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Sawan 2025 : आखिर क्यों सावन के महीने में वर्जित माना जाता है दूध और साग का सेवन, जानिए धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

Sawan 2025: सावन संयम का महीना है. इस दौरान इंद्रियों पर काबू पाने वालों को पूजा पाठ तो फलित होती ही है साथ ही सेहत में भी लाभ मिलता है. सावन में दूध और साग क्यों नहीं खाई जाती जानें.

Sawan 2025 : सावन का महीना हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक महत्व वाला समय माना जाता है। Sawan 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है और यह 23 जुलाई तक चलेगा। यह मास शिवभक्तों के लिए भक्ति, उपवास, संयम और साधना का समय होता है। जहां एक ओर भक्तजन शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र अर्पित कर पुण्य अर्जित करते हैं, वहीं दूसरी ओर इस महीने में खान-पान को लेकर भी कुछ सख्त नियम बनाए गए हैं।

ऐसे ही दो प्रमुख खाद्य पदार्थ हैं – दूध और हरी पत्तेदार सब्जियां (साग)। Sawan 2025 में इनका सेवन वर्जित माना गया है। लेकिन आखिर ऐसा क्यों? क्या इसके पीछे केवल धार्मिक मान्यताएं हैं या कोई वैज्ञानिक कारण भी छिपा है? आइए जानते हैं।

1. Sawan : संयम और साधना का समय

Sawan 2025 को आत्मसंयम, ब्रह्मचर्य और तप का महीना कहा गया है। कहा जाता है कि इस मास में यदि व्यक्ति अपनी इंद्रियों को नियंत्रित कर सही खान-पान और व्यवहार रखे तो उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। यही कारण है कि इस समय विशेष प्रकार के आहार और व्यवहार को अपनाने की सलाह दी जाती है।

2. सावन में दूध क्यों नहीं पीना चाहिए? (Sawan Mein Doodh Kyon Nahi Peena Chahiye)

(क) धार्मिक कारण:

(ख) वैज्ञानिक कारण:

3. सावन में हरी सब्जियां क्यों नहीं खाना चाहिए? (Sawan Mein Hari Sabzi Kyon Nahi Khani Chahiye)

(क) धार्मिक कारण:

(ख) वैज्ञानिक कारण:

4. किन हरी सब्जियों से सावधानी बरतें?

Sawan में नीचे दी गई हरी सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए:

5. विकल्प के तौर पर क्या खाएं?

सावन में आप इन सब्जियों और खाद्य पदार्थों को शामिल कर सकते हैं:

दूध के विकल्प के रूप में आप नारियल पानी, छाछ, नींबू पानी, तुलसी-अदरक युक्त हर्बल चाय आदि का सेवन कर सकते हैं।

6. सावन में क्या खाएं, क्या न खाएं – संक्षिप्त सारणी

भोजन/पेय खाएं न खाएं
सब्जियां लौकी, परवल, कद्दू, आलू पालक, मेथी, बथुआ, सरसों का साग
पेय नारियल पानी, छाछ, हर्बल चाय दूध, बासी पेय, ठंडा पेय
मसाले हल्दी, जीरा, अजवाइन अधिक मिर्च-मसाला
अनाज साबूदाना, समा चावल, कुट्टू आटा मैदा, बासी चावल

7. धार्मिक दृष्टिकोण से संयम का महत्व

सावन को संयम का मास इसलिए कहा गया है क्योंकि यह शिव की आराधना और आत्मशुद्धि का अवसर होता है। जब व्यक्ति अपने खानपान और व्यवहार पर नियंत्रण रखता है, तब वह शरीर और मन – दोनों रूपों में शिव के करीब होता है।

8. निष्कर्ष (Conclusion)

Sawan में खानपान को लेकर जो नियम बनाए गए हैं, वे केवल धार्मिक परंपराओं से नहीं, बल्कि वैज्ञानिक सोच और स्वास्थ्य रक्षा से भी जुड़े हैं।
दूध और साग के सेवन से परहेज करने की परंपरा का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य और मानसिक शुद्धता से है। इसलिए अगर आप इस सावन शिवजी की पूजा पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करना चाहते हैं, तो अपने आहार पर भी उतना ही ध्यान देना जरूरी है।

संयमित भोजन, सात्त्विक जीवनशैली और नियमित भक्ति से न केवल आपकी साधना सफल होगी, बल्कि आप शारीरिक और मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहेंगे।

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https://youtu.be/GaOdzHx8Vf4?si=5bW7VeIghnsGVULu

 

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