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Guru Purnima Kab Hai 2025 : गुरु पूर्णिमा कब है, जानिए तिथि, पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

Guru Purnima Kab Hai 2025: गुरु पूर्णिमा आषाढ़ माह की पूर्णिमा को होती है. यह दिन गुरु-शिष्य के पवित्र संबंध और समर्पण को दर्शाता है. आइये जानते हैं इस साल 2025 में कब है गुरु पूर्णिमा.

Guru Purnima

Guru Purnima Kab Hai 2025 : हिंदू धर्म में गुरु का स्थान देवताओं से भी ऊँचा माना गया है। हमारे शास्त्रों में कहा गया है – “गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरः। गुरु साक्षात् परब्रह्म, तस्मै श्री गुरवे नमः।” यानी गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान हैं। गुरु हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर ले जाते हैं। इसी गुरु के सम्मान में प्रतिवर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन शिष्य के लिए गुरु के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का पावन अवसर होता है।

इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि Guru Purnima Kab Hai 2025, इसकी तिथि, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसका आध्यात्मिक महत्व क्या है।

 गुरु पूर्णिमा 2025 कब है? (Guru Purnima Kab Hai 2025)

वर्ष 2025 में गुरु पूर्णिमा गुरुवार, 10 जुलाई 2025 को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से पवित्र माना जाता है क्योंकि यही वह तिथि है जब महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, जिनका हमारे ज्ञान-विज्ञान में गहरा योगदान है।

🔹 गुरु पूर्णिमा 2025 तिथि और समय:

  • गुरु पूर्णिमा की तिथि: गुरुवार, 10 जुलाई 2025

  • पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 10 जुलाई रात 01:36 बजे

  • पूर्णिमा तिथि का समापन: 11 जुलाई रात 02:06 बजे

गुरु पूर्णिमा 2025 शुभ मुहूर्त (Guru Purnima 2025 Shubh Muhurat)

गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा-अर्चना और गुरु वंदना के लिए कुछ विशेष शुभ मुहूर्त होते हैं। इन मुहूर्तों में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

🔹 प्रमुख शुभ मुहूर्त:

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:10 से 04:50 बजे तक

  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:59 से 12:54 बजे तक

  • विजय मुहूर्त: दोपहर 12:45 से 03:40 बजे तक

  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 07:21 से 07:41 बजे तक

इन मुहूर्तों में पूजा करने से पुण्य लाभ और गुरु कृपा प्राप्त होती है।

गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि (Guru Purnima Puja Vidhi)

गुरु पूर्णिमा के दिन की पूजा विधि अत्यंत सरल, परंतु प्रभावशाली होती है। यह दिन ना केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है।

🔹 पूजा विधि:

  1. स्नान और स्वच्छता:

    • प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।

    • यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें, अन्यथा घर पर गंगाजल मिलाकर स्नान करें।

  2. पूजा सामग्री एकत्र करें:

    • फूल, फल, दीपक, धूपबत्ती, चंदन, रोली, अक्षत, तुलसी पत्र, नैवेद्य, जल आदि सामग्री तैयार रखें।

  3. देव पूजन करें:

    • भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का विधिपूर्वक पूजन करें।

    • वेदव्यास जी की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करें और उनका पूजन करें।

  4. गुरु पूजन:

    • यदि आपके जीवन में कोई आध्यात्मिक गुरु हैं, तो उनका पूजन करें।

    • यदि वे सशरीर उपलब्ध नहीं हैं, तो उनके चित्र के समक्ष दीप जलाएं और श्रद्धा से प्रणाम करें।

  5. विशेष अर्पण:

    • भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाएं।

    • लक्ष्मी माता को सिंदूर अर्पित करें।

    • नैवेद्य, फल और मिठाइयाँ अर्पित करें।

  6. आरती और प्रार्थना:

    • लक्ष्मी-नारायण की आरती करें।

    • वेदव्यास जी से ज्ञान का वरदान मांगे।

  7. चंद्रमा पूजन:

    • रात्रि में चंद्रमा के दर्शन करें।

    • उन्हें अर्घ्य दें और दीप जलाएं।

गुरु पूर्णिमा का धार्मिक महत्व (Guru Purnima Significance in Hindi)

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गुरु पूर्णिमा सिर्फ एक धार्मिक उत्सव नहीं है, यह एक आध्यात्मिक चेतना का पर्व है। इस दिन गुरु के प्रति श्रद्धा, भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति की जाती है।

🔹 वेद व्यास जयंती:

गुरु पूर्णिमा का सबसे बड़ा महत्व इस बात में है कि इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी ने:

  • चारों वेदों को संकलित किया

  • महाभारत जैसे महाग्रंथ की रचना की

  • 18 पुराणों और उपपुराणों की रचना की

  • श्रीमद्भगवद्गीता जैसे अद्भुत ज्ञान का मार्ग प्रशस्त किया

इसलिए उन्हें “महागुरु” कहा जाता है।

🔹 गुरु-शिष्य परंपरा की स्थापना:

यह पर्व गुरु-शिष्य परंपरा को पुष्ट करता है। वैदिक काल से ही गुरु की भूमिका को सर्वोपरि माना गया है। शिष्य अपने जीवन में प्राप्त हर ज्ञान के लिए गुरु को धन्यवाद देता है।

🔹 अध्यात्मिक उन्नति का दिन:

यह दिन साधना, तपस्या, ध्यान और आत्ममंथन का विशेष अवसर होता है। इस दिन का उपयोग व्यक्ति आत्मचिंतन और आत्मोत्थान के लिए करता है।

गुरु पूर्णिमा का वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific Aspect)

गुरु पूर्णिमा का संबंध चंद्रमा से है और चंद्रमा का हमारे मन और शरीर पर प्रभाव पड़ता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी पूर्ण ऊर्जा के साथ आकाश में होता है। इसका सकारात्मक असर मन-मस्तिष्क पर होता है। ध्यान और साधना करने वाले इस दिन विशेष मानसिक स्पष्टता और आंतरिक शक्ति का अनुभव करते हैं।

गुरु पूर्णिमा पर क्या करें? (Do’s on Guru Purnima)

  • अपने गुरु से भेंट करें या उन्हें श्रद्धा से स्मरण करें

  • गुरु मंत्र का जाप करें

  • सत्संग में भाग लें

  • जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, किताबें दान करें

  • धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें

  • मौन धारण या ध्यान करें

गुरु पूर्णिमा पर क्या न करें? (Don’ts on Guru Purnima)

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  • किसी का अपमान न करें, विशेषकर गुरु या बुजुर्गों का

  • मांसाहार, नशा आदि का सेवन न करें

  • अशुद्ध या असभ्य व्यवहार से बचें

  • झूठ बोलने या विवाद से दूर रहें

Guru Purnima Kab Hai 2025 — इसका उत्तर है गुरुवार, 10 जुलाई 2025। यह दिन केवल एक पर्व नहीं, बल्कि जीवन में गुरु की भूमिका को सम्मान देने का अवसर है। वेदव्यास जी की जयंती पर मन, वचन और कर्म से गुरु का स्मरण कर हम अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।

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https://youtube.com/shorts/SkPbV_aRg3k?si=ZUv2Ezzfh4zKb5fa

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