UCPMP 2024 : डॉक्टरों के उपहार पर केंद्र सरकार का प्रतिबन्ध
UCPMP- जिसको हम यूनिफार्म कोड फॉरफार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज।केंद्र सरकार ने मंगलवार को एक सामान संहिता यानी की UCPMP अधिसूचित की है। जिसके तहत कोई भी फार्मा कंपनी या उसका एजेंट किसी डॉक्टर या उसके परिजनों को भी उपहार नहीं दे सकेगा। डॉक्टरों को मुफ्त में दी जाने वाली किसी भी तरह के उपहार के खिलाफ केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाया है।
UCPMP में क्या है :
फार्मा companies और डॉक्टर्स के बीच गठजोड़ को रोकने के लोए ये नया फैसला लिया गया है। फार्मा कम्पनयों की एसोसिएशन को एक एथिक्स कमिटी बनानी होगी, जिसमे 3 से 5 सदस्य होंगे और इसका हेड कंपनी का सीईओ का होना अनिवार्य होगा। फार्मा कम्पननयों की किसी भी तरह की गलत प्रैक्टिस के शिकायत दर्ज करने के लिए हर फार्मा कंपनी को अपनी वेबसाइट पर UCPMP कोड का पालन अनवार्य होगा।
अपने ब्रांड प्रमोशन के नाम पर किसी भी तरह के गलत विज्ञापनों पर भी इस कोड क द्वारा रोक लगाने का काम संभव हो पायेगा। UCPMP के अंतर्गत सभी फार्मा कंपनियों की एसोसिएशन को अपनी वेबसाइट पर शिकायत करने का सही प्रोसीजर भी जारी करेगी। फार्मा कंपनी की इस प्रोसीजर को संगठन की वेबसाइट पर मौजूद शिकायत की प्रक्रिया और कोड सरकार की केमिकल और फ़र्टिलाइज़र मिनिस्ट्री के डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मा की वेबसाइट से लिंक होगा।
सभी फार्मा कंपनियों की संगठन को अपनी अपनी वेबसाइट पर साड़ी जानकारियां देनी होगी की किस कंपनी के खिलाफ किस तरह की शिकायत आयी है, शिकायत क्यों आयी हैं , किस तरह की परेशानियां आयी हैं, और फार्मा कंपनी द्वारा इस शिकायत पर किस तरह से एक्शन लिया गया और इस शिकायत को किस तरह से हैंडल किया गया। सारी जानकारियों को कंपनियों को काम से काम 5 साल तक अपनी वेबसाइट पर बनाये रखने का प्रावधान है।
अगर कोई भी फार्मा कंपनी किसी भी संगठन से जुडी हुई नहीं है तोह ऐसे कमापनियों के खिलाफ फार्मा इंडस्ट्री एसोसिएशन में जाकर शिकायत करवाने की भी सुविधा दी गयी है। केंद्र सरकार द्वारा चालित डिपार्टमेंट ऑफ़ फार्मास्यूटिकल में भी जाकर शिकायत दर्ज करवाई जा सकती है।
नियमों का पालन :
अनजान व्यक्ति किसी भी तरह की शिकायत नहीं कर पाएंगे क्यूंकि शिकायतकर्ता को अपनी पहचान बतानी होगी। अगर आपको लगता है की ये फार्मा कंपनी किसी भी नियम – कानून या दिशानिर्देश उलंघन कर गलत काम कर रही है , तो 6 महीने के अंदर इस शिकायत को दर्ज करना ज़रूरी होगा और शिकायत करने वाले को 1000 रूपए जमा कराने ज़रूरी होंगे।
एथिक्स कमिटी का काम :
इस तरह की शिकायतों का संज्ञान लेने वाले एथिक्स कमिटी को शिकायत करने के 90 दिनों के अंदर अपना फैसला देना होगा और अगर किसी फार्मा कंपनी के खिलाफ मामला साबित हो जाता है , तो एथिक्स कंपनी अपने सीमित दायरे में कंपनी के खिलाफ करवाई करने के लिए स्वतंत्र है। अगर एथिक्स कमिटी के फैसले से अगर अप्प असहमत हैं , तो आप अपेक्स कमिटी के पास जा सकते हैं जिसकी अध्यक्षता सरकार के फार्मास्यूटिकल विभाग के सेक्रेटरी करते हैं।
- इन नियमों के अनुसार कंपनी अपने प्रोडक्ट का विज्ञापन कर सकती है लेकिन बिना किसी दूसरे कंपनी के प्रोडक्ट से तुलना किये हुए।
- फार्मा कंपनी डॉक्टरों को मुफ्त के गिफ्ट नहीं दे सकती , विदेश में सेमिनार के नाम पर यात्राएँ भी नहीं करवा सकती। फार्मा कंपनियां डॉक्टर के साथ एजुकेशनल सेमिनार और कांफ्रेंस तो कर सकते हैं लेकिन ऐसे आयोजन देश के बाहर करने पर रोक लगा दी गयी है। ऐसे आयोजनों पर कितना खर्च हुआ और वह खर्च कहाँ से किया गया , इसकी पूरी जानकारी वेबसाइट पर सार्वजानिक करनी होगा।
डॉक्टरों को क्या – क्या दिया जा सकता है :
कंपनी डॉक्टर्स को डायरी , कैलेंडर , पेन या कोई भी मॉडल डिवाइस दे सकते हैं पर इसकी कीमत 1000 रूपए से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। डॉक्टर्स को जो सैंपल दिए जाने वाले सैंपल भी 12 पैकेट से ज़्यादा नहीं हो सकते।
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