Holi 2024 : साल का पहला चंद्र ग्रहण
इस साल Holi पर पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है। भारत पर इसका क्या प्रभाव होगा और जानते हैं की होलिका दहन का शुभ मुहूर्त क्या है और Holi कब और क्यों मनाया जाता है। मान्यता है की Holi का पर्व भगवान श्री कृष्णा को बहुत प्रिय था। इसीलिए इस तयोहार को मथुरा, वृन्दावन, बरसाना, गोकुल और नंदगाव में बड़े हीं हर्षोउल्लाश के साथ मनाया जाता है। हिन्दुओं के सभी व्रत और तयोहारों में Holi का एक ख़ास स्थान है। होली को रंगों का तयोहार भी कहा जाता है।
पहला चंद्र ग्रहण 2024 :
जैसा की हम सब जानते हैं की हिन्दुओं के सारे पर्व और तयोहार हिन्दू पंचांग के अनुसार हीं मनाये जाते हैं और इसके अनुसार इस साल Holi 25 मार्च 2024 दिन सोमवार को मनाया जायेगा। हिन्दु पंचांग के अनुसार हीं फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि यानी 25 मार्च 2024 को हीं चंद्र ग्रहण भी लगरगा। ये चंद्र ग्रहण सुबह 10:30 से शुरू होगा और दोपहर के 3:02 तक प्रभावी मन जायेगा। चुकी इस समय के हिसाब से यह ग्रहण भारत में मान्य नहीं होगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में न दिखाई देने की वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इसी लिए इस चंद्र ग्रहण का Holi पर कोई भी प्रभाव नहीं माना जायेगा।
किन जगहों पर दिखेगा चंद्र ग्रहण :
यर्ह चंद्र ग्रहण प्रशांत, अटलांटिक, अमेरिका, उत्तर और पूर्व एशिया, आर्कटिक और अंटार्टिका, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका और अफ्रीका के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देगा।
होलिका दहन :
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल के होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को सुबह 9:54 से शुरू और 25 मार्च को दोपहर 12:29 पर समाप्त होगी। ऐसे में होलिका दहन 24 मार्च को हीं मनाया जायेगा। इस साल होलिका दहन पर भद्रा भी लग रहा है। उस दिन भद्रा सुबह 9:54 से शुरू होकर रात के 11:13 तक प्रभावी रहेगी। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार अगर प्रदोष काल में पूर्णिमा तिथि लग रही हो तो उस दिन भद्रा रहित होलिका दहन किया जाना चाहिए। इस नियम के अंतर्गत होलिका दहन 24 मार्च को और रंगोत्सव यानी Holi का त्योहार 25 मार्च को धूम धाम से मनाया जायेगा। होलिका दहन को हमारी हिन्दू मान्यताओं के आधार पर बुराई पर अच्छे की जीत का प्रतीक मानकर मनाई जाती है।
चौसट्टी देवी यात्रा का दिन :
होलिका दहन के दूसरे दिन काशी में चौसट्टी देवी योगिनी यात्रा निकली जाती है। इस बार यह यात्रा 25 मार्च को निकाली जाएगी। हिन्दुओं की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चौसट्टी देवी योगिनी यात्रा के दिन हीं काशी में Holi का त्योहार हमेशा से मनाया जाता रहा है। बहुत साड़ी जगहों पर Holi 26 मार्च को भी मनाये जाने की खबरें आ रही हैं।
भारत के अन्य राज्यों में Holi अलग अलग नामों से जाना जाता है। जैसे की डोल पूर्णिमा, धुलेटी, मंजिल, धुलंडी, कुली, शिग्मो या फगुआ इत्यादि। होली का तयोहार भाईचारे का त्योहार है और इसे हमारे देश में हर जाती, धर्म और सम्प्रदाय के लोग मिलजुल के बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह सारे त्योहार हमारे जीवन को एक नए जोश और उल्लाश से भर देते हैं। Holi उन्ही भव्य त्योहारों में से एक है।
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