Ratan Tata Passed Away : अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन बनाने में था पद्म विभूषण रतन टाटा का अहम रोल , उद्योग से परे देश के लिए समर्पित, एक अनमोल धरोहर
Ratan Tata Passed Away : अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन बनाने में था पद्म विभूषण रतन टाटा का अहम रोल , उद्योग से परे देश के लिए समर्पित, एक अनमोल धरोहर
रतन टाटा (Ratan Tata) , एक ऐसा नाम जो सिर्फ भारतीय उद्योग जगत में ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अद्वितीय पहचान रखता है। उनके नेतृत्व और योगदान से देश को आर्थिक और तकनीकी क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचाया गया। हाल ही में, भारत के महान उद्योगपति और पद्म विभूषण रतन टाटा का देहांत हो गया, जिसने पूरे देश को शोक में डुबा दिया। उनके निधन से उद्योग और समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उनकी अनुपम छवि की छाप और भी गहरी हो गई। परंतु, शायद कम लोग ही जानते हैं कि रतन टाटा का भारत के मिसाइल प्रोग्राम और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन बनाने में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
रतन टाटा (Ratan Tata) और अब्दुल कलाम (Abdul Kalam) : एक अनोखी साझेदारी
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइलमैन के नाम से मशहूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और रतन टाटा की कहानी 1990 के दशक की है। उस समय, रतन टाटा हाल ही में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के चेयरमैन बने थे। डॉ. कलाम उस समय भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) में वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे। उनकी देखरेख में भारत का मिसाइल कार्यक्रम विकसित हो रहा था, लेकिन इस कार्यक्रम में कई चुनौतियाँ थीं, विशेषकर काम की गति और समन्वय के मामले में।
मिसाइल निर्माण में आ रही चुनौतियाँ :
उस दौर में, DRDO के विभिन्न केंद्रों में मिसाइल के अलग-अलग पार्ट्स बनाए जा रहे थे, परंतु समन्वय की कमी के कारण काम की प्रगति बहुत धीमी थी। विभिन्न केंद्रों में काम हो रहा था, लेकिन यह समझना मुश्किल हो रहा था कि किस केंद्र पर कितना काम पूरा हो चुका है। इससे डॉ. कलाम को काफी चिंता हो रही थी, क्योंकि वह चाहते थे कि मिसाइल परियोजना तेज गति से पूरी हो। उन्हें रोज़ाना की प्रगति की सटीक जानकारी चाहिए थी, जिससे वह मिसाइल कार्यक्रम को शीघ्रता से आगे बढ़ा सकें।
रतन टाटा (Ratan Tata) का समाधान: सॉफ्टवेयर का अद्भुत प्रयोग
डॉ. कलाम ने इस समस्या के समाधान के लिए रतन टाटा से संपर्क किया। दोनों की मुलाकात सेना भवन में हुई, जहाँ रतन टाटा के साथ TCS के तत्कालीन दिल्ली हेड फिरोज वंद्रेवाला और कंसल्टेंट प्रदीप यादव भी मौजूद थे। इस मीटिंग में डॉ. कलाम ने अपनी समस्या रखी कि किस प्रकार विभिन्न केंद्रों पर चल रहे कार्यों की निगरानी में कठिनाई आ रही है। इस पर रतन टाटा ने एक अभूतपूर्व विचार पेश किया – एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से सभी केंद्रों की रिपोर्ट्स को इकट्ठा किया जा सकता है और रोज़ाना की प्रगति को देखा जा सकता है।
यह विचार सुनते ही डॉ. कलाम ने रतन टाटा से सॉफ्टवेयर तैयार कराने को कहा। इसके बाद TCS की टीम ने इस दिशा में काम शुरू किया और जल्दी ही एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया गया जो DRDO के विभिन्न केंद्रों से प्रतिदिन की रिपोर्ट्स को संकलित कर प्रस्तुत करता था। इस सॉफ्टवेयर के आने के बाद, मिसाइल प्रोग्राम में तेजी आई और कुछ ही वर्षों में भारत मिसाइल तकनीक में आत्मनिर्भर देशों की सूची में शामिल हो गया।
मिसाइल निर्माण में तेज़ी और भारत का आत्मनिर्भरता की ओर कदम
