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Shantanu Naidu : रतन टाटा के सबसे करीबी सलाहकार, जिन्होंने अपनी आधी सैलरी से खरीदी थी टाटा जैसी एक शर्ट

Shantanu Naidu : रतन टाटा के सबसे करीबी सलाहकार, जिन्होंने अपनी आधी सैलरी से खरीदी थी टाटा जैसी एक शर्ट

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Shantanu Naidu Friendship : रतन टाटा (Ratan Tata), जो भारतीय उद्योग जगत के सबसे प्रतिष्ठित नामों में से एक हैं, उनकी दूरदर्शिता, विनम्रता और समाज सेवा के लिए दुनियाभर में पहचान है। टाटा के करीब रहना और उनके साथ काम करना न केवल एक सम्मान की बात है, बल्कि एक जीवन भर की सीख भी है।

शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) उन कुछ भाग्यशाली व्यक्तियों में से एक हैं, जिन्हें टाटा का भरोसा मिला और वे उनके व्यक्तिगत सहायक बने। शांतनु की कहानी बेहद प्रेरणादायक है, और यह दिखाती है कि कैसे एक छोटे से प्रयास ने उन्हें टाटा के साथ काम करने का अवसर दिलाया। इस लेख में, हम शांतनु और टाटा के बीच के खास रिश्ते के कुछ अनोखे पहलुओं को जानेंगे।

कैसे बने रतन टाटा के सबसे करीबी?

शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) 31 साल के हैं और रतन टाटा के बेहद करीबी माने जाते हैं। वह न केवल टाटा के सहायक रहे हैं, बल्कि उन्होंने टाटा को व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों तरह से सलाह दी है। लेकिन, उनका टाटा के साथ जुड़ाव एक साधारण पहल से शुरू हुआ था। शांतनु ने आवारा कुत्तों के लिए एक रिफ्लेक्टर डॉग कॉलर बनाया था ताकि वे रात के अंधेरे में सड़क दुर्घटनाओं से बच सकें।

शांतनु बताते हैं कि उन्होंने अपने डॉग कॉलर के विचार को लेकर फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी थी, जो जल्द ही वायरल हो गई। यह पोस्ट रतन टाटा तक भी पहुंची और वह इस पहल से बेहद प्रभावित हुए। रतन टाटा खुद भी एक पशुप्रेमी हैं और विशेष रूप से कुत्तों से लगाव रखते हैं। उन्होंने शांतनु को फोन कर अपने साथ काम करने का न्योता दिया। यही वह पल था, जिसने शांतनु की जिंदगी बदल दी।

टाटा से पहली मुलाकात और ब्रूक्स ब्रदर्स की शर्ट

शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) की जिंदगी का एक और दिलचस्प किस्सा उनकी पहली मुलाकात से जुड़ा है। जब उन्होंने रतन टाटा से पहली बार मिलने का अनुरोध किया, तो टाटा ने उन्हें डिनर के लिए बुलाया। यह मुलाकात इतनी खास थी कि शांतनु ने टाटा के पसंदीदा ब्रांड ब्रूक्स ब्रदर्स (Brooks Brothers) की शर्ट पहनने का फैसला किया।

ब्रूक्स ब्रदर्स एक 200 साल पुरानी अमेरिकी मेन्स वियर कंपनी है, जिसने 40 अमेरिकी राष्ट्रपति समेत कई महत्वपूर्ण शख्सियतों के लिए कपड़े तैयार किए हैं। रतन टाटा के लिए भी यह ब्रांड बेहद खास है, और जब शांतनु ने उन्हें इस शर्ट में देखा था, तो उन्होंने खुद भी उसी ब्रांड की शर्ट खरीदने का निर्णय लिया। हालांकि, इस शर्ट की कीमत इतनी थी कि शांतनु को अपने अंतिम महीने की आधी सैलरी खर्च करनी पड़ी। यह दिखाता है कि शांतनु ने टाटा के प्रति अपने सम्मान को कितनी गंभीरता से लिया।

शर्ट की कहानी और रतन टाटा का स्नेह

इस शर्ट की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। जब शांतनु अमेरिका में पढ़ाई कर रहे थे, एक दिन उनकी ब्रूक्स ब्रदर्स की शर्ट फट गई। इसका कारण एक कील थी, जिसने शर्ट को बर्बाद कर दिया। जब रतन टाटा को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने तुरंत वही शर्ट ढूंढकर शांतनु को देने का फैसला किया।

