Ajit Dobhal The James Bond : मोदी के सुपर स्पाई का देश को अद्वितीय योगदान
Ajit Dobhal , जिन्हें भारत का ‘सुपर स्पाई’ और ‘करगिल युद्ध’ के हीरो के रूप में जाना जाता है, ने भारतीय सुरक्षा तंत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान, डोभाल ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के रूप में जो भूमिका निभाई है, वह उनके और मोदी के बीच के मजबूत और विश्वासपूर्ण संबंधों को उजागर करती है।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा :
Ajit Dobhal का जन्म 20 जनवरी 1945 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अजमेर के मिलिट्री स्कूल से प्राप्त की और इसके बाद आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की।
भारतीय पुलिस सेवा और खुफिया करियर :
1968 में, अजीत डोभाल ने भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में प्रवेश किया। जल्द ही, उन्होंने अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता और साहस के बल पर खुफिया विभाग में अपनी जगह बनाई। आईबी में शामिल होने के बाद, उन्होंने देश के अंदर और बाहर कई महत्वपूर्ण ऑपरेशनों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।
मोदी और डोभाल: एक विश्वास का रिश्ता :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अजीत डोभाल के बीच का रिश्ता उनके कार्यकाल की शुरुआत से ही काफी गहरा और महत्वपूर्ण रहा है। मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के तुरंत बाद अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया। यह नियुक्ति इस बात का संकेत थी कि मोदी सरकार अपनी सुरक्षा नीतियों को बेहद गंभीरता से ले रही है और डोभाल के अनुभव और रणनीतिक कौशल पर उनका पूरा भरोसा है।
अजीत डोभाल का कार्यकाल: एक नया युग :
एनएसए के रूप में Ajit Dobhal ने कई महत्वपूर्ण और साहसिक फैसले लिए, जिन्होंने देश की सुरक्षा को मजबूती प्रदान की। कुछ महत्वपूर्ण घटनाएँ और ऑपरेशन्स जिनमें डोभाल का प्रमुख योगदान रहा, वे निम्नलिखित हैं:
- सर्जिकल स्ट्राइक (2016): पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में उरी हमले के बाद, भारतीय सेना ने आतंकवादी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। इस ऑपरेशन के पीछे की रणनीति और योजना में अजीत डोभाल की प्रमुख भूमिका थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस ऑपरेशन के दौरान डोभाल के नेतृत्व और निर्णय क्षमता पर पूरा भरोसा किया।
- बालाकोट एयरस्ट्राइक (2019): पुलवामा आतंकी हमले के बाद, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी ठिकानों पर हवाई हमला किया। इस ऑपरेशन की योजना और क्रियान्वयन में भी अजीत डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- डोकलाम स्टैंडऑफ (2017): भारत और चीन के बीच डोकलाम में विवाद के दौरान, अजीत डोभाल ने भारत की तरफ से बातचीत की अगुवाई की। उनकी रणनीतिक सूझबूझ और कुशल वार्तालाप ने इस संकट को शांति से हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में
2014 में, नरेंद्र मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) नियुक्त किया। एनएसए के रूप में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण सुरक्षा नीतियों और रणनीतियों को लागू किया। उन्होंने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘बालाकोट एयरस्ट्राइक’ जैसे साहसिक ऑपरेशनों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया।
कीर्ति चक्र पुरस्कार :
Ajit Dobhal को उनके अद्वितीय साहस और योगदान के लिए ‘किर्ति चक्र’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें 1988 में दिया गया था, और यह पहली बार था जब किसी पुलिस अधिकारी को यह सम्मान मिला था। कीर्ति चक्र भारत का दूसरा सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है, और इसे प्राप्त करने वाले अजीत डोभाल पहले पुलिस अधिकारी बने।
अन्य योगदान और उपलब्धियां :
अफगानिस्तान में भारतीय हितों की रक्षा: अजीत डोभाल ने अफगानिस्तान में भारतीय दूतावास पर हमले के दौरान भारतीय नागरिकों और संपत्तियों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
भारत-चीन संबंध: उन्होंने भारत-चीन संबंधों में सुधार लाने और सीमा विवादों को सुलझाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डोभाल सिद्धांत: अजीत डोभाल का मानना है कि ‘आक्रामक रक्षात्मकता’ ही सर्वोत्तम सुरक्षा नीति है। उन्होंने हमेशा यह सुनिश्चित किया कि भारत की सुरक्षा व्यवस्था अत्यधिक सक्षम और सतर्क हो।
व्यक्तिगत जीवन :
- Ajit Dobhal ने जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन और समर्पण को महत्व दिया है। उनके व्यक्तिगत जीवन में भी यह झलकता है। वे एक परिवारिक व्यक्ति हैं और उनकी पत्नी और बच्चों के साथ एक मजबूत बंधन है। उनके पुत्र शौर्य डोभाल भी अपने पिता की तरह देश सेवा में जुटे हुए हैं और एक प्रतिष्ठित आर्थिक विश्लेषक हैं।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अजीत डोभाल के बीच का संबंध एक ऐसी साझेदारी है जिसने भारतीय सुरक्षा तंत्र को न केवल सुदृढ़ किया है, बल्कि देश के भीतर और बाहर के खतरों का सफलतापूर्वक सामना किया है। Ajit Dobhal की रणनीतिक कौशल और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, भारत ने सुरक्षा और खुफिया मामलों में कई महत्वपूर्ण सफलताएँ हासिल की हैं। यह साझेदारी भारत की सुरक्षा और संप्रभुता को मजबूती प्रदान करने के साथ-साथ एक नई दिशा देने में भी सफल रही है।
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