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What Is Digital Dementia : क्यों बढ़ रही है डिजिटल डिमेंशिया की समस्या , युवाओं के दिमाग को कैसे बना रहा खोखला ?

What Is Digital Dementia : क्यों बढ़ रही है डिजिटल डिमेंशिया की समस्या , युवाओं के दिमाग को कैसे बना रहा खोखला ?

Digital Dementia

Digital Dementia : आज के डिजिटल युग में तकनीक ने हमारे जीवन को कई तरह से आसान बना दिया है। स्मार्टफोन, लैपटॉप, और अन्य डिजिटल उपकरणों ने हमें एक क्लिक पर दुनिया से जोड़ दिया है। लेकिन इस तकनीकी उन्नति के साथ एक गंभीर समस्या भी उभर रही है जिसे “डिजिटल डिमेंशिया” कहा जाता है। यह एक ऐसी स्थिति है जो खासकर युवाओं को प्रभावित कर रही है, और उनका दिमाग धीरे-धीरे खोखला कर रही है।

क्या है डिजिटल डिमेंशिया (Digital Dementia) ?

डिजिटल डिमेंशिया एक हालिया शब्द है, जिसे जर्मनी के न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. मेनफ्रेज स्प्लिटजर ने लोकप्रिय बनाया है। यह शब्द इस बात का संकेत देता है कि डिजिटल उपकरणों के अत्यधिक उपयोग से दिमाग की बौद्धिक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। साधारण शब्दों में कहें तो, डिजिटल डिमेंशिया वह स्थिति है जब व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता घट जाती है। यह समस्या विशेष रूप से युवाओं में तेजी से बढ़ रही है जो स्मार्टफोन, लैपटॉप, और अन्य डिजिटल गैजेट्स के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।

डिजिटल डिमेंशिया के लक्षण :

डिजिटल डिमेंशिया के कई लक्षण होते हैं, जो आमतौर पर युवा पीढ़ी में देखे जा सकते हैं:

  1. मेमोरी लॉस : व्यक्ति छोटी-छोटी चीजों को याद रखने में असमर्थ हो जाता है। उसे आज की तारीख, किसी दोस्त का नाम, या यहाँ तक कि खुद की आवश्यक जानकारी भी याद नहीं रहती।
  2. ध्यान केंद्रित करने में समस्या : डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को प्रभावित करता है। व्यक्ति किसी भी कार्य पर लंबे समय तक ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता।
  3. सीखने की क्षमता में कमी : डिजिटल डिमेंशिया के शिकार व्यक्ति नई चीजें सीखने में भी अक्षम हो जाते हैं। उनका दिमाग नई जानकारी को प्रोसेस करने में कठिनाई महसूस करता है।
  4. कैलकुलेशन में असमर्थता : साधारण गणनाएँ (calculation ) करने के लिए भी लोग अब मोबाइल कैलकुलेटर का सहारा लेते हैं, जो उनकी दिमागी क्षमता को कमजोर कर रहा है।

क्यों बढ़ रही है डिजिटल डिमेंशिया की समस्या ?

डिजिटल डिमेंशिया के बढ़ने के कई कारण हैं, जिनमें से प्रमुख कारण है डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक और अनियंत्रित उपयोग। आजकल बच्चे और युवा दिनभर अपने स्मार्टफोन या लैपटॉप पर लगे रहते हैं। सोशल मीडिया, गेम्स, और ऑनलाइन कंटेंट ने उन्हें इस कदर बांध लिया है कि वे इन उपकरणों के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।

जब दिमाग को सही उद्दीपन नहीं मिलता, तो उसकी कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होने लगती है। डिजिटल उपकरणों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण दिमाग अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पाता, और यह स्थिति डिजिटल डिमेंशिया की ओर ले जाती है।

डिजिटल डिमेंशिया के शिकार बच्चे और युवा :

हाल ही में प्रकाशित जर्नल फ्रंटियर की एक स्टडी के अनुसार, डिजिटल डिमेंशिया के शिकार सबसे ज्यादा बच्चे और युवा हो रहे हैं। इस अध्ययन में यह पाया गया कि जो बच्चे दिन में 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन के सामने बिताते हैं, उनमें मानसिक समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। उन्हें नींद की समस्या, एंग्जाइटी, बेचैनी, और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

डिजिटल डिमेंशिया (Digital Dementia) के प्रभाव :

Digital Dementia

डिजिटल डिमेंशिया का प्रभाव केवल मानसिक स्तर तक सीमित नहीं है। इसका असर शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। जो लोग लंबे समय तक स्क्रीन के सामने बैठे रहते हैं, उन्हें आंखों की समस्या, पीठ और गर्दन में दर्द, और अन्य शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, डिजिटल उपकरणों का अत्यधिक उपयोग सामाजिक जीवन को भी प्रभावित करता है। व्यक्ति समाज से कट जाता है और अकेलापन महसूस करने लगता है, जो कि मानसिक समस्याओं को और बढ़ा सकता है।

डिजिटल डिमेंशिया से कैसे बचा जाए ?

डिजिटल डिमेंशिया से बचने के लिए जरूरी है कि हम अपने डिजिटल उपकरणों के उपयोग को सीमित करें। यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो इस समस्या से बचने में मदद कर सकते हैं:

  1. डिजिटल डिटॉक्स : समय-समय पर डिजिटल डिटॉक्स करना चाहिए, जिसमें आप कुछ समय के लिए पूरी तरह से डिजिटल उपकरणों से दूर रहें।
  2. समय सीमा निर्धारित करें : स्क्रीन के सामने बिताए जाने वाले समय की सीमा तय करें। कोशिश करें कि दिन में 2 घंटे से ज्यादा स्क्रीन के सामने न बिताएं।
  3. दिमागी व्यायाम करें : अपने दिमाग को सक्रिय रखने के लिए मानसिक व्यायाम करें। जैसे कि किताबें पढ़ना, पजल्स हल करना, और नए कौशल सीखना।
  4. फिजिकल एक्टिविटी : शारीरिक व्यायाम भी दिमाग के लिए फायदेमंद होता है। नियमित रूप से योग, ध्यान, और एक्सरसाइज करें।
  5. सामाजिक संपर्क : अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। सोशल मीडिया की बजाय वास्तविक जीवन में रिश्तों को महत्व दें।

डिजिटल डिमेंशिया (Digital Dementia) एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, खासकर युवाओं के लिए। इसका समाधान यही है कि हम अपनी डिजिटल लाइफस्टाइल को नियंत्रित करें और अपने दिमाग को सक्रिय और स्वस्थ रखने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। यह आवश्यक है कि हम इस समस्या को समय रहते पहचानें और इससे बचने के लिए प्रयास करें, ताकि हमारा दिमाग और जीवन दोनों ही स्वस्थ रह सकें।

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