Manikarnika Ghat Ki Adbhut Kahani : हैरान रह जाएंगे भोलेनाथ की नगरी के घाट के रहस्य जानकर
Manikarnika Ghat के बारे में कौन नहीं जानता। काशी के इस पवित्र नगरी में बहने वाली गंगा नदी का यह घाट अपने अंदर कई रहस्यों को छुपाये हुए है। भोलेनाथ की इस नगरी को पूरी दुनिया के लोग वाराणसी और बनारस के नाम से भी जानते हैं। वाराणसी के ये घाट अति प्राचीन और प्रसिद्ध हैं। यहाँ Manikarnika Ghat के साथ साथ गंगा घाट , दशाश्वमेघ घाट , अस्सी घाट सहित कई अन्य घाट है जो अपना एक अलग महत्व रखते हैं।
बनारस के अस्सी घाट पर लोग दूर दूर से गंगा आरती देखने आते हैं। आस्था और विश्वास की इस नगरी में सुबह शाम होने वाली इस आरती में लोगों का हुजूम देखते बनता है। लोग यहाँ दुनिया की हर परेशानी को कुछ देर के लिए भूल बैठते हैं , वहीँ Manikarnika Ghat का अपना महत्व है। जिंदगी और मौत की सच्चाई से रूबरू करवाते इस घाट की बहुत सी ऐसी कहानियां हैं , जिनके बारे में हमें जरूर जानना चाहिए।
स्नान और शमशान का महत्व :
बाबा की नगरी में बहती हुई गंगा नदी में स्नान तो सब करते हैं , पर मणिकरनिउका घाट पर स्नान करना अपना अलग महत्व रखता है। यहाँ पर कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी यानी की बैकुंठ चतुर्दशी और बैसाख के महीने में स्नान करना इस बात का द्योतक है की इससे हमारे वह पाप नष्ट हो जाते है जिसमे हमने उस व्यक्ति के साथ कुछ गलत किया हो जो अब इस दुनिया में नहीं है।
गंगा नदी के तट पर स्थित Manikarnika Ghat एक शमशान घाट है जिसे तीर्थ की उपाधि दी गयी है। यहाँ चिता की आग कभी शांत नहीं होती। यहाँ हर वक़्त चिता जलती रहती है। लोगों को अपने जन्म मरण के चक्र से ये घाट मुक्ति दिलाता है। ऐसा माना जाता है की यहाँ हर रोज़ 300 से जयादा शवों का डाह संस्कार किया जाता है। इस घाट पर 3000 साल से ये काम होता आ रहा है और ऐसे मान्यता है की यहाँ इस घाट पर अंतिम संस्कार से हमें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वैश्याओं का नृत्य :
Manikarnika Ghat पर चैत्र नवरात्र के अष्टमी तिथि के दिन वैश्याओं के विशेष नृत्य का आयोजन किया जाता है। इस नृत्य के साथ वह भोले बाबा से इस बात की इच्छा जताती हैं की उन्हें इस तरह के जन्म से मुक्ति मिल जाए साथ ही ये उम्मीद भी करती हैं की अगले किसी भी जन्म में वैश्या के रूप में जन्म न मिले।
शक्ति पीठ पर चिता की राख से होली :
ऐसा माना जाता है की यहाँ माता सती के कान के कुण्डल गिरे थे जिसकी वजह से इस घाट का नाम Manikarnika Ghat पड़ा। यहाँ पर तभी से माता का शक्तिपीठ स्थापित किया गया है। इस घाट पर फाल्गुन माह के एकादशी के दिन चिता की राख से होली खेली खेलने की काफी पुराणी प्रथा है। लोग कहते हैं की इस दिन बाबा भोलेनाथ माता पार्वती का गौना करवा कर लौटे थे। डोली जब घाट से गुजरती है तो सारे अघोरी चिता की राख से होली खेलते हैं। हम जानते हैं की शमशान घाट पर जो अघोरी होते हैं उनका मनुष्य की चिता के साथ ख़ास लगाव देखा गया है।
उनके इस खेल का यही सन्देश होता है की सब एक दिन राख हो जाना है फिर भी जीवन में निराशा का या दुःख का कोई स्थान नहीं है। हमें जीवन में हर परिस्थिति में चाहे वह खुशी का हो फिर ख़ास कर गम का हो , इसे उत्सव की तरह मनाना चाहिए। हम सबको देखने वाले बाबा हमारे साथ हैं और मनुष्य को मोह – माया के बंधन से मुक्त रहना चाहिए। जो आया है उसे जाना भी है तो दुःख किस बात का।
माता सती का अंतिम संस्कार :
ऐसा कहा जाता है की बाबा भोलेनाथ द्वारा माता सती का अंतिम संस्कार यहीं किया गया था , यही वजह है की Manikarnika Ghat महाशमशान घाट के नाम से अतिप्रसिद्ध है। यहाँ जिसका भी दाह संस्कार किया जाता है , अग्निदाह से पूर्व उससे पूछा जाता है की क्या तुमने शिव का कुण्डल देखा है। ऐसी मान्यता है की भगवन शिव उसे अपने श्री चरणों में जगह दे कर मुक्ति प्रदान कर देंगे। बाबा भोलेनाथ का औघड़ रूप यहाँ देखने को मिलता है।
यहाँ अघोरिओं को चिता की पूजा करते और उस राख से होली मनाते देख लोग दंग रह जाते हैं। Manikarnika Ghat से आने वाले लोग वहां की इन प्रथाओं को देखने के बाद खुद में बदलाव महसूस करते हैं की जीवन और मरण को उत्सव की तरह मनाना हम सबको सीखना चाहिए। मोक्ष की चाह रखने वाला हर इंसान अपने जीवन के अंतिम पड़ाव में यहाँ आने की उम्मीद करता है।
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