिष्क में सूजन बढ़ गई थी, जिसके कारण उनकी ब्रेन सर्जरी करनी पड़ी। यह समय उनके फॉलोअर्स के लिए काफी चिंताजनक था, लेकिन सद्गुरु की दृढ़ इच्छाशक्ति और योग के प्रति उनकी निष्ठा ने उन्हें जल्दी ठीक होने में मदद की। कुछ ही दिनों में वे स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए।
सद्गुरु (Sadhguru) के विचार और संदेश :
सद्गुरु का जीवन और उनके विचार बहुत ही सरल और गहरे हैं। वे हमेशा कहते हैं कि मानवता की सबसे बड़ी समस्या अनजाने में रहने की है। उनके अनुसार, योग और ध्यान हमें आत्म-ज्ञान की ओर ले जाते हैं, जो हमारी चेतना को विकसित करने में सहायक होते हैं। सद्गुरु ने हमेशा समाज को जागरूक किया है कि जीवन का असली उद्देश्य आत्मा की खोज और शांति की प्राप्ति है।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव का जीवन एक रहस्यमयी और रोमांचकारी यात्रा है, जिसने न केवल उनके फॉलोअर्स को बल्कि पूरे समाज को प्रभावित किया है। उनकी जीवन यात्रा हमें यह सिखाती है कि वास्तविक खुशी और शांति हमारे भीतर ही है, जिसे हम ध्यान और योग के माध्यम से पा सकते हैं। आज, जब सद्गुरु अपना 67वां जन्मदिन मना रहे हैं, उनके फॉलोअर्स के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर है कि वे उनके संदेश को अपने जीवन में उतारें और आत्म-ज्ञान की ओर अग्रसर हों।
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