Mission Gaganyaan : अब नए प्लेटफॉर्म से लॉन्चपैड तक पहुंचने की तैयारी
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ( ISRO) Mission Gaganyaan की तैयारियों में जुटा हुआ है। इसरो ने सीई -20 क्रायोजेनिक इंजन की सफल टेस्टिंग कर चुकी है।
नई दिल्ली :
भारतीय स्पेस एजेंसी अपने Mission Gagnyaan को नए प्लेटफॉर्म से लांचपैड तक पहुंचाने के लिए तैयारी में लग गयी है। पिछले कुछ सालों में भारत ने अपने अंतरिक्ष अभियान में नित नई सफलताओं का आगाज़ करती दिख रही है। जैसा की हम सब जानते हैं की मिशन चंद्रयान और आदित्य एल – 1 की सफलता के बाद ये मिशन इसरो और हमारे देश को के नई ऊंचाई पर ले जायेगा।
इसरो ने Mission Gaganyaan के लिए सीई – 20 क्रायोजेनिक मिशन की तैयारी कर ली है। यह भारत का पहला मानव मिशन होगा। इसरो ने इस इंजन का सफल परीक्षण भी कर लिया है। वैज्ञानिकों का कहना है की गगणयान मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एलवीएम् लॉन्चिंग पैड के लिए ‘ क्रायोजेनिक चरण ‘ को शक्ति प्रदान करता है। इसरो ने कहा की सीई – 20 क्रायोजेनिक इंजन मानव मिशन के अंतिम परीक्षणों में सफल रहा है। इंजन की टेस्टिंग काफी जरुरी होती है , इससे इसकी कार्य क्षमता का पता चलता है। अब मिशन के अगले चरण के लिए इसरो आगे बढ़ने की तैयारी में है।
मिशन के अगले चरण की तैयारी :
पहले इस तरह के मिशन की लैंडिंग के समय लांच के आस पास 4 किलो मीटर तक कोई भी मौजूद नहीं रह सकता था। पहले लांच पैड की सुरक्षा में तैनात CISF कर्मी भी लांच से दो घंटे पहले पोस्ट को छोड़ दिया करते थे। लेकिन 2025 में ये एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिलेगा जब पहली बार भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्पेस सूट पहनकर एक विशेष मंच के माध्यम से लांच पैड तक पहुंचेंगे। इसरो 19 साल पुराने लांच पैड को भी अपग्रेड करने में लगा हुआ है।
सतीश धवन स्पेस सेंटर के निदेशक राजराजन ने कहा की नए लांच पैड की तैयारी में काफी वक़्त लगता है। इसीलिए पुराने लॉन्चपैड में भी संसोधन की गुंजाईश होती है। जिस भी राकेट से अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाना होगा , उसमे और भी सुविधाएँ जोड़ी जाएँगी। वहां करीब 8 घंटे से 1 दिन तक भी समय लग सकता है। चुकी मिशन स्पेशल है है to निवेश भी बड़ा है । इसमें करीब 2000 करोड़ का निवेश किया गया है।
करीब 27 से 28 डिग्री का टेम्प्रेचर सेट किया जा रहा है और अंतरिक्ष यात्री पुरे वक़्त क्रू मॉड्यूल में रहेंगे। इस तरह के मिशन के दौरान और भी कई तरह की बातों का ख्याल रखना जरुरी होता है। जैसे की राकेट का ईंधन लीक न हो , क्यूंकि इससे राकेट में विस्फोट की संभावना बढ़ जाती है। Mission Gaganyaan को 2025 तक लांच करने का लक्ष्य रखा गया है। पर इसकी शुरूआती तैयारियां 2024 के अंत तक पूरी कर ली जायेगी। पहले दो मानवरहित मिशन को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा , उसके सफलता के बाद ही एस्ट्रॉनॉट को स्पेस भेजा जायेगा।
इस मिशन में 3 अंतरिक्ष मिशन शामिल होंगे , जिसमे से एक में 3 चालक दल के सदस्यों को 400 किलो मीटर की कक्षा में तीन दिनों के मिशन के लिए लांच करना और उसके बाद उसे सुरक्षित रूप में वापस धरती पर लाना होगा। इसरो द्वारा किया गया क्रायोजेनिक टेस्टिंग इसका सबसे महत्ववूर्ण चरण है।
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