शांतनु और रतन टाटा के बीच इस बात पर बहस हो गई कि शर्ट के पैसे कौन देगा। टाटा का कहना था कि वे अपने दोस्त के लिए शर्ट नहीं खरीद सकते? यह बात टाटा के विनम्र और दयालु स्वभाव को दर्शाती है। यह दिखाता है कि वे अपने करीबियों की कितनी परवाह करते थे, और उनके लिए न केवल पेशेवर बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी सोचते थे।

शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) की अनोखी पहल :

शांतनु नायडू के लिए रतन टाटा के साथ काम करने का अवसर केवल उनके काम की सराहना का परिणाम था। उनके द्वारा बनाया गया डॉग कॉलर सैकड़ों कुत्तों की जान बचा चुका है। यह एक साधारण, लेकिन बेहद प्रभावी उपाय था, जो सड़क पर रहने वाले कुत्तों को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किया गया था।

डॉग कॉलर बनाने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने पुराने डेनिम पैंट्स का इस्तेमाल किया। शांतनु ने घर-घर जाकर डेनिम पैंट्स इकट्ठा किए और इनसे 500 रिफ्लेक्टिव कॉलर बनाए। ये कॉलर कुत्तों की गर्दन में पहनाए गए, जो रात में चमकते थे और ड्राइवर उन्हें दूर से ही देख पाते थे। इससे सैकड़ों कुत्तों की जान बची।

टाटा ग्रुप में शांतनु की भूमिका :

Shantanu Naidu

शांतनु नायडू टाटा ट्रस्ट में जून 2017 से काम कर रहे हैं। वह टाटा ट्रस्ट के उप महाप्रबंधक (Deputy General Manager) भी हैं और इससे पहले उन्होंने टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के रूप में काम किया है। वह कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से एमबीए कर चुके हैं और टाटा ग्रुप में काम करने वाली अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी हैं।

शांतनु ने केवल रतन टाटा के सहायक के रूप में ही काम नहीं किया, बल्कि उन्होंने टाटा को स्टार्टअप्स में निवेश से लेकर अन्य व्यापारिक मुद्दों पर भी सलाह दी। इस युवा उद्यमी का करियर उनकी मेहनत, सादगी और रचनात्मकता का प्रमाण है।

शांतनु और टाटा के बीच विशेष संबंध :

शांतनु नायडू (Shantanu Naidu) का रतन टाटा से संबंध केवल पेशेवर नहीं था। उनके बीच एक अनोखी दोस्ती थी। टाटा न केवल शांतनु के विचारों को महत्व देते थे, बल्कि वे उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारियों को भी समझते थे। टाटा और शांतनु के बीच की यह अनोखी केमिस्ट्री आज भी प्रेरणादायक है।

रतन टाटा का व्यक्तित्व और उनकी दूरदर्शिता उन्हें महान बनाती हैं, लेकिन शांतनु नायडू जैसे व्यक्ति उनकी विरासत को और भी महान बनाते हैं। यह दर्शाता है कि कैसे एक छोटे से प्रयास से बड़े परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

प्रेरणा का स्रोत

शांतनु नायडू की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने छोटे-छोटे प्रयासों से समाज में बदलाव लाना चाहते हैं। उनकी रिफ्लेक्टिव डॉग कॉलर पहल से यह साबित होता है कि यदि आप दिल से कोई काम करते हैं, तो वह दूसरों तक अवश्य पहुंचेगा। शांतनु का यह प्रयास न केवल कुत्तों की जान बचाने में सफल रहा, बल्कि उनके लिए एक ऐसा मंच बना, जिससे वे देश के सबसे बड़े उद्योगपतियों में से एक के साथ काम करने का अवसर प्राप्त कर सके।

शांतनु नायडू और रतन टाटा के बीच का यह अनोखा रिश्ता एक गहरी सीख देता है। यह कहानी न केवल एक युवा की कड़ी मेहनत और समर्पण की है, बल्कि यह दिखाती है कि बड़े बदलाव लाने के लिए छोटे प्रयास कितने महत्वपूर्ण हो सकते हैं। शांतनु नायडू की यह यात्रा हर उस युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो समाज में अपने कार्यों से सकारात्मक बदलाव लाना चाहता है।

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https://khabarhartaraf.com/natural-farming-scheme

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https://youtu.be/M0FyAowiJCY?si=idz2zzjoEnwiPIV7

 

 

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