Ram Madhav Returns : 5 साल बाद धमाकेदार वापसी , क्या फिर करेंगे जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के लिए करिश्मा ?
भारतीय राजनीति के एक अनुभवी रणनीतिकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रभावशाली नेता, राम माधव (Ram Madhav ), की पांच साल बाद भाजपा में धमाकेदार वापसी ने राजनीतिक हलचलों को फिर से तेज कर दिया है। उन्हें केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया है। यह एक महत्वपूर्ण निर्णय है, खासकर उस राज्य के लिए, जहां राजनीति के समीकरण जटिल और चुनौतीपूर्ण होते हैं।
राम माधव (Ram Madhav ) का राजनीतिक सफर और भाजपा में उदय
राम माधव का राजनीति में उदय तब शुरू हुआ जब 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने केंद्र में सत्ता हासिल की। वह उस समय आरएसएस के एक प्रमुख नेता थे और उन्हें भाजपा के महासचिव पद पर नियुक्त किया गया। राम माधव को जम्मू-कश्मीर की राजनीति में भाजपा की पकड़ मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सफलता में अहम भूमिका निभाई, जहां पार्टी ने 25 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर एक नया इतिहास रचा।
जम्मू-कश्मीर में पीडीपी के साथ गठबंधन : एक सफल और असफल प्रयोग
राम माधव की सबसे बड़ी राजनीतिक चुनौती 2015 में सामने आई जब जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा के परिणामों के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ गठबंधन सरकार बनाने का निर्णय लिया गया। राम माधव ने मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व में सरकार बनाने के लिए एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम तैयार करवाया। हालांकि, यह गठबंधन लंबे समय तक टिक नहीं सका और भाजपा को राज्य में अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ा। इस असफलता का खामियाजा राम माधव को भुगतना पड़ा, और उन्हें भाजपा से हटाकर वापस आरएसएस भेज दिया गया।
5 साल बाद धमाकेदार वापसी : नए अवसर और चुनौतियाँ
अब, पांच साल बाद, राम माधव की भाजपा में वापसी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। 20 अगस्त 2024 को, उन्हें केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के साथ जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रभारी नियुक्त किया गया। इस नई जिम्मेदारी के साथ, राम माधव पर फिर से वही राज्य की बागडोर सौंपी गई है, जहां उन्होंने पहले भी अपनी रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया था।
क्या फिर कर पाएंगे करिश्मा ?
राम माधव (Ram Madhav ) की वापसी के साथ ही यह सवाल उठ रहा है कि क्या वह फिर से जम्मू-कश्मीर में भाजपा के लिए करिश्मा कर पाएंगे? 2014 में उनके नेतृत्व में पार्टी ने जो सफलता हासिल की थी, क्या वह उसे दोहरा पाएंगे? 2019 में धारा 370 हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बड़े बदलाव आए हैं। अब जब राज्य का दर्जा घटा कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है, तो यहां की राजनीति और भी जटिल हो गई है।
राम माधव के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य के विभिन्न समुदायों को भाजपा के पक्ष में लामबंद करना होगी। पिछले पांच सालों में जम्मू-कश्मीर की राजनीतिक स्थिति में बड़े बदलाव आए हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि राम माधव इन परिवर्तनों को कैसे संभालते हैं।
आरएसएस के प्रति आभार और संघ की महत्ता :
राम माधव ने अपनी वापसी के लिए आरएसएस के प्रति आभार व्यक्त किया और संगठन को अपनी “मां” बताया। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने उनके मामले में विशेष निर्णय लिया और उन्हें भाजपा में वापसी का अवसर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का भी धन्यवाद किया, जिनकी वजह से उन्हें फिर से राजनीतिक जिम्मेदारी सौंपी गई। राम माधव का यह बयान स्पष्ट करता है कि उनकी वापसी आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की आपसी समझ का परिणाम है।
भविष्य की रणनीति और संभावनाएँ :
राम माधव और जी किशन रेड्डी की जोड़ी के सामने आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा की स्थिति को मजबूत करने की चुनौती है। भाजपा ने पहले ही 18 सितंबर से शुरू होने वाले चुनावों के लिए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। राम माधव के पास अब यह मौका है कि वह अपने पिछले अनुभवों का उपयोग करके भाजपा को जम्मू-कश्मीर में एक मजबूत स्थिति में ला सकें।
भाजपा की रणनीति को देखते हुए यह माना जा रहा है कि राम माधव फिर से पीडीपी जैसे स्थानीय दलों के साथ गठबंधन का रास्ता अपना सकते हैं। हालांकि, धारा 370 के हटाए जाने के बाद राज्य में भाजपा की स्थिति में बदलाव आया है, और अब यह देखना होगा कि राम माधव किस तरह की रणनीति अपनाते हैं।
राम माधव (Ram Madhav ) की वापसी से क्या बदल सकता है ?
राम माधव की भाजपा में वापसी न सिर्फ उनके व्यक्तिगत राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति के लिए भी इसका बड़ा असर हो सकता है। उनके पास अब यह मौका है कि वह अपनी पिछली असफलताओं से सबक लेकर भाजपा को जम्मू-कश्मीर में फिर से एक महत्वपूर्ण ताकत बना सकें। राम माधव की वापसी से भाजपा के अंदरूनी हलकों में जोश का संचार हुआ है, और पार्टी कार्यकर्ताओं को भी उम्मीद है कि उनकी रणनीतिक कौशल के माध्यम से भाजपा जम्मू-कश्मीर में एक नई सफलता की कहानी लिखेगी।
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