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10 New Ayush institutes : परंपरागत चिकित्सा का पुनर्जागरण , अगले पांच वर्षों में 10 नए आयुष संस्थान खोलने की सरकार की बड़ी घोषणा

10 New Ayush institutes : परंपरागत चिकित्सा का पुनर्जागरण , अगले पांच वर्षों में 10 नए आयुष संस्थान खोलने की सरकार की बड़ी घोषणा

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नई दिल्ली , Ayush institutes , 01 सितंबर 2024 – भारत में परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के पुनर्स्थापन के संदर्भ में केंद्रीय सरकार ने एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। अगले पांच वर्षों में देश भर में 10 नए आयुष संस्थान (Ayush Institutes) यानी आयुर्वेद, योग, और अन्य परंपरागत चिकित्सा पद्धतियाँ खोले जाने की योजना बनाई गई है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक नागरिक को ऐलोपैथिक चिकित्सा के समान परंपरागत चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करना है, ताकि इलाज के लिए विशेष रूप से दिल्ली जैसी महानगरों का रुख न करना पड़े।

आयुष संस्थानों (Ayush Institutes) का विस्तार : एक महत्वपूर्ण कदम

केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री एवं राज्य स्वस्थ एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने शुक्रवार शाम को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIMS) का दौरा किया। मंत्री बनने के बाद पहली बार उन्होंने इस प्रतिष्ठित संस्थान का निरीक्षण किया। इस दौरे के दौरान, उन्होंने संस्थान की सुविधाओं और मरीज़ों को प्रदान की जा रही सेवाओं का गहन जायजा लिया।

सरकार की प्रतिबद्धता : हर घर आयुर्वेद

श्री प्रतापराव जाधव ने कार्यक्रम में बताया कि उनकी सरकार प्रधानमंत्री के “हर घर आयुर्वेद” के प्रयास को पूरा करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विदेशी आक्रमणकारियों और औपनिवेशिक काल के दौरान आयुर्वेद और अन्य परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को काफी नुकसान पहुंचा था। हालांकि, 2014 के बाद से मोदी सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। आज योग और आयुर्वेद को लेकर वैश्विक नजरिया सकारात्मक रूप से बदल चुका है और इसकी जन स्वीकार्यता में भी तेजी आई है।

वैश्विक मान्यता और जन स्वीकृति में वृद्धि :

श्री जाधव ने कहा कि आज योग और आयुर्वेद को लेकर वैश्विक स्तर पर एक बड़ा बदलाव आया है। अब इन पद्धतियों को केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है। इस बढ़ती स्वीकार्यता ने परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के प्रचार-प्रसार में एक नई ऊर्जा भरी है।

नए आयुष संस्थानों का महत्व :

अगले पांच वर्षों में दस नए आयुष संस्थान खोलने की योजना से न केवल आयुर्वेद और योग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि यह ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को भी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा। इससे नागरिकों को इलाज के लिए शहरों की ओर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे उनकी समय और खर्च की बचत होगी।

अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान का महत्त्व :

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अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ( Ayush institutes ) की स्थापना 2017 में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के द्वारा की गई थी। तब से लेकर अब तक इस संस्थान ने 26 लाख से अधिक रोगियों का सफलतापूर्वक उपचार किया है। पिछले सात वर्षों में, इस संस्थान ने आयुर्वेद के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इसे शिक्षा और अनुसंधान के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित किया है। AIIMS, AYUSH मंत्रालय के अंतर्गत, राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त (एनएसी द्वारा A+++ मान्यता) है, जो इसे उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाती है।

परंपरागत चिकित्सा की आधुनिकता :

परंपरागत चिकित्सा पद्धतियाँ, जैसे आयुर्वेद और योग, प्राचीन काल से ही स्वास्थ्य को सुदृढ़ रखने के लिए अपनाई जा रही हैं। आज की आधुनिक चिकित्सा के साथ इनके संयोजन से अधिक प्रभावी और समग्र स्वास्थ्य समाधान प्रदान किए जा सकते हैं। सरकार की यह पहल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाएगी, बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसंधान और विकास को भी प्रोत्साहित करेगी।

कृषि और आयुर्वेद : एक समन्वय

आयुर्वेदिक उपचारों में प्रयुक्त जड़ी-बूटियाँ और अन्य प्राकृतिक तत्व कृषि पर भी सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। किसानों के लिए यह एक लाभदायक क्षेत्र हो सकता है, जिससे वे आयुर्वेदिक उत्पादों की खेती कर सकते हैं और इसके माध्यम से अपनी आय बढ़ा सकते हैं। सरकार द्वारा नए आयुष संस्थानों के खुलने से कृषि और आयुर्वेद के बीच सहयोग की नई संभावनाएँ भी उत्पन्न होंगी।

निदेशक प्रो.(डॉ.) तनुजा नेसरी की टिप्पणी :

इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रो.(डॉ.) तनुजा नेसरी ने मंत्री जी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “माननीय मंत्री जी ने आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भविष्य में भी आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाने और विश्व पटल पर स्थापित करने में उनका मार्गदर्शन और सहयोग हमे निरंतर मिलता रहेगा।” उन्होंने यह भी कहा कि इस विस्तार से न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा की पहुँच बढ़ेगी, बल्कि इसके अनुसंधान और विकास में भी तेजी आएगी।

आगामी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आरोहा -2024 :

श्री जाधव ने इस दौरान कोविड के दौरान दिवंगत तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक स्व संजय गुप्ता की स्मृति में निर्मित सभागार का उद्घाटन किया। उन्होंने आगामी 17 से 19 अक्टूबर तक आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन आरोहा -2024 के ब्रोशर का भी विमोचन किया। यह सम्मेलन आयुर्वेद, योग और अन्य आयुष पद्धतियों के वैश्विक प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

अन्य प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति :

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इस अवसर पर आयुष के आई सी विभाग के उपमहानिदेशक श्री सत्यजीत पॉल और मंत्रालय के कई गणमान्य अधिकारी उपस्थित रहे। आयुर्वेद संस्थान की ओर से पीएचडी डीन प्रो. डॉ. महेश व्यास, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. (डॉ.) आनंद रमन शर्मा, अतिरिक्त एम एस (डॉ.) योगेश बड़वे समेत तमाम पदाधिकारी, छात्र और कर्मचारी कार्यक्रम में भाग लेकर इसे गौरवमय बनाया।

 आयुर्वेद का नया युग :

सरकारी प्रयासों और योजनाओं के माध्यम से आयुर्वेद और अन्य आयुष पद्धतियों को देश भर में फैलाने का यह कदम निश्चित रूप से भारत को परंपरागत चिकित्सा के क्षेत्र में अग्रणी बना सकता है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाएगा, बल्कि आयुर्वेदिक अनुसंधान और विकास को भी बढ़ावा देगा, जिससे भविष्य में और भी नवीन और प्रभावी उपचार पद्धतियाँ सामने आ सकेंगी।

केंद्रीय सरकार की यह पहल आयुर्वेद और योग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। अगले पांच वर्षों में 10 नए आयुष संस्थान ( Ayush institutes )खोलने से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच बढ़ेगी, बल्कि यह परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक चिकित्सा के साथ जोड़कर एक समग्र स्वास्थ्य प्रणाली के निर्माण में भी सहायक होगी। यह कदम भारतीय नागरिकों को आत्मनिर्भर और स्वस्थ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाले समय में भारत को आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में वैश्विक मान्यता प्राप्त करने में मदद करेगा।

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