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Food Crisis In Namibia : भूख से मरते लोगों को बचाने के लिए 700 से अधिक जंगली जानवरों को मारने का आदेश

Food Crisis In Namibia : भूख से मरते लोगों को बचाने के लिए 700 से अधिक जंगली जानवरों को मारने का आदेश

नामीबिया (Namibia )में सूखे का कहर और जंगली जानवरों की बलि :

अफ्रीकी देश (African Countries) के देश नामीबिया (Namibia) में जहां लोग मर रहे हैं और उनको जिंदा रखने के लिए जंगली जानवरों को काटा जा रहा है।  पूरी दुनिया इस समय जलवायु परिवर्तन, विनाशकारी सूखा, बाढ़, भूकंप, जंगलों की आग, और खाद्य संकट जैसे गंभीर प्राकृतिक और मानवीय संकटों से जूझ रही है। इन संकटों ने मानव जीवन, पर्यावरण, और खाद्य सुरक्षा को भारी क्षति पहुंचा रही है।

दुनिया के हर कोने में जंगली जानवरों को बचाने के लिए तरह-तरह की मुहिम चलती है। सरकारें उन्हें संरक्षित करने के लिए तमाम उपाय करती हैं, लेकिन जब हालात हद से गुजर जाएं, तो कठोर फैसले भी लेने पड़ते हैं। अफ्रीकी देश नामीबिया में ऐसा ही एक निर्णय लिया गया है, जहां जंगली जानवरों को मारकर उनके मांस को जनता में बांटने का आदेश दिया गया है। यह कदम किसी एक या दो जानवरों के लिए नहीं बल्कि 700 से अधिक जंगली जानवरों के लिए लिया गया है। इस कठोर निर्णय के पीछे की वजह है नामीबिया में पड़ा भीषण सूखा, जिसने लोगों को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है।

नामीबिया (Namibia) का इतिहास का सबसे भयानक सूखा

नामीबिया इस समय अपने इतिहास के सबसे भयानक सूखे से जूझ रहा है। पिछले 100 सालों में ऐसा सूखा कभी नहीं देखा गया। इस विनाशकारी सूखे के कारण देश के लोग भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं। देश में अनाज का संकट इस हद तक पहुंच गया है कि नागरिकों को दो वक्त का खाना भी नहीं मिल पा रहा है। पानी की किल्लत भी इतनी बढ़ गई है कि लोग प्यास से तड़प रहे हैं। ऐसे में सरकार ने अपनी जनता को बचाने के लिए जंगली जानवरों को मारने का निर्णय लिया है।

भूख से तड़पती जनता को मांस का सहारा :

नामीबिया की सरकार ने जनता को मांस प्रदान करने के लिए हाथी, दरियाई घोड़े, ज़ेबरा, इम्पाला, भैंस, ब्लू वाइल्डबीस्ट और एलैंड जैसे जंगली जानवरों को मारने का आदेश दिया है। इस निर्णय का प्रमुख कारण देश में उत्पन्न हुआ खाद्य संकट है। सरकार का कहना है कि वह इन जानवरों से मिले मांस को लोगों में वितरित करेगा, जिससे भूख से तड़प रहे लोगों को राहत मिल सके।

किन जानवरों को मारा जाएगा :

नामीबिया (Namibia) की सरकार ने जिन जानवरों को मारने का आदेश दिया है, उनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

इन जानवरों को मारकर प्राप्त किए गए मांस को जनता में वितरित किया जाएगा।

सूखे का दुष्प्रभाव : जीवन और मौत की जंग

नामीबिया (Namibia) में इस सूखे का असर इतना व्यापक है कि देश के 84 प्रतिशत खाद्य संसाधन समाप्त हो चुके हैं। सरकार ने अब तक 157 जानवरों का शिकार कर उनके मांस का वितरण किया है। इससे 56,800 किलो से अधिक मांस प्राप्त हुआ है, जिसे भूख से मर रहे लोगों के बीच बांटा गया है। यह प्रक्रिया अब भी जारी है और आने वाले दिनों में और जानवरों का शिकार कर मांस वितरित किया जाएगा।

प्राकृतिक आपदा या मानवजनित संकट ?

नामीबिया दक्षिणी अफ्रीका के उन देशों में से एक है, जो विनाशकारी सूखे से जूझ रहा है। इस सूखे का एक बड़ा कारण अल नीनो नामक प्राकृतिक जलवायु पैटर्न है, जो इस क्षेत्र में बारिश की कमी का कारण बन रहा है। इसके साथ ही मानवजनित जलवायु संकट ने स्थिति को और भी विकट बना दिया है। बारिश की कमी और भीषण गर्मी के कारण फसलें बर्बाद हो गई हैं, जिससे लाखों लोगों के लिए भूख का संकट उत्पन्न हो गया है।

सूखा और मांस वितरण : एक असहज समाधान

नामीबिया की सरकार के इस निर्णय को एक असहज समाधान के रूप में देखा जा रहा है। जहां एक ओर सरकार जनता को बचाने के लिए इस कदम को आवश्यक मान रही है, वहीं दूसरी ओर जंगली जानवरों के संरक्षण के समर्थक इसे एक गंभीर मुद्दा मान रहे हैं। लेकिन वर्तमान परिस्थिति में सरकार के पास शायद ही कोई और विकल्प हो।

संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और भविष्य की चुनौतियां :

संयुक्त राष्ट्र ने भी नामीबिया की इस स्थिति पर चिंता जताई है। जून में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने कहा था कि दक्षिणी अफ्रीका के अधिकांश हिस्से में सूखा गहराता जा रहा है और पूरे क्षेत्र में 30 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने बताया कि नामीबिया के 84 प्रतिशत खाद्य संसाधन समाप्त हो चुके हैं, जिसके चलते लोगों की जान बचाने के लिए यह कठोर कदम उठाना पड़ा है।

नामीबिया का यह सूखा संकट बताता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले समय में कितनी बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं किया गया, तो भविष्य में और भी देश इस तरह के संकट का सामना कर सकते हैं।

जलवायु परिवर्तन के खिलाफ की जा रही वैश्विक मुहिम को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के संकटों से निपटा जा सके। साथ ही, सरकारों को अपने खाद्य संसाधनों को सुरक्षित रखने और जल संरक्षण के लिए भी ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

 एक कठोर लेकिन मजबूर कदम :

नामीबिया (Namibia) की सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय एक कठिन लेकिन मजबूरी में लिया जाने वाला आवश्यक कदम है। जब स्थिति जीवन और मौत की हो, तो ऐसे निर्णय लेना जरूरी हो जाता है। इस सूखे ने न केवल लोगों की जीवनशैली को प्रभावित किया है, बल्कि जंगली जीवन को भी खतरे में डाल दिया है। अब सवाल यह उठता है कि क्या अन्य देश भी इस संकट से कुछ सीखेंगे और अपने संसाधनों की सुरक्षा के लिए पहले से तैयार होंगे?

इस Food Crisis संकट ने हमें यह भी सिखाया है कि जल, जंगल, और जमीन की रक्षा करना कितना जरूरी है। अगर समय रहते इन्हें नहीं बचाया गया , तो आने वाला समय और भी भयावह हो सकता है। इसलिए , हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए पर्यावरण की सुरक्षा के लिए योगदान देना चाहिए।

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