सॉफ्टवेयर की मदद से डॉ. कलाम को रोज़ाना की प्रगति की जानकारी मिलने लगी और इससे परियोजना की गति में अद्भुत तेजी आई। 1990 के दशक के अंत तक भारत ने पृथ्वी, अग्नि और त्रिशूल जैसी मिसाइलों का सफल परीक्षण किया और मिसाइलों से लैस राष्ट्रों की श्रेणी में मजबूती से अपनी जगह बना ली।
रतन टाटा और डॉ. कलाम की इस मीटिंग ने भारतीय रक्षा क्षेत्र में क्रांति ला दी। इस सॉफ्टवेयर के कारण भारत की रक्षा क्षमताओं में बढ़ोतरी हुई और देश मिसाइल तकनीक में आत्मनिर्भर बन सका। यह साझेदारी सिर्फ एक तकनीकी समाधान तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसके पीछे दो महान व्यक्तियों का योगदान था जो देश के प्रति समर्पण और नवाचार में गहरी आस्था रखते थे।
रतन टाटा (Ratan Tata) और डॉ. कलाम (Dr. Kalam) की विचारधारा : नवाचार और मानवता की सेवा
रतन टाटा और डॉ. कलाम की साझेदारी केवल मिसाइल निर्माण तक सीमित नहीं थी। दोनों के व्यक्तित्व में कई समानताएँ थीं। दोनों ही दिन-रात देश के लिए सोचते थे और देश को तकनीकी और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए समर्पित थे। डॉ. कलाम अपने भाषणों में अक्सर रतन टाटा के योगदान की सराहना करते थे और यह कहते थे कि उनका दृष्टिकोण केवल उद्योग तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने देश की रक्षा जरूरतों को भी समझा और उसमें अपना योगदान दिया।
रतन टाटा का मानना था कि किसी भी कंपनी का सबसे बड़ा धन उसके कर्मचारी होते हैं। यदि कर्मचारियों पर भरोसा किया जाए और उन्हें सम्मान दिया जाए, तो वे किसी भी ऊँचाई को छू सकते हैं। उन्होंने अपने कर्मचारियों को हमेशा एक परिवार की तरह देखा और उनका आदर किया। यही कारण है कि आज टाटा समूह दुनिया की सबसे विश्वसनीय कंपनियों में से एक है।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) की भूमिका :
TCS ने इस पूरी परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रतन टाटा ने जिस दृष्टिकोण और समर्पण के साथ इस सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट को DRDO के साथ साझेदारी में पूरा किया, वह भारतीय तकनीकी क्षेत्र की बड़ी उपलब्धियों में से एक मानी जाती है। आज, TCS न केवल भारत बल्कि दुनिया की अग्रणी आईटी कंपनियों में से एक है, और इसका श्रेय रतन टाटा की दूरदर्शिता और नेतृत्व को जाता है।
समर्पण और नवाचार का प्रतीक : रतन टाटा (Ratan Tata)
रतन टाटा का जीवन न केवल उद्योग और व्यापार की ऊँचाइयों तक पहुँचने का उदाहरण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे समर्पण और नवाचार से देश की रक्षा और तकनीकी क्षमताओं को भी मजबूती प्रदान की जा सकती है। डॉ. कलाम के साथ उनकी यह साझेदारी इस बात का प्रतीक है कि जब दो महान व्यक्तित्व देश की सेवा के लिए एकजुट होते हैं, तो असंभव भी संभव हो जाता है।
उद्योग से परे एक महान योगदान
रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में योगदान दिया। उद्योग से लेकर शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्यों में उनका योगदान अविस्मरणीय है। परंतु उनका सबसे महान योगदान उस सॉफ्टवेयर के निर्माण में था जिसने भारत को मिसाइलों से लैस राष्ट्रों की श्रेणी में खड़ा कर दिया।
रतन टाटा का जीवन और उनके द्वारा किए गए योगदान इस बात का प्रमाण हैं कि वह सिर्फ एक सफल उद्योगपति नहीं थे, बल्कि देश के प्रति समर्पित एक महान व्यक्ति थे। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइलमैन बनाने में उनका योगदान इस बात का साक्षी है कि रतन टाटा ने सिर्फ व्यापारिक दुनिया में ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज उनके निधन पर पूरा देश उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहा है, और उनकी यह विरासत हमेशा जीवित रहेगी।